गौतम और लक्षिता बचपन से ही एक ही मोहल्ले में पले-बढ़े थे। दोनों एक ही स्कूल गए, एक ही रास्ते से कॉलेज तक पहुँचे, मगर उनके रिश्ते की डोर हमेशा दोस्ती तक ही सीमित रही।लक्षिता एक बड़े जॉइंट फैमिली से थी। वह हमेशा सबका ख्याल रखने वाली, दादी की दवा से लेकर छोटे बच्चों के होमवर्क तक संभाल लेती। भगवान में गहरी श्रद्धा रखने वाली लक्षिता का दिल उतना ही सुंदर था जितनी वो दिखने में खूबसूरत थी।गौतम अक्सर मज़ाक में कह देता,“लक्षिता, अगर दुनिया में सच में अच्छे लोगों का अवार्ड मिलता,
चुपके चुपके… एक खामोश प्यार - 1
गौतम और लक्षिता बचपन से ही एक ही मोहल्ले में पले-बढ़े थे। दोनों एक ही स्कूल गए, एक ही से कॉलेज तक पहुँचे, मगर उनके रिश्ते की डोर हमेशा दोस्ती तक ही सीमित रही।लक्षिता एक बड़े जॉइंट फैमिली से थी। वह हमेशा सबका ख्याल रखने वाली, दादी की दवा से लेकर छोटे बच्चों के होमवर्क तक संभाल लेती। भगवान में गहरी श्रद्धा रखने वाली लक्षिता का दिल उतना ही सुंदर था जितनी वो दिखने में खूबसूरत थी।गौतम अक्सर मज़ाक में कह देता,“लक्षिता, अगर दुनिया में सच में अच्छे लोगों का अवार्ड मिलता, तो तू ही जीतती।”लक्षिता बस हल्की मुस्कान ...Read More
चुपके चुपके… एक खामोश प्यार - 2
Part 3 – इज़हार की घड़ीएक दिन कॉलेज के गार्डन में अचानक बारिश शुरू हो गई।सब लोग भागने लगे, गौतम और लक्षिता वहीं रुक गए।बरसात की बूंदें उन दोनों पर गिर रही थीं, और दिल की खामोशियाँ चीख-चीख कर कह रही थीं कि अब वक्त आ गया है।गौतम ने हिम्मत जुटाई और धीमे स्वर में बोला –"लक्षिता, शायद मैं शब्दों में अच्छा नहीं… पर जो एहसास है, वो सच्चा है। मैं तुम्हें चाहता हूँ, बहुत चाहता हूँ।"लक्षिता ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा और जवाब दिया –"मैं भी… बरसों से यही सुनना चाहती थी, गौतम।"बरसात में भीगी ...Read More