संस्कृति का पथिक

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हर यात्रा केवल दूरी तय करने का नाम नहीं होती। कभी-कभी वह यात्रा मन, आत्मा और अनुभवों की होती है, जो हमें जीवन के भीतर गहराई से झांकने का अवसर देती है। मेरी यात्रा भोपाल से शुरू होकर भोजपुर, भीमबेटका, साँची, उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मांडू, दतिया, ग्वालियर, ओरछा, चित्रकूट, अमरकंटक और जबलपुर तक फैली यह यात्रा, केवल भौगोलिक स्थलों की यात्रा नहीं, बल्कि इतिहास, धर्म, प्रकृति और आत्मिक अनुभवों का संगम है। इस पुस्तक में प्रस्तुत यात्रा वर्णन केवल स्थलों का विवरण नहीं है। यह उन अनुभवों, भावनाओं और स्मृतियों का संग्रह है, जो मैंने प्रत्येक स्थल पर जाकर मैंने स्वयं महसूस की।

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संस्कृति का पथिक - 1

"संस्कृति का पथिक"प्रस्तावनाहर यात्रा केवल दूरी तय करने का नाम नहीं होती। कभी-कभी वह यात्रा मन, आत्मा और अनुभवों होती है, जो हमें जीवन के भीतर गहराई से झांकने का अवसर देती है। मेरी यात्रा भोपाल से शुरू होकर भोजपुर, भीमबेटका, साँची, उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मांडू, दतिया, ग्वालियर, ओरछा, चित्रकूट, अमरकंटक और जबलपुर तक फैली यह यात्रा, केवल भौगोलिक स्थलों की यात्रा नहीं, बल्कि इतिहास, धर्म, प्रकृति और आत्मिक अनुभवों का संगम है।इस पुस्तक में प्रस्तुत यात्रा वर्णन केवल स्थलों का विवरण नहीं है। यह उन अनुभवों, भावनाओं और स्मृतियों का संग्रह है, जो मैंने प्रत्येक स्थल पर जाकर ...Read More