अज्ञात ब्रह्मांड

(0)
  • 130
  • 0
  • 216

मितेश अपनी ऑफिस की टेबल पर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने सिर पकड़े बैठा था। कमरे की टिमटिमाती लाइट और स्क्रीन की ठंडी रोशनी में उसके चेहरे की चिंता साफ झलक रही थी। तभी जूनियर सिक्योरिटी मैनेजर राज अंदर आया। राज: मितेश सर, आपने कहा था वैसे चेंज कर दिए हैं। मितेश (ग़ुस्से में): अब क्या फ़ायदा?!! टाइम तो हो गया पूरा!! इतना बोलकर मितेश उठा, अपना लैपटॉप बैग कंधे पर डाला और कहा—

1

अज्ञात ब्रह्मांड - 1

मितेश अपनी ऑफिस की टेबल पर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने सिर पकड़े बैठा था। कमरे की टिमटिमाती लाइट और की ठंडी रोशनी में उसके चेहरे की चिंता साफ झलक रही थी। तभी जूनियर सिक्योरिटी मैनेजर राज अंदर आया।राज: मितेश सर, आपने कहा था वैसे चेंज कर दिए हैं।मितेश (ग़ुस्से में): अब क्या फ़ायदा?!! टाइम तो हो गया पूरा!!इतना बोलकर मितेश उठा, अपना लैपटॉप बैग कंधे पर डाला और कहा—मितेश: देखो राज, आप लोग ऐसे काम करोगे तो बिल्कुल नहीं चलेगा। घड़ी में रात के 8 बजे हैं। हमें ईमेल करना था 6 बजे, और आपने काम पूरा किया 8 ...Read More