Agyaat Brahmaand - 1 in Hindi Science-Fiction by Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ books and stories PDF | अज्ञात ब्रह्मांड - 1

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अज्ञात ब्रह्मांड - 1

मितेश अपनी ऑफिस की टेबल पर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने सिर पकड़े बैठा था। कमरे की टिमटिमाती लाइट और स्क्रीन की ठंडी रोशनी में उसके चेहरे की चिंता साफ झलक रही थी। तभी जूनियर सिक्योरिटी मैनेजर राज अंदर आया।

राज: मितेश सर, आपने कहा था वैसे चेंज कर दिए हैं।

मितेश (ग़ुस्से में): अब क्या फ़ायदा?!! टाइम तो हो गया पूरा!!

इतना बोलकर मितेश उठा, अपना लैपटॉप बैग कंधे पर डाला और कहा—

मितेश: देखो राज, आप लोग ऐसे काम करोगे तो बिल्कुल नहीं चलेगा। घड़ी में रात के 8 बजे हैं। हमें ईमेल करना था 6 बजे, और आपने काम पूरा किया 8 बजे?!

राज (शर्मिंदगी से): सॉरी सर, आगे से ऐसा नहीं होगा। एक मौका और दीजिए।

मितेश: मौके... मौके... और बस मौके! मौके ही तो देता आया हूँ। अब क्या जवाब दूँगा मैं क्लाइंट को? बोलो, तुम्हारे पास कोई जवाब है?!! Disgusting! कल सुबह बात करेंगे। अभी लॉग आउट है मेरा।

मितेश गुस्से में कमरे से बाहर निकला। जयपुर की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकराई, लेकिन उसके मन की गर्मी कम नहीं हुई। वह पिंक सिटी के किराए के घर में रहता था और ऑफिस आने-जाने के लिए कंपनी की गाड़ी का इस्तेमाल करता था।

बेसमेंट में खड़ी गाड़ी के पास पहुँचते हुए मितेश की आँखों में तनाव झलक रहा था। उसके माता-पिता बीमार थे, और उसकी पढ़ाई के लिए परिवार की सारी संपत्ति खर्च हो चुकी थी। अपने अतीत के घाव और खोई हुई खुशियों की यादें उसे घेर रही थीं—किस तरह एक अच्छी नौकरी छोड़नी पड़ी, अपने ही घरवालों और दोस्तों से दूर रहना पड़ा, और कोविड-19 में सबसे करीबी दोस्त और प्रेमिका खो दी।

इतने में मितेश को याद आया—इम्पॉर्टेंट फ़ाइल ऑफिस में ही भूल गया है। उसने यू-टर्न लिया और वापस ऑफिस पहुँचा। ऊपर जाकर फ़ाइल ली और लिफ्ट के पास इंतज़ार करने लगा।

वहीं, उसका मित्र निहार शर्मा खुलती लिफ्ट में आया।

निहार: अरे मितेश, तू अभी गया नहीं? लॉग आउट तो हो गया ना तेरा?
मितेश: हाँ, फ़ाइल लेने आया हूँ।
निहार: लगता है कुछ हुआ है? तू परेशान लग रहा है।
मितेश (धीरे स्वर में): स्टाफ काम ठीक से नहीं कर रहा, और बाकी जो पहले हुआ, तू जानता ही है।
निहार: समझ रहा हूँ। पर दिमाग़ मत खराब कर। सब ठीक हो जाएगा।

निहार चला गया। मितेश बेसमेंट की ओर बढ़ा। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, उसकी आँखें फैल गईं।

बेसमेंट की जगह अब घना जंगल था। चारों ओर सिर्फ़ हरियाली, अजीब आवाज़ें और ठंडी हवा। उसने पीछे मुड़कर देखा—दरवाज़ा गायब था। बस जंगल ही जंगल।

मितेश का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने पानी की बोतल निकाली, आँखों पर छींटे मारे, लेकिन नज़ारा वही था। उसे यक़ीन नहीं हो रहा था कि वह लिफ्ट से ग्राउंड फ्लोर का बटन दबाकर नीचे आया था।


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वहीं अरबों प्रकाशवर्ष दूर, Milky Way में असाधारण परिवर्तन होने लगे। कुछ तारे अपनी ऊर्जा में अचानक बदलाव दिखा रहे थे। ग्रह अपनी轨ा बदलने लगे, और काले छिद्र (black holes) अप्रत्याशित तीव्रता से गुरुत्वाकर्षण बदलने लगे। यह परिवर्तन पूरे ब्रह्मांड के संतुलन को हिला रहे थे। बहुत से ग्रह टूटकर बिखरने लगे। दूर बैठा Azyon यह सब देखकर चिंतित था।

Azyon उस cosmic anomaly को observe कर रहा था। उसकी semi-luminous aura में गहनता और शक्ति झलक रही थी। वह Milky Way की energy fluctuations को measure कर रहा था, और मितेश जैसे extraordinary humans के आने वाले कदमों को महसूस कर सकता था। वह Andromeda Galaxy को भी measure कर रहा था।

दूसरी तरफ, जंगल में मितेश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। उसके हर कदम के साथ उसे महसूस हो रहा था कि अब कुछ बड़ा होने वाला है—एक घटना जो न सिर्फ़ उसे, बल्कि पूरी मानव सभ्यता को बदलने वाली थी।

वह आगे बढ़ा, अपने डर और अतीत की पीड़ा को पीछे छोड़ते हुए। अब दोनों के जीवन में एक नई गाथा शुरू होने वाली थी—एक गाथा, जिसे ब्रह्मांड की शक्तियाँ खुद आकार देने वाली थीं।

To be continued...