बहुत-बहुत पुरानी बात है, जब धरती पर राजाओं की सभ्यताएँ उग रही थीं और ज्ञान के दीप हर दिशा में जलते थे। उस समय उत्तर-पश्चिम की ओर फैले विशाल अरण्य में एक महान गुरुकुल था। वहाँ दूर-दूर से शिष्य आते, वेद और विज्ञान सीखते, धनुर्विद्या और नीतिशास्त्र में पारंगत होते, और फिर संसार में अपने-अपने मार्ग पकड़ लेते। इन्हीं में एक बालक आया था। उसकी चाल साधारण थी, पर उसकी आँखों में कुछ विलक्षण था—जैसे गहरे जल में झाँकने पर शांति और रहस्य दोनों दिखते हों। जहाँ अन्य शिष्य सत्ता, युद्ध या वैभव की बातें करते, वहाँ यह बालक मौन बैठा रहता। दूसरों को लगता, वह भोला है। पर गुरु ने उसकी नज़र में कुछ और ही देखा।

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TAPASWI - CHAPTER 1

बहुत-बहुत पुरानी बात है, जब धरती पर राजाओं की सभ्यताएँ उग रही थीं और ज्ञान के दीप हर दिशा जलते थे। उस समय उत्तर-पश्चिम की ओर फैले विशाल अरण्य में एक महान गुरुकुल था। वहाँ दूर-दूर से शिष्य आते, वेद और विज्ञान सीखते, धनुर्विद्या और नीतिशास्त्र में पारंगत होते, और फिर संसार में अपने-अपने मार्ग पकड़ लेते।इन्हीं में एक बालक आया था। उसकी चाल साधारण थी, पर उसकी आँखों में कुछ विलक्षण था—जैसे गहरे जल में झाँकने पर शांति और रहस्य दोनों दिखते हों। जहाँ अन्य शिष्य सत्ता, युद्ध या वैभव की बातें करते, वहाँ यह बालक मौन बैठा ...Read More