एक दिन उनके राज्य में एक भिखारी आ पहुँचा। उसके कपड़े फटे-पुराने थे और उसकी त्वचा पर बड़े-बड़े फोड़े-फुंसियाँ थीं, जिनसे निरंतर मवाद बह रहा था। उसके शरीर से दुर्गंध फैल रही । उसके एक पैर पर इतना गहरा और जानलेवा घाव था कि वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा । "वह घिसटते-घिसटते जैसे-तैसे राज्य के द्वार तक पहुंचा ही था कि   पहरेदारों की नज़र उस पर पड़ी। उसकी दुर्दशा देखकर उन्होंने घृणा और क्रोध से वहां से भगा दिया परन्तु भिखारी फिर से दरवाज़े पर पहुंच गया ।राजमहल का भव्य द्वार मानो स्वर्ग के द्वार की

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वरदान - 1

एक दिन उनके राज्य में एक भिखारी आ पहुँचा। उसके कपड़े फटे-पुराने थे और उसकी त्वचा पर बड़े-बड़े फोड़े-फुंसियाँ जिनसे निरंतर मवाद बह रहा था। उसके शरीर से दुर्गंध फैल रही । उसके एक पैर पर इतना गहरा और जानलेवा घाव था कि वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा । "वह घिसटते-घिसटते जैसे-तैसे राज्य के द्वार तक पहुंचा ही था कि पहरेदारों की नज़र उस पर पड़ी। उसकी दुर्दशा देखकर उन्होंने घृणा और क्रोध से वहां से भगा दिया परन्तु भिखारी फिर से दरवाज़े पर पहुंच गया ।राजमहल का भव्य द्वार मानो स्वर्ग के द्वार की ...Read More

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वरदान - 2

दिन ढल रहा था और महल की ओर जाने वाले मार्ग पर हल्की धूप बिखरी हुई थी। तभी समाचार कि राज्य के द्वार पर एक अजीबोगरीब भिखारी पड़ा है, जिसकी दशा अत्यंत दयनीय है। यह सुनते ही राजा का हृदय विचलित हो उठा। वे नंगे पाँव ही सिंहासन से उठ खड़े हुए और तेज़ी से भागते हुए द्वार तक पहुँचे।जैसे ही उनकी नज़र उस भिखारी पर पड़ी, वे स्तब्ध रह गए। उसके कपड़े चिथड़ों में बदल चुके थे, शरीर पर जगह-जगह बड़े-बड़े फोड़े-फुंसियाँ थीं, जिनसे मवाद टपक रहा था। दुर्गंध से चारों ओर वातावरण दूषित हो रहा था। उसका ...Read More