स्वयं पर नज़र: जीवन को समझने का असली मार्ग

(2)
  • 6
  • 0
  • 1.4k

किसी किताब में मैने पढा था कि जीवन का रहस्य आपके विचार हैं। यदि आप यह समझ लें कि आप क्या सोचते हैं, क्या चाहते हैं, या कैसी मानसिकता रखते हैं तो आप जीवन में घटने वाली घटनाओं को अपने अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि आपको केवल स्वयं पर नजर रखनी है। हम कहा करते है कि यदि हम लोगों की क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं पर नजर रखें तो उनके विषय में अधिक से अधिक जान सकते हैं। और हम ऐसा करते भी हैं, किसी व्यक्ति से पहली बार मिलते वक्त हम उसे ऊपर से नीचे तक निहारते रहते हैं, वह कैसे बोल रहा है

1

स्वयं पर नज़र: जीवन को समझने का असली मार्ग - 1

किसी किताब में मैने पढा था कि जीवन का रहस्य आपके विचार हैं। यदि आप यह समझ लें कि क्या सोचते हैं, क्या चाहते हैं, या कैसी मानसिकता रखते हैं तो आप जीवन में घटने वाली घटनाओं को अपने अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि आपको केवल स्वयं पर नजर रखनी है। हम कहा करते है कि यदि हम लोगों की क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं पर नजर रखें तो उनके विषय में अधिक से अधिक जान सकते हैं। और हम ऐसा करते भी हैं, किसी व्यक्ति से पहली बार मिलते वक्त हम उसे ऊपर ...Read More

2

स्वयं पर नज़र: जीवन को समझने का असली मार्ग - 2

हमारी मूल प्रवृत्ति क्या है? यही सबसे बड़ा प्रश्न है। इसी के आधार पर हमारे व्यक्तित्व का निर्धारण होता बड़ी से बड़ी व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करके अच्छे से अच्छे सामाजिक पदों पर आसीन हो जाने से या श्रेष्ठ सामाजिक मान्यता प्राप्त कर लेने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि व्यक्ति वास्तव में उतना ही श्रेष्ठ है जितना दिखाई देता है अथवा नहीं। हमारी मूल प्रवृत्ति हमारी शिक्षा या सामाजिक पर्यावरण पर आश्रित नहीं होती वह तो हमारा व्यक्तिगत गुण है, हमारी सबसे बड़ी विशिष्टता है जो हमें अस्तित्व प्रदान करती है। ...Read More

3

स्वयं पर नज़र: जीवन को समझने का असली मार्ग - 3

हमारा समाज अपने व्यक्तियों की उपलब्धियों एवं सफलता के मानकों का समय-समय पर निर्धारण करता रहता है। कुछ परिस्थितियों ये मानता है कि समाज के नियम सर्वोपरि हैं तो अन्य में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्व दिया जाता है। कहीं पर पितृसत्ता स्वीकार्य होती है तो कहीं मातृसत्ता। किन्हीं परिस्थितियों में आर्थिक उन्नति सर्वोपरि होती है तो कहीं सामाजिक प्रस्थिति। परन्तु इनमें सबसे महत्वपूर्ण क्या है ये निर्धारण कौन करेगा? एक समय था जब आर्थिक उन्नति से अधिक नैतिक उन्नति को महत्व दिया जाता था एक पुरुष कितना धन कमाता है इससे अधिक इसे महत्व ...Read More