देवर्षि नारद की महान गाथाएं

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एक बार नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा भगवान् विष्णु का भक्त नहीं है। उनका व्यवहार भी इस भावना से प्रेरित होकर कुछ बदलने लगा। वे भगवान् के गुणों का गान करने के साथ-साथ अपने सेवा कार्यों का भी वर्णन करने लगे। भगवान् से कोई बात छुपी थोड़े ही रहती है। उन्हें तुरंत इस बात का पता चल गया। वे अपने भक्त का पतन भला कैसे देख सकते थे? इसलिए उन्होंने नारद को इस दुष्प्रवृत्ति से बचाने का निर्णय किया। एक दिन नारद जी और भगवान् विष्णु साथ-साथ वन में जा रहे थे कि अचानक विष्णु जी एक वृक्ष के नीचे थककर बैठ गए और बोले "भई नारद जी, हम तो थक गए हैं, प्यास भी लगी है। कहीं से पानी मिल जाए तो लाओ। हमसे तो प्यास के मारे चला नहीं जा रहा है। हमारा गला सूख रहा है।"

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देवर्षि नारद की महान गाथाएं - 1

1.माया-जाल में फंसे नारदएक बार नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्वी पर और दूसरा भगवान् विष्णु का भक्त नहीं है। उनका व्यवहार भी इस भावना से प्रेरित होकर कुछ बदलने लगा। वे भगवान् के गुणों का गान करने के साथ-साथ अपने सेवा कार्यों का भी वर्णन करने लगे। भगवान् से कोई बात छुपी थोड़े ही रहती है। उन्हें तुरंत इस बात का पता चल गया। वे अपने भक्त का पतन भला कैसे देख सकते थे? इसलिए उन्होंने नारद को इस दुष्प्रवृत्ति से बचाने का निर्णय किया।एक दिन नारद जी और भगवान् विष्णु साथ-साथ ...Read More