सवा का महीन था। चारों तरफ हरी चादर पेड़ पौधों को ढके हुए थी । आकाश में काली घटाएं छाई हुई थी जिसके कारण बहुत अंधेरा सा लगता था।रह- रह कर आकाश में बिजली कड़कती थी और सुनसान सड़क को भयानक रास्ते में तब्दील कर देती थी। समीर ओर अमन दोनों आपस मे बाते करते हुए चले जा रहे थे। समीर - अमन तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही हैं? घर पर सब कैसे है।
Full Novel
कुछ पल अनजाने से - भाग 1
सवा का महीन था। चारों तरफ हरी चादर पेड़ पौधों को ढके हुए थी । आकाश में काली घटाएं हुई थी जिसके कारण बहुत अंधेरा सा लगता था।रह- रह कर आकाश में बिजली कड़कती थी और सुनसान सड़क को भयानक रास्ते में तब्दील कर देती थी।समीर ओर अमन दोनों आपस मे बाते करते हुए चले जा रहे थे।समीर - अमन तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही हैं? घर पर सब कैसे है।अमन- घर पर सब ठीक है और मेरी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है।हाल ही में मैने एक एक्जाम पास कर लिया है बहुत जल्दी एक अच्छी नौकरी हाथ ...Read More
कुछ पल अनजाने से - भाग 2
तथ्या को परवरिश अपने भाई से मिली थी जिस कारण उसका सबसे ज्यादा लगाव अपने भाई समीर से ही लेकिन यदि समीर के बाद तथ्या के जीवन में कोई महत्वपूर्ण था तो वो अमन था।अमन, तथ्या व समीर बचपन में साथ खेला करते थे। क्योंकि तथ्या सबसे छोटी थी इसलिए सबकी चहीती भी थी। अमन और समीर हमेशा तथ्या के साथ उसकी परछाई की तरह रहते थे।जब कभी खेलते हुए तथ्या को चोट लग जाती तो वे दोनों भी उसके साथ रोने लगते थे।संध्या के गुजर जाने के बाद बरखा ने तथ्या व समीर को बहुत प्यार से संभाला ...Read More