मैं तेरे प्यार में पागल

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विशाल, अथाह समुद्र के बीचों-बीच एक आलीशान-सी क्रूज़ लहरों से जूझ रही थी। चारों ओर सिर्फ़ काला पानी, तेज़ हवा और इंजन की भारी-भरकम आवाज़। उसी क्रूज़ के एक कोने में तुलसी बिखरे बालों और काँपते शरीर के साथ दीवार से लगी खड़ी थी। उसकी आँखों में खौफ़ था, साँसें बेतरतीब और आवाज़ टूटती हुई— “को… कोई है…?” उसकी चीख समुद्र की लहरों में गुम हो जाती। “कोई सुन रहा है मेरी बात… मुझे बचाओ… प्लीज़… कोई तो बचाओ…”

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मैं तेरे प्यार में पागल - 1

विशाल, अथाह समुद्र के बीचों-बीच एक आलीशान-सी क्रूज़ लहरों से जूझ रही थी। चारों ओर सिर्फ़ काला पानी, तेज़ और इंजन की भारी-भरकम आवाज़। उसी क्रूज़ के एक कोने में तुलसी बिखरे बालों और काँपते शरीर के साथ दीवार से लगी खड़ी थी। उसकी आँखों में खौफ़ था, साँसें बेतरतीब और आवाज़ टूटती हुई—“को… कोई है…?”उसकी चीख समुद्र की लहरों में गुम हो जाती।“कोई सुन रहा है मेरी बात… मुझे बचाओ… प्लीज़… कोई तो बचाओ…”वह चीखते-चीखते रोने लगती। उसकी हथेलियाँ दीवार पर फिसलतीं, घुटनों में जान नहीं बचती, आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता है, आख़िरी बार वह खुद ...Read More

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मैं तेरे प्यार में पागल - 2

नंदीश संधु सिंह उस रात बंगले से निकल पड़ा आज वह सिर्फ़ एक पति नहीं था , वो वकील था और उससे भी ज़्यादा, एक सबूत को सुंघाने वाला शिकारी भी था ...नंदीश की सबसे बड़ी ताक़त उसकी ठंडी समझ थी , कोर्टरूम में वह कभी आवाज़ ऊँची नहीं करता था, मगर सवाल ऐसे दागता कि सामने वाला खुद टूट जाए,वह सबूतों को टुकड़ों में नहीं, कहानी की तरह पढ़ता था , शुरुआत, मध्य और अंत,उसकी गाड़ी तुलसी के फ्लैट के सामने रुकी...तुलसी का अकेलापन भरा फ्लैटछोटी-सी सोसाइटी, तीसरी मंज़िल, कोने का फ्लैट ..दरवाज़ा खुलते ही नंदीश कुछ पल ...Read More