Aamchi Mumbai - 40 in Hindi Travel stories by Santosh Srivastav books and stories PDF | आमची मुम्बई - 40

Featured Books
  • આઈ કેન સી યુ!! - 3

    અવધિ ને તે પ્રેત હમણાં એ સત્ય સારંગ ના સામે કહેવા માટે કહી ર...

  • મમ્મી એટલે?

    હેપ્પી મધર્સ ડે... પર(સ્કૂલ માં વકૃત સ્પર્ધા હતી)મમ્મી નું મ...

  • ભાગવત રહસ્ય - 278

    ભાગવત રહસ્ય -૨૭૮   પરીક્ષિત કહે છે કે-આ કૃષ્ણકથા સાંભળવાથી ત...

  • તલાશ 3 - ભાગ 40

    ડિસ્ક્લેમર: આ એક કાલ્પનિક વાર્તા છે. તથા તમામ પાત્રો અને તેમ...

  • એક જીગોલો કથા

    જીગોલા તરીકેનો અનુભવમારા વોટ્સએપ માં મેસેજ આવ્યો. મેસેજ માં...

Categories
Share

आमची मुम्बई - 40

आमची मुम्बई

संतोष श्रीवास्तव

(40)

अनजान थी मैं इन नदियों से....

एक ज़माने में मुम्बई में पारदर्शी मीठे पानी की पाँच प्रमुख नदियाँ बहती थीं | उल्हास नदी जहाँ चायना क्रीक में फिल्म वालों के आकर्षण का केन्द्र रही वहीं मीठे स्वच्छ जल से लबालब ये नदियाँ मुम्बई के पर्यावरण की खूबसूरती में चार चाँद लगाती थीं | नौका विहार, तैराकी, बंशी डालकर मछलियों को पकड़ना और आए दिन किसी न किसी फिल्म की शूटिंग का ये केन्द्र थीं | पिकनिक स्पॉट ही नहीं ये नदियाँ सैकड़ों मछुआरों की रोज़ी रोटी जुटाने का साधन भी थीं | मुम्बई में तीन दशक गुज़ार चुकने के बाद मुझे इन नदियोंके अस्तित्व की जानकारी २००५ की उस भयंकर बाढ़ से पता चला जब पूरा मुम्बई जलमग्न हो त्राहि-त्राहि कर उठा था |

दहिसर नदी बारह किलोमीटर लम्बी है जो नेशनल पार्क में कन्हेरी की गुफ़ाओं के पास तुलसी झील से दहिसर पुल, दौलत नगर, बोरीवली और दहिसर के कुछ हिस्सों को छूते हुए गोराई खाड़ी में विसर्जित होती है | यह नदी नया दौरफिल्म का लोकेशन थी |

मीठी नदी १७.८ किलोमीटर लम्बी है | यह पवई स्थित विहार और पवई झीलों के अतिरिक्त प्रवाह से जन्म लेकर मरोल, साकीनाका, कुर्ला, कालीना,धारावी, माहिम और बाँद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में वकोला नाले से मिलते हुए माहिम खाड़ी होते हुए अरब सागर में समाप्त हो जाती है | एक ज़माने में इसका फ्लो ४०००० से ५०००० क्यूसेक था जो सबसे लंबी नहर कहलाती है |

ओशीवरा नदी १० किलोमीटर लम्बी है | आरे मिल्क कॉलोनी के उद्गम स्थल से लेकर गोरेगाँव हिल्स, इंडस्ट्रियल इस्टेट और झोपड़पट्टियों से होते हुए मालाड खाड़ी और अंततः अरब सागर में जाकर समाप्त होती है |

पोईसर नदी सात किलोमीटर लम्बी है | जो नेशनल पार्क के उद्गम स्थल से लेकर गोराई खाड़ी होते हुए अरब सागर में समाप्त होती है | यह तैराकों की ख़ास पसंदीदा नदी थी | और मुम्बईकर इसमें नहाते भी थे |

उपेक्षा, अनाचार और प्रदूषण की चौतरफ़ा चोट ने इन नदियों को अब गंदे, काले पानी का नाला बना दिया है | अब ये सीवरके हश्र में परिवर्तित हो गई है और आज की युवा पीढ़ी नहीं जानती कि उनकी मुम्बई चार-चार नदियों की खूबसूरत नगरी थी जहाँ इसके बहते जल की कलकल कभी गुँजायमान थी |

***