ye mausam ki baarish - 4 in Hindi Love Stories by PARESH MAKWANA books and stories PDF | ए मौसम की बारिश - ४

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ए मौसम की बारिश - ४






मेरी बात सुनकर वो वहाँ से रोते हुवे चली गई।
उसके गए आज एक साल हो गया। आज तक में उसे भुला नही पाया।
रात को बहार हल्की हल्की बारिश हो रही थी। में बालकनी में बैठकर लेपटॉप पर अपनी नई नावेल लिख रहा था की तभी मम्मी आई।
'अरे जय बेटा..'
मेने उसकी ओर देखा उसके हाथ में एक फोटो थी।
लेपटॉप बंध कर के मेने उससे सामने वाली ख़ुर्शी पर बैठने को कहा।
मम्मी मेरे सामने बैठी ओर मुस्कुराते हुवे मुझसे कहा।
'आज शाम को मंदिर गई थी। वही वो शांता चाची मुझे मिल गई। उन्होंने तेरे लिए एक लड़की देख रही है।'
ओर फिर अपने हाथ में रही एक फोटो मेरी ओर करते हुवे कहा
'इसे देखो केसी लगी तुम्हे..?'
ग्लास टेबल पर रखी उस फोटो को उठाकर हाथ मेने हाथ में लिया। ओर फोटो देखते ही मेरे मुह से निकल गया।
'अरे ये तो माही है..'
मम्मी ने हेरानी से मेरी ओर देखकर कहा
'तु जानता है इसे..?'
'हा ये मेरी बहोत बड़ी फेन है। पिछले हप्ते ही मेने इससे राघव नामके एक गुंडे से बचाया।'
मेरी ये बात सुनकर मम्मी हँसी
'अरे सच्ची.. देखो बताता हु उस दिन क्या हुवा था।'
पिछले हप्ते में शनिदेव के मंदिर गया था।
दो हाथ जोड़कर में शनिदेव से कुछ मांग रहा था की तभी मेरे एकदम पास आकर वो खड़ी हो गई।
'है शनिदेव.. इसबार मेरे मार्क्स देख लेना.. में हर शनिवार को आकर तेल चढ़ाऊंगी'
उसकी यही बात सुनकर में उसपर जोर से हँस पड़ा। उसने मेरे सामने गुस्से में आंखे निकली।
'भगवान ऐसे ही मार्क्स बाटते फिरते तो में आज क्लास का टॉपर होता।'
मेरी इस कॉमेंट के जवाब में वो वैसे ही गुस्से में मुजे देख रही।

उसके बाद जब में मंदिर से निकलकर अपनी बाइक की ओर जा रहा था की तभी सामने से आ रहा एक काला सा आदमी मेरे कंधे से टकराया।
मेने जोर से कहा
'अबे अंधे देख के चल ना..'
वो मुजे घूर रहा की तभी उसका ध्यान मंदिर की सीढिया उतर रही उस लड़की पर पड़ी।
वो उसकी ओर भागा।
थोड़ीदेर बाद जब में बाइक स्टार्ट कर रहा था की तभी मुझे उस लड़की की चीख सुनाई दी।
'बचावो..छोड़ो मुझे..'
मेने मंदिर की ओर देखा तो वही काला आदमी उस लड़की को जबरदस्ती अपने कंधे पर डालकर ले जा रहा था।
'छोड़ो मुझे.. जाने दो..'
अपनी बाइक को छोड़कर में उसे बचाने के लिए उसकी ओर भागा।
उसके पास पहोचकर मेने उसे उसको छोड़ देने को कहा।
हेय कोन हो तुम छोड़ दो उसे..
उसको वैसे ही कंधे पे उठाये हुवे वो मेरी ओर मुड़ा
नंदनी सिर्फ मेरी है.. मेरी है..
तभी मेने घुमाकर एक घुसा मारा की उस काले आदमी के मुह से खून निकलने लगा।
उसने उस लड़की नीचे उतारा ओर मुझे मारने के लिए मेरी ओर बढा की तभी एक तेज़ हवा का जोंखा आया ओर वो मानो डरकर घबराकर वहां से भागने लगा।
हम कुछ समझ पाते उसे पहले ही वो बहोत दूर निकल गया।
उस लड़की ने हेरानी से मुजे देखकर कहा।
'आप जयबाबु है ना..?'
'हा पर आपको कैसे पता..?'
'फेन हु में आपकी बहोत बड़ी.. युनो मेने आपकी सारी किताबे पढ़ी है।'
'नंदनी.. ये आदमी कोन था?'
उसने हँसते हुवे कहा
'कोन वो.. उसे में नही जानती होगा कोई पागल। बाय ध वे मेरा नाम नंदनी नही.. माही है'
'माही.., वाव वोट अ लवली नेम..'
'थेंक यु..'
तभी उसका फोन आया उसने कहा
'माँ का फोन है.. सोरी मुजे जाना होगा..'
इतना कहकर ही वो वहां से चली गई।
TO BE CONTINUE..