Dard Bhara Dil in Hindi Poems by Parmar Geeta books and stories PDF | दर्द भरा दिल..

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दर्द भरा दिल..



नमस्कार दोस्तों मेरी रचनाओं को पढ कर अपने किमती अभिप्राय अवश्य दें। और यदि कोई शति हुई हो तो भी मेरा योग्य मार्गदर्शन करें।

आपकी दोस्त
- गीता परमार..





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"मेरे दिल केे अल्फाज़ "

मेरे दिल के अल्फाज़ो को कागज पर उतारा है मैंने ,
आज फिर दिल की गहराईयों से तुमको पुकारा है मैैंने ,

एक तेरे लिये ही अपना ये रुप संवारा है मैंने ,
तेरे लिये ही तो इस धरती पर स्वर्ग उतारा है मैंने ,

तुम्ही पर ही तो अपना सब कुछ वारा है मैैंने ,
सिर्फ तुम्हारे आगे ही तो अपना ये दिल हारा है मैैंने ,

बरसों तलक तेरे बिना तन्हा सफर गुजारा है मैैंने ,
की लौट कर आजा तेरे लिए जमी पर चाँद उतारा है मैंने..!!


*****



"वादा किया था तुने"

वादा किया था तुने की तू मेरा साथ कभी ना छोडे़गा ,
जिन्दगी की इन राहों में मेरा ये हाथ कभी ना छोडेे़गा ,

लेकिन चार कदम भी तो तू चल ना पाया मेरे साथ ,
आखिर कौन सी है मजबूरी ऐसी क्या हो गई है बात ,

कहा था तुमने मुझसे एक दिन पकड़ कर मेरा हाथ ,
की गर सांस भी छूट गई तो भी लौट कर आउंगा तेरे पास,

कहाँ गये अब तेरे वो वादे की मेरे लिए दूनिया का हर
बंधन तू तोड़ेगा ,
मर कर भी तू कभी मेरा साथ नहीं छोडेे़गा..!!


*****

अजीब प्यार था...

हँसाता था मुझको रुला भी देता था ,
खैर वो कभी कभी मुझे भूला भी देता था ,

बेवफा तो था मगर ...
मेरे दिल को वो अच्छा लगता था ,

कभी कभी बातें मोहब्बत की
वो मुझे सुना भी देता था ,

थाम लेता था हाथ मेरा , कभी यूँ ही
खुद अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ा भी लेता था ,

अजीब धूप छाव सा मिजाज था उसका
मोहब्बत भी करता था अगले ही पल ,
नजरों से गिरा भी देता था....!!


*****

काश कि जिंदगी मजबूर ना होतीं.....

काश, की मेरी यह जिंंदगी मजबूर ना होतीं ,
तो मैं इस कदर गमों से चूर ना होतीं ,

काश कि मेरेे दिल में कोई ख्वाहिश ना होतीं ,
तो मुुझको कभी तुझसे मोहब्बत ना होतीं ,

काश कि मेरे जीवन में कोई आरजू ना होतीं ,
तो जिन्दगी जीने की मुझको जुस्तजू ना होतीं ,

काश कि तेरे मेरे बीच में ये दूरियां ना होतीं ,
तो जिन्दगी कि इन राहों में तन्हाईंया ना होतीं ,

काश कि तुझे मेरी जरा-सी भी परवाह होतीं ,
तो जिन्दगी मेेरी मोहब्बत में तबाह ना होतीं...!!

*****


मेरी मोहब्बत तुझे घूंटन लग रही है ??
तो ना कर इश्क गर दिल की लगीं , दिल्लगी लग रहीं हैं ,

मेरी तेरे लिए कि गई फिक्र तुझे कोई जंजीर लग रहीं हैं ?
तो तू आजाद हैै गर मेरे प्यार में तुझे बंदिशें लग रहीं हैं ,

चाँद सी लगती थी तुुझे मेरी ये सूरत , अब महज़ एक दाग लग रहीं हैं ??
तो जा ढूंढ लेे कोई ओर हमसफर , मुझे तेरी मोहब्बत जिस्मानी लग रहीं हैं...!!

*****

"लगता है मोहब्बत का मौसम यूँ ही गुजर जायेगा ,

लेकिन लौट कर वापस मेरा मेहबूब नहीं आयेगा...!!


**** समाप्त ****