Do balti pani - 18 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 18

Featured Books
  • ભાગવત રહસ્ય - 279

    ભાગવત રહસ્ય -૨૭૯   ઇશ્વરને જગાડવાના છે.શ્રીકૃષ્ણ તો સર્વવ્યા...

  • આત્મનિર્ભર નારી

    આત્મનિર્ભર નારી નારીની ગરિમા: "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन...

  • ધ વેલાક

    ભૂતિયા નન - વડતાલના મઠની શાપિત વાર્તાવડતાલ ગામ, ગુજરાતનું એક...

  • શેરડી

                         શેરડી એ ઊંચા, બારમાસી ઘાસની એક પ્રજાતિ...

  • પ્રેમ અને મિત્રતા - ભાગ 11

    (નીરજા, ધૈર્ય , નિકિતા અને નયન..) નીરજા : બોલો...પણ શું ?? ધ...

Categories
Share

दो बाल्टी पानी - 18



स्वीटी ने आकर जैसे ही ठकुराइन को देखा वो चिल्ला पड़ी," हाय अम्मा… ये का हो गया… हाय राम तुम्हारे बाल कहां गए"?

ठाकुराइन लाल होके बोलीं," बाप का असर तुझपे भी चढ़ रहा है, अरे हमारे बाल हमारी खोपड़ी में लगे हैं"|

स्वीटी बोली, "अरे अम्मा तुम्हारी चोटी गायब हो गई अम्मा, ये तुम अपनी चोटी कटवा आई रात में" |

यह सुनते ही ठकुराइन ने अपनी चोटी देखी तो उसे कटा देख वो चिल्ला पडी और बेहोश होकर गिर पड़ी, एक तो गांव में बिजली गायब जिसकी वजह से पानी की दिक्कत और सड़क के उस पार वाले नल पर चुड़ैल का साया… गांव वाले सोच सोच के लकड़ी की तरह सूखे जा रहे थे कि अब जाएंगे तो जाएंगे कहां और तो और ठकुराइन की चोटी गायब हो गई तो और दहशत फैल गई थी कि चुड़ैल अब आगे क्या क्या करेगी |

ठकुराइन की कटी चोटी वाली बात गाँव के हर घर में पहुंच गई और उसके घर के आगे गांव की औरतों और मर्दों का तांता लग गया |

पूरे दिन ठाकुर साहब घर के बाहर चबूतरे पर सर झुकाए बैठे रहे जैसे कोई मर गया हो शाम को मिश्रा जी और वर्मा जी भी उनको सांत्वना दे रहे थे |

ठकुराइन अंदर खटिया पर लेटी थीं और स्वीटी उन पर हाथ से पंखा कर रही थी औरतें अपने मे खुसुर-पुसुर किए जा रहीं थीं, तभी भीड़ में दो औरतें आपस में बोलीं, "अरे जीजी हम जानत हैं कि ठकुराइन की चोटी किसने काटी" |

दूसरी औरत अचंभे से देखने लगी और बोली, "हाय राम, का कह रही हो, पता है तो जल्दी बताओ" इस पर पहली औरत फिर बोली, "अरे जीजी और कौन…?? वही नल के ऊपर वाली चुड़ैल… और कौन" | दूसरी औरत ने मुहँ फैलाते हुए कहा, का कह रही हो… चुड़ैल ठकुराइन की चोटी काट ले गई, हमको तो लगा कहीं से मुंह काला करा आई"|
पहली औरत घूंघट को और नीचे कर के धीमी आवाज मे बोली, "ठीक ही हुआ, बड़ी बनी फिरती थी, अब लो… चुड़ैल ने चोटी काट कर बोलती बंद कर दी" | दोनों औरतें कुछ और कहतीं की इतने में ही एक औरत जोर-जोर से रोती हुई छाती पीटते हुए आई और बोली," हाय रे… ये का हुआ हमारी जिज्जी को ??? हाय रे जीजी… अरे ये नास मारी
चुड़ैल, इसका मरद शराबी हो जाए, जुआरी हो जाए, लूला लंगड़ा हो जाए और इस चुड़ैल के मुंह में कीड़े पड़े, अरे कोढ़ हो जाए इस कुतिया को, हाय हमारी फूल जैसी जीजी को चुड़ैल ने धर लिया, अरे इस चुड़ैल को भी हमारी बद दुआ लगे और मुंडी हो जाए"|

औरत गला फाड़ फाड़ के यही सब चिल्लाए जा रही थी कि तभी उसके पास बैठी औरत ने उसका हाथ झिंझोड कर कहा, अरे ये का कर रही हो पप्पू की अम्मा, मति मारी गई है का तुम्हारी, अरे चुड़ैल को कोस रही हो, वो चुड़ैल है चुड़ैल, अभी तो ठकुराइन के बाल कटे हैं, कल को तुम्हारी गर्दन कट जाए तो का कर लोगी, अरे काहे आफत बुला रही हो, चुड़ैल से ज्यादा होशियारी मत दिखाओ और अपनी जुबान बंद करके बैठ जाओ" |

पप्पू की अम्मा ने कहा," सही कहती हो तुम, चलो चुप हो जाते हैं… हे भगवान चुड़ैल ने हमारी बातें सुनी ना हो, अब का करें…. "|

यह कहकर दोनों औरतें चुपचाप बैठ गई |


आगे की कहानी अगले भाग में...