ek ajnabi hasina se yu mulakat ho gai - part 2 in Hindi Love Stories by Tapan Kanabar books and stories PDF | एक अजनबी हसीना से, यु मुलाकात हो गई - २

Featured Books
  • 99 का धर्म — 1 का भ्रम

    ९९ का धर्म — १ का भ्रमविज्ञान और वेदांत का संगम — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎...

  • Whispers In The Dark - 2

    शहर में दिन का उजाला था, लेकिन अजीब-सी खामोशी फैली हुई थी। अ...

  • Last Benchers - 3

    कुछ साल बीत चुके थे। राहुल अब अपने ऑफिस के काम में व्यस्त था...

  • सपनों का सौदा

    --- सपनों का सौदा (लेखक – विजय शर्मा एरी)रात का सन्नाटा पूरे...

  • The Risky Love - 25

    ... विवेक , मुझे बचाओ...."आखिर में इतना कहकर अदिति की आंखें...

Categories
Share

एक अजनबी हसीना से, यु मुलाकात हो गई - २

"It's ok राघव, तुम्हारी गलती नहीं थी."
“लेकिन...”

“अभी नहीं” मेने उसे बीच में ही रोक लिया.

“सर , इस होटेल के मालिक मिस्टर राजवीर आपसे मिलना चाहते है” हमारी बातें चल रही थी तभी होटेल का मैनेजर आया.

“ठीक है तुम चलो हम आते है” ओर राघव ने चुपके से बोला के अब हम है इस होटेल के मालिक, तो आगे से ख़याल रखना.

हमने एक दूसरे के सामने देखा , हमारी हँसी छूटने वाली थी.

“कहिए मिस्टर राजवीर, क्या सेवा कर सकते है हम आपकी ?” ओर राघव ने फिरसे मेरी ऑर देखा.

“मुजे एक बात समज़ में नहीं आ रही है ओर वो ये की आप इस होटेल को ख़रीदना क्यू चाहते है ? मेरा मतलब है कि ये आपका core business तो है नहीं, ना ही हमारा होटेल इतना बड़ाहै की आपको मुनाफ़ा ज़्यादा हो, फिर क्यों ?”

मिस्टर राजवीर ओर उनके साथ बैठे हुए कुछ लोग हमें बड़ी ही अजीब तरह से घूर रहे थे,

बात उनकी भी सही थी, होटेल बिज़नेस हमारा है ही नहीं, ओर फिर इस होटेल को ख़रीदकर भी हम उन्ही लोगों को काम पर रख रहे है जिनका ये होटेल है. लेकिन बात यहाँ पर पैसों की या मुनाफ़े की नहीं थी. ना ही बिज़नेस की थी.

बात थी feelings की. मेरे जीवन का पहला प्यारा एहसास मुजे यहाँ हुआ था ओर में नहीं चाहता था के मेरे जीवन की सबसे हसीन पलको मैं खो दु.

आप सोच रहे होंगे के एक बार किसी ने बात क्या कर ली तो ये होटेल इतना important कैसे हो गया ? है ना ? लेकिन ये एक बार की बात नहीं थी.


चलिए आपको वापस ले चलता हूँ उसी “No Smoking Zone” में.

“सुनिए, क्या में जान सकता हूँ के वो लेडी कौन थी ? जो अभी अभी मुजे बहार मिली ?” मेने जा के Reception डेस्क पे पूछा.

“माफ़ करना सर, क्या कोई तकलीफ़ हुई है आपको ?”

“हाँजी, तकलीफ़ तो हुई है पर में चाहता हूँ के मेरी तकलीफ़ की शिकायत में खुद उनसे करूँ. क्या आप मुजे उनका नाम बता सकते है ?”

“Sure सर, उनका नाम मिस ज़रना अवस्थि है, ओर वह हमारे यहाँ Internship कर रही है. परंतु मैं माफ़ी चाहता हूँ सर क्योंकि उनकी शिफ़्ट अभी अभी ख़त्म हुईं है ओर अबतक तो शायद वो जा चुकी होंगी. अगर आपको कोई परेशानी हुई हो तो मैं माफ़ी चाहूँगा.”


“ओह, कोई बात नहीं. धन्यवाद” बस इतना कहके में वहाँ से जाने लगा तभी पीछे से रिसेप्शनिस्ट ने मुजे आवाज़ दी ओर कहा, “सर अगर आपके पास दोमिनट का वक़्त हो तो क्या आप इस रजिस्टर में अपना फ़ीड्बैक दे सकते है ?”

पहले तो मेने मना कर दिया, फिर अचानक दिमाग़ में बत्ती जली, मैंने कहा जी बताइए कहा फ़ीड्बैक देना है.

“सर यहाँ,” कहके उन्होंने रजिस्टर मेरी ओर सरकाया,

उसमें कुछ रेटिंग देना था जिसमें मुजे कोई इंटरेस्ट नहीं था, मुजे इंटरेस्ट था बस आख़री सवाल पे जहां पर लिखा हुआ था

“कोई राय देना चाहेंगे हमारे स्टाफ़ को ?”


“Looks 10/10, Expressions 10/10, Honesty 10/10,
बस एक चीज़ की कमी थी ओर वो यह की होटेल स्टाफ़ के साथ साथ Interns भी थोड़ा हंसतेकम है, मैं चाहता हूँ होटेल स्टाफ़ को थोड़ीसी हसने की भी ट्रेनिंग दी जाए “


ये मेने लिखा आख़री सवाल के जवाब में ओर रजिस्टर रिसेप्शनिस्ट की ओर सरकाया. ये देखके उनकी भी हँसी छूटगई.

“आप ने जवाब नहीं दिया सर”

राजवीर की आवाज़ सुनते ही एक ही जटके से मैं फ़्लैश्बैक से वापस वर्तमान में आ गया.

मी नहीं चाहता था वापस आना और इस बार भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था,

राघव ने मेरी ओर देखके कहा,

" में जानता हु सर आप कहा खो गए थे....”