Meeting Life - Part 5 in Hindi Fiction Stories by Rajshree books and stories PDF | जिंदगी से मुलाकात - भाग 5

Featured Books
  • ગંગા સ્નાન

    ગંગા સ્નાન "गङ्गा पापं शशी तापं, दैन्यं कल्पतरुस्तथा । पापं...

  • પરંપરા કે પ્રગતિ? - 6

    પોલીસ મેડમ કહે છે: "તું જેના તરફથી માફી માંગી રહી છે શું તે...

  • આઈ કેન સી યુ!! - 3

    અવધિ ને તે પ્રેત હમણાં એ સત્ય સારંગ ના સામે કહેવા માટે કહી ર...

  • મમ્મી એટલે?

    હેપ્પી મધર્સ ડે... પર(સ્કૂલ માં વકૃત સ્પર્ધા હતી)મમ્મી નું મ...

  • ભાગવત રહસ્ય - 278

    ભાગવત રહસ્ય -૨૭૮   પરીક્ષિત કહે છે કે-આ કૃષ્ણકથા સાંભળવાથી ત...

Categories
Share

जिंदगी से मुलाकात - भाग 5

डिप्रेशन की बात उसने किसी को बताना लाजमी नहीं समझा। अगर वह ऐसा करती तो उसका एंप्लॉय ऑफ द ईयर का अवार्ड चला जाता।
मेकअप इंसान ने बनाई हुई ऐसी चीज है जो बड़े-बड़े राज अपने अंदर छुपा लेती है।
मेकअप के आड़ में उभरे हुए डार्क सर्कल रिंकल, पिंपल सब छुप गए और एक झुठी मुस्कान चेहरे पर खिल गयी।
एक झूठी मुस्कान और एक बेजान जिंदगी लेकर चल रही थी रिया। हर एक झूठे पल के साथ उसका मन अंदर से कमजोर पड़ता जा रहा था और एक दिन वह पूरी तरह लाचार हो गया .
रिया ने खुद के हाथ की नस काट ली। उसे लगा अब जिंदगी के सारे दुःख एक ही झटके में खत्म हो जाएगे पर उसकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
जिस फ्लैट में वह रहती थी उस फ्लैट के बाजू में रहने वाला एक बच्चा क्रिकेट खेल रहा था क्रिकेट खेलते खेलते वो बॉल खिड़कियों के ग्रिल को चकमा देते हुए रिया के घर में घुस गया बच्चा बॉल लेने आए उसने दरवाजा खटखटाया पर दरवाजे को खुला देख वह घर में घुस गया। घर में सोफाशीट, फूलदान उसमें सजाए गए फूल, कुशन और बाकी सारी चीजें बिखरी हुई थी। बच्चे को यह देख कुछ अजीब सा लगा लेकिन खिड़की से उसके दोस्तों की आवाज आते ही बॉल ढूंढने मे लग गया। जब वो बॉल ढूंढते ढूंढते रिया के कमरे में गया तब रिया पलंग से सटकर बैठी हुई थी लड़का बॉल लेने आगे बढ़ा तब उसने देखा, रिया के हाथों से खून बह रहा है और वह बॉल उस में गिरा पड़ा है। इतना भयानक नजारा देख उस की बोलती बंद हो गई, आंखें बड़ी हो गयी, मुंह खुला का खुला रह गया। खिड़की से एक बार फिर से आवाज आते ही वो जोर-जोर से चिल्लाने लगा। क्या हुआ?? यह जानने के लिए सारे दोस्त ऊपर भागे क्या हुआ ये आवाज कैसी है? यह देखने के लिए लोग भी जमा हो गए। उसमें से एक बूढ़े अंकल ने उस बच्चे को संभाल लिया और वहां से उसे दूर लेकर चले गए। सेक्रेटरी शिंदे ने पुलिस को फोन लगाया पुलिस के कहने पर दो लोग उसे उठाकर कार से हॉस्पिटल ले गए।
रिया को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया।
सेक्रेटरी और कुछ बिल्डिंग के सदस्य हॉस्पिटल में पुलिस के आने की राह देख रहे थे।
"आजकल की युवा पीढ़ी थोडा कुछ हुआ नहीं हो गए हताश अपने जीवन का अंत कर लेना इन्हें खेल लगता है" वहां बैठे जोशी गुरुजी बोले। "रिया अपने जीवन मे कुछ ऐसा कदम
उठाएगी इसकी आशा नही थी।"
"सही कह रहे हैं सर आप, देखीए ना अभी चेहरे से लगता था कितने अच्छे शांत स्वभाव की हंसमुख लडकी है लेकिन...."
मिस्टर पुरोहित की बात को काटते हुए सेक्रेटरी शिंदे बोले "क्या अच्छी? देर रात तक सोसाइटी से बाहर रहना, शनिवार रविवार को अनजान लोगों को घर पे बुलाना, लड़की होकर शराब का आदी होना। क्या है यह? क्या ऐसी लड़की अच्छी कहने के लायक है।"
शिंदे अंकल बिल्कुल ठीक कह रहे हैं दीपक बात को बढ़ावा देते हुए बोला- "अगर इनसे बात करने जाओ तो इन इतनी मुफट है कि सीधे मुँँह कभी बात ही नहीं करती।"
"तुम सवाल भी तो ऐसे ही पूछते हो एक इंसान नाइट शिफ्ट करके थक भाग कर घर आया है यह इंसान उससे पूछता है कल रात नींद पूरी नहीं हुई ऑफिस में बैठकर गेम खेल रही थी क्या?"(पब्जी एडिक्टेड.)
जोशी गुरुजी ने रिया की साइड लेते हुए दीपक को खूब फटकारा, दीपक का चेहरा उतर गया।
उनकी बातों को फुल्लस्टोप लगाने के लिए वहा पुलिस आ गई।
Hello sir i am secretary of society my name is Prakash shinde.
My name is "devraj patil."
"पेश्नंनट कहा है?"
"सर वो अभी आईसीयू में है डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।" शिंदे ने घबराते हुए जवाब दिया।
"कितने मिनट हुए यहां लाकर?"
मिस्टर शिंदे दिनेश और मिस्टर पुरोहित की तरफ देखने लगे सर वो... शिंदे कुछ बोले उससे पहले दिनेश बोल पडा- "सर वो कुछ 15-20 मिनिट हुए होगे।"
"सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर दी?"
"यस सर"
सारी जांच पड़ताल करने के बाद पुलिस ऑफिसर बाजू में खड़े हवालदार को कहा- "पवार तुम यहीं रहो अगर कुछ प्रॉब्लेम हो तो कॉर्पोरेट देम, और जैसे ही लड़की को होश आता है फौरन मुझे फोन..."
ऑफिसर की बात खत्म होने से पहले ही नर्स भाग कर आयी। सबका ध्यान उस पर चला गया-
"कॉम्प्लीकेशन्स बड़ गए है काफी खून बह चुका है खून चढ़ाना पड़ेगा और O -ve ब्लड बैंक में मौजूद नहीं है।"
सारे लोग खुसपुस करने लगे - हम में से किसी का ब्लड ग्रुप O -ve नहीं है।
"पवार तुझ्या भावाचा आहे ना O -ve ब्लड ग्रुप"- पोलिस ऑफिसर पाटील हवालदार को पूछने लगे।
"हो साहेब, पण माझा भाऊ काही कामाला कोकणात गेला आहे. एक महिना तरी लागून जाईल तिथून यायला।"
"अरे अपना राजीव भी तो है," प्रदीप काका बीच में बोल उठे "हमारे ध्यान में नहीं आया।"
फिर बुलाओ उसे।
"अभी वो काम पर गया है पर अभी फिलहाल घर पर होगा तो..."
"तो क्या बुलाओ यहां पैश्नंट की जान खतरे में है और वह घर में बैठकर आराम कर रहा है।"
नहीं सर उसके बेटे को इस हादसे का काफी सदमा लगा है- दिनेश बात को सुधारते हुए बोला।
"मतलब?"
सेक्रेटरी शिंदे अब बिना घबराते हुए जवाब देने लगे-
"सर रिया को पहली बार सिद्धार्थ ने ही देखा था सिद्धार्थ राजीव का बेटा है।"
"मुझे फोन पर बताया था, अब बच्चा कैसा है ?"
"सर फिलहार बच्चे के साथ उसके माता पिता हैं।"
पुलिस ऑफिसर कुछ सोचने के बाद बोले-
"पर... उसका यहां आना जरूरी है"
"मैं उसे अभी फोन लगाता हूं।" दिनेश झुंड में से आगे बढ़ते हुए बोला।
दिनेश ने राजीव को फोन लगाया फोन मेघा ने उठाया "हेलो भाभी राजीव घर में है?"
"है फिर?"
"भाभी वो यहां रिया की कंडीशन बहुत सीरियस है उसे
O -ve खून चाहिए पर हमसे किसी का O -ve ब्लड ग्रुप नहीं है"।
"इसमें राजीव क्या कर सकते हैं?"
"भाभी वो राजीव का ब्लड ग्रुप...."
दिनेश अपनी बात पूरी करें इससे पहले मेघाने गुस्से से बरसना शुरू कर दिया।
उस रिया की वजह से मेरा बेटा शौक के कारण अभी भी कुछ नहीं बोल रहा है और तुम चाहते हो कि राजीव उसे बचाएं हरगिज़ नहीं।
पर भाभी....
मेघा ने बिना कुछ सुने फोन काट दिया।
"क्यों क्या हुआ?" शिंदे ने पूछा।
भाभी नहीं चाहती राजीव रिया को खून दे।
"तुम्हारी बात राजीव से नहीं हुई?" -पुरोहित अंकल ने पूछा।
पुलिस ऑफिसर एरिया में आने वाले सभी ब्लड बैंक से पूछा पर कोई जवाब नहीं आया नर्स भाग कर सबके पास आयी - "पेश्नंट की हालत बिगड़ती जा रही है डोनर मिल गया?"
"नहीं अब लगता है कि उसकी जान बचाना सिर्फ ऊपर वाले के हाथ में है।"
पुलिस ऑफिसर पाटिल ने पवार से कहा पवार मैं चलता हूं मुझे फोन कर कर अपडेट करते रहना।
सब लोग हताश बैठे थे हताश होकर भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। तभी दिनेश को राजीव भागते हुए आता दिखाई दिया।