Yadon ke Jharokhe Se - 10 in Hindi Biography by S Sinha books and stories PDF | यादों के झरोखे से Part 10

The Author
Featured Books
  • THE TALE OF LOVE - 13

    Catagory-(Romantic+Thriller️+Psycho+Toxic+Crime‍️+Foreign pl...

  • মহাভারতের কাহিনি – পর্ব 119

    মহাভারতের কাহিনি – পর্ব-১১৯ নবম দিনের যুদ্ধের শেষে রাত্রে ভী...

  • জঙ্গলের প্রহরী - 4

    জঙ্গলের প্রহরীপর্ব - ৪অস্বস্তিকর পরিস্থিতি কাটাতে ঋষি তাড়াত...

  • ঝরাপাতা - 1

    ///ঝরাপাতাপর্ব - ১সন্ধ্যা নামার ঠিক আগের এই সময়টা খুব প্রিয়...

  • Ms Dhoni

    রাঁচির ছোট্ট শহর। স্টেশন রোডের পাশে এক সরকারি কোয়ার্টারে থা...

Categories
Share

यादों के झरोखे से Part 10

यादों के झरोखे से Part 10


==============================================================

मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने -जहाज से ऑस्ट्रेलिया के लिए दूसरी बार रवाना

=============================================================


31 मार्च 1969


मार्च को जहाज ने फिर सेल किया . कोचीन और मद्रास रुकते हुए कोलंबो जाना है .


11 अप्रैल 1969


आज जहाज कोलंबो पहुँचा है . तीन दिन बाद ऑस्ट्रेलिया के लिए सेल करना है . इस बार कोलंबो से सीधे सिडनी जाना था करीब 12 दिन नॉन स्टॉप .


23 अप्रैल 1969


आज हमारा शिप विश्व विकास सिडनी हार्बर पोर्ट पहुंचा . शिप के पर्सर ने मुझे मेरी चिठ्ठियां दीं . बाबा की चिठ्ठी मिली है , लिखा है कि बोकारो स्टील से मेरा अपॉइंटमेंट लेटर मिला है . लोगों का कहना है देश का सबसे बड़ा प्लांट है , फ्यूचर ग्रोथ अच्छा है . मुझे शिपिंग से रिजाइन करने को कहा गया है . पता नहीं क्यों मेरा भी जी इस नौकरी से ऊब गया है . शिप में इंजीनियर का मतलब जब तक ड्यूटी इंजन रूम में हैं एक ड्राइवर या मेकैनिक का काम करना है .


मैंने दो खत लिखे - एक बोकारो स्टील के नाम कि मुझे ज्वाइन करने के लिए चार महीने का एक्सटेंशन और दूसरा कंपनी के नाम कि मैं रिजाइन कर रहा हूँ और इंडिया पहुँचने के बाद मुझे रिलीज किया जाए .

20 मई 1969


आज जहाज मेलबॉर्न पहुंचा . डॉर्थी के घर फोन किया तो उसकी माँ ने कहा कि आजकल उसका स्कूल बंद है , छुट्टियों में नानी के यहाँ गयी है . मेरा मूड ऑफ़ हो गया . वैसे भी अब मैं दिन गिन रहा था की जल्दी से इंडिया पहुंच कर शोर जॉब ज्वाइन करूँ .

15 जुलाई 1969


ऑस्ट्रेलिया के पोर्ट पिरि ,न्यू कैस्ल , ज़ीलॉन्ग , रिसडान , एडिलेड सहित आठ पोर्ट्स होते हुए आज जिबूती पहुंचा . जिबूती अफ्रीका में सोमालिया के निकट एक छोटा सा देश है जो अभी तक आज़ाद देश नहीं है . यह एक फ्रेंच कॉलोनी है .

18 जुलाई 1069


हमारा जहाज आज एडेन पहुंचा . यह एक छोटा मगर फ्री पोर्ट है तो यहाँ से लोग सस्ते में सामान खरीदते हैं . मैं भी दो साथियों के साथ निकला . यहाँ इंडियन दुकानदार भी हैं . हमलोग कोशिश करते क़ि सामान देशी दुकान से लिया जाए यह सोच कर उस दुकान की ओर बढ़ा तो पास वाला लोकल अरबी दुकानदार ने अभद्र भाषा में कहा “ हरामज़ादा हिन्दुस्तानी शॉप में जा रहा है . “ गाली सुन कर ताज्जुब हुआ और हँसी भी आयी पर हम उसे नजरअंदाज कर देशी दुकान में ही गए .


26 जुलाई 1969


आज मैं सिंगापुर पहुंचा . ख़ुशी की बात है कि यह आखिरी पोर्ट है और यहाँ से सीधे बॉम्बे जाना है . सिंगापुर भी फ्री पोर्ट है और काफी सस्ते सामान मिलते हैं . अभी पेमेंट भी ज्यादा मिलेगा . यहाँ से शॉपिंग के लिए मैंने लिस्ट पहले ही बना लिया है - सोनी का TC -200 स्टीरियो टेप रिकॉर्डर , जर्मन मिक्सी , सूट के कपडे , शर्ट्स , जापान में बनी साड़ियां , खिलौने , परफ्यूम आदि .

4 अगस्त 1969


आखिर में आज मेरा जहाज बॉम्बे पहुंचा . मैंने अपने इस्तीफे का लेटर ऑस्ट्रेलिया से ही हेड ऑफिस को भेज दिया था . इसे शिप के चीफ इंजीनियर से फॉरवर्ड करा कर भेजा था इसलिए इस्तीफ़ा मंजूर होने में कोई संदेह नहीं था . शिप पर मिले सिगरेट और व्हिस्की को बेच कर भी कुछ रूपये मिलेंगे और बाकी ड्यू पेमेंट भी मिलेगा . घर जाने के पहले बॉम्बे से भी कुछ शॉपिंग करनी है .


11 अगस्त 1969


आज मैं हेड ऑफिस गया था . मुझे रिलीज लेटर और बाकी पेमेंट मिला . मुझे पहले ही बता दिया गया था कि मेरा इस्तीफा मंजूर हो चुका है और रिलीज लेटर भी रेडी है . सोमवार 11 तारीख को आकर बैलेंस पेमेंट और लेटर ले लेना . इसलिए मैंने 13 तारीख को बॉम्बे मेल से टिकट भी बुक कर लिया था .


शाम को मैंने दोस्तों से विदा लिया . शिप विश्व विकास को अलविदा कर सामान के साथ टैक्सी में जा बैठा . दो दिन बड़े बाबा के यहाँ रह कर अपने घर राँची जाना है . बड़े बाबा के घर के लिए भी कुछ गिफ्ट देने थे .


======================================