Prem ki bhavna - 9 in Hindi Women Focused by Jyoti Prajapati books and stories PDF | प्रेम की भावना (भाग-9)

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प्रेम की भावना (भाग-9)

मुझे गुस्सा आ रहा था बहुत...! पर गुस्सा किसपर आ रहा था? ये समझ नही पा रहा था मैं..!! भावना पर गुस्सा करना चाहता था मैं, उसपर अपनी नाराज़गी जाहिर करना चाहता था मैं ! "आखिर क्यों किया उसने मेरे साथ ऐसा..?"
क्यों मुझे अपनी दुख-तकलीफ़ के बारे में बताना जरूरी नही समझा..??"
मेरी खुशी के लिये अपनी सारी खुशियों का त्याग कर दिया..!! भावना ने मेरे बारे में सोचा, पर मैंने क्या किया उसके लिए..?
भावना जब भी चिड़चिड़ाती, या गुस्सा करती....मैं हमेशा उसपर गुस्सा हो जाता! उससे बात करना बंद कर देता ! उसके चिड़चिड़ाने की वजह, बार-बार गुस्सा होने की वजह जानना आवश्यक नही समझा...! बस खुद से ही मान लिया कि, माँ ना बन पाने का फ्रस्ट्रेशन है..!! कभी उसके मन की बात जानने की कोशिश ही नही की..!"
कभी प्रयास ही नही किया ये जानने का, की मेरी भावना अंदर ही अंदर टूट रही थी..!

मैंने भावना का हाथ अपने हाथों में लेकर चूम लिया !! उसके सिर पर हाथ रखकर सहलाया थोड़ी देर...!

कुछ समय बाद भावना ने आंखे खोली !! आंसू बह निकले दोनो आंखों से...!!
भावना ने कसकर मेरी हथेलियों को थाम लिया ! जैसे कहीं दूर जा रही हो मुझसे...?!

भावना मुझसे दूर ना चली जाए, कोई उसे मुझसे छीन ना ले ये डर बैठ गया मेरे दिलोदिमाग में! मैंने भी कसकर भावना का हाथ थाम लिया और बार बार उसके माथे को सहलाते हुए चूमता जा रहा था..!!

अचानक भावना तेज़ सांसे लेने लगी..! नर्स ने जैसे ही देखा, भागकर डॉक्टर को बुलाने चली गयी..!!

आंखों में आंसू और होठों पर प्यारी सी मुस्कान लिए भावना अपलक मुझे देखे जा रही थी..!!
और मैं उसका सिर सहलाते हुए कहता जा रहा था," कुछ नही होगा तुम्हे भावना..! तुम ठीक हो जाओगी..! बिल्कुल ठीक..!! तुम मुझे छोड़कर जा ही नही सकती ! मैं तुम्हे जाने भी नही दूंगा..!!"

मैं बोलता जा रहा था और भावना मेरी ओर देखती ही रह गयी...! कमरे में एक मनहूस सी शांति छा गई ! सिर्फ हार्ट बीट नापने वाली मशीन, जो अब एक ही लय में बजे जा रही थी, उसी की आवाज़ आ रही थी..!!
डॉक्टर ने भावना की पल्स चेक की ! और उसके मुंह पर से ऑक्सिजन मास्क हटा दिया..!

सासू माँ "भावना " चीखते हुए बेहोंश हो गयी ! ससुरजी ने उन्हे संभाला..!!
रवि, की हालत भी कम खराब नही थी ! एक मूरत की तरह खड़ा रह गया वो भी..!!

माता-पिता के सामने औलाद की मौत हो जाना, किसी शाप से कम नही होता..!

रवि आगे बढ़ा और भावना के माथे पर हाथ रखा ! फिर सहलाया थोड़ी देर !! उसके बाद हल्के से सिर चूमकर एजी से बाहर की ओर निकल गया !

ससुर जी भी जैसे-तैसे सासू माँ को बाहर लेकर गए..! मैं वहीं बैठा रहा गया अपनी भावना के पास..! मैं बोलता ही रह गया कि भावना को नही जाने दूंगा, पर सिर्फ उसका शरीर रह गया मेरे पास, आत्मा रूपी पंछी तो उड़ गया..!!

बहुत देर तक मैं भावना का हाथ पकड़ अपने होठों से लगाये बैठा रहा..!!

रवि ने आकर मेरे कंधे पर हाथ रखा..!! उसने घर पर सबको सूचित कर दिया था , "भावना नही रही..!!"

हम लोग जब भावना के पार्थिव देह को लेकर घर पहुंचे, तब तक सारे रिश्तेदार, पास-पड़ोसी, सब आ चुके थे..!!
सुधा की हालत भी देखने लायक थी..!! भावना की शादी से पहले तक दोनो बहनों में खूब जमती थी, मगर मुझसे भावना की शादी के बाद दोनो में बोलचाल कम हो गयी..! मगर जब सुधा से मेरी शादी हुई, तब तक तो दोनो जैसे एक दूसरे को जानती ही नही हों, ऐसी हो गयी थी !!

किसी को भी विश्वास नही हो रहा था, की भावना हम सबको छोड़कर जा चुकी है..! मम्मी को भी बहुत रोना आया ! आये भी क्यों ना? वो भी तो कितना नाराज़ हुई थी उससे ! कितने ही ताने सुनाए थे उसे..!!

भावना को घर के अंदर लाया गया ! आज मेरी भावना को फिर से दुल्हन की तरह सजाया जाना था..! फिर वही साज सृंगार होना था उसका, जो मेरी दुल्हन बनते समय हुआ था..!!

थोड़ी देर बाद भावना को बाहर लाया गया सजाकर..! कितनी सुंदर लग रही थी मेरी भावना..! एक दम निश्छल, मासूम...जैसे सो रही हो !

मम्मी ने मुझे बुलाया ! मेरी भावना की मांग में सिंदूर भरने के लिए..!! मैंने भावना की मांग में उतना ही सिंदूर भरा जितना भावना हमेशा लगाया करती थी.!! भावना का मानना था, "लंबी मांग भरने से पति की आयु लंबी होती है..!!"

भावना की मांग में सिंदूर भरकर मैं वहीं बैठ गया उसके पास !! आसपास की महिलाएं, रिश्तेदार सब मिलकर भावना के आगए हाथ जोड़ रही थी..!
आखिर भावना सुहागन हो विदा हो रही थी.!!

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, एक स्त्री का सुहागन के रूप में मृत्यु होना सतीत्व प्राप्त करना होता है ! वो स्त्री देवी तुल्य मानी जाती है..!!!

कल तक जो औरतें मेरी भावना को कभी बांझ तो कभी बोझ कहा करती थी आज उसका आशीर्वाद ले रही थी !!
कैसा समाज है हमारा..? जीवित व्यक्ति का कोई मान नही, कोई महत्व नही और उसकी मृत्यु होते ही हमे उसकी अच्छाइयां, उसके गुण, महत्व सब समझ आ जाते हैं,..!!!

भावना में कोई कमी नही थी..! माँ ना बन पाना कोई कमी तो नही है किसी महिला के लिए..!इस संसार मे ना जाने कितनी महिलाएं हैं जो मातृत्व का,वात्सल्य सुख नही ले पाती ! ना जाने कितने ही बच्चे हैं जो माँ का सुख नही ले पाते..!

सब लोग कहने लगे," अब ज्यादा समय नही लगाना चाहिए, सूर्यास्त के पहले दाह संस्कार हो जाना चाहिए..!!"

सुनकर ही मेरे हाथ-पैर ठंडे पड़ गए ! मेरी भावना अब हमेशा के लिए चली जायेगी मुझे छोड़कर ! मैं कभी उसे दोबारा देख नही पाऊंगा..!!

मैंने भावना का चेहरा अपने हाथों के बीच लेकर उसके माथे को चूमते हुए फिर सिर सहलाया !

जैसे तैसे लोग मुझे और रवि को संभालते हुए शमशान घाट पहुंचे ! वहां पहुंचकर फिर मैंने एक अंतिम बार भावना के माथे पर अपने प्रेम का अंतिम चुम्बन अंकित किया..!!

भावना का अंतिम संस्कार हुआ..!!

कोई सुधबुध ही नही रही मुझे...! बहुत देर तक मैं वहीं बैठा रहा, देखता रहा अपनी भावना के शरीर को उस पवित्र अग्नि में समाप्त होते !!

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