Kaisa ye ishq hai - 74 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (74)

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कैसा ये इश्क़ है.... - (74)

अर्पिता अंदर चली आती है उसके चेहरे पर बैचेनी है एव ह्रदय की धड़कन बढ़ी हुई है।वो शान की ओर देखती है एवं उन्हें मूर्छित देख वो उनके पास जाकर बैठ कर उनकी ठोडी को स्पर्श करते हुए उनसे बोली शान!उठिये चलिये यहां से शान!शान!उठिये शान सुन रहे है न आप!

गार्ड अंदर अपने मालिक की बेटी टिया को वहां देख नजरे झुका लेता है।टिया खड़े हो जाती है।अर्पिता का सारा गुस्सा वो गार्ड पर निकालते हुए चिल्लाती है।उसके शब्दो में तल्खी होती है वो गार्ड की ओर देख बोली गेट लॉस्ट नाउ।अपनी ड्यूटी पर लगो जाकर।

टिया की डांट सुन कर वो गार्ड वहां से चला जाता है।अर्पिता को वहां देख टिया उसके पास आई उसकी आंखों में उस देख बहुत गुस्सा भरा है।वो गुस्से से पगलाते हुए आगे झुकी एवं उसने अर्पिता का हाथ पकड़ उसे उठाया और खींचते हुए बेड से नीचे उतार देती है।

टिया की एक हरकत से अर्पिता पहले से ही परेशान है उस पर टिया का उसे शान से दूर खींचना उसे थोड़ा सा गुस्सा दिला देता है वो पीछे आ कर अपना हाथ टिया के पीछे लाती है एवं अपना हाथ छुड़ा लेती है।और उसकी कलाई को उसकी पीठ से सटा मरोड़ते हुए कहती है , ये जो आप अभी करने जा रही थी न वो गलत था टिया कुमार।इसके लिए हम आपको छोड़ेंगे नही पहले हम हमारे शान को होश में ले आये फिर आपसे निपटते है आपकी बदतमीजी का तो हम बहुते ही बढ़िया तरीके से जवाब देंगे बस अभी के लिए जाओ यहां से अर्पिता ने कहा और टिया का हाथ छोड़ दिया जिससे बौखलायी टिया अर्पिता को जोर का धक्का देती है अर्पिता सम्हल नही पाती है और टेबल के पास जाकर गिरती है। अर्पिता का सर टेबल से टकरा जाता है उसके चोट लग जाती है।टिया खड़े हो गुस्से मे चिल्लाते हुए बोली।कौन शान है यहां किसे शान कह कर बुला रही हो ये मिस्टर अजय है ये तुम्हारे कोई शान वान नही है समझी तुम।

ये कौन है कौन नही ये आप हमे न ही बताये कहते हुए अर्पिता शान के पास वापस बैठी और उसे आवाज देने लगती है।वहीं अपना ये दांव सफल न होता देख टिया अर्पिता और शान को घूरते हुए मन ही मन सोचते हुए बोली अब तुम मेरे नही हुए मिस्टर अजय तो फिर अब मेरा अगला और अंतिम दांव तुम्हे किसी का नही रहने देगा।क्या कहूँ अब मै टिया कुमार का फलसफा ये ही है जो मेरा नही वो किसी अन्य का भी नही।मैं तुम्हे कोई शारीरिक कष्ट दिये बिना मानसिक आघात पहुचाउंगी मिस्टर अजय,उर्फ शान जो भी है आप।जब तक आप होश में आएंगे तब तक तो मेरा कार्य हो चुका होगा।सोच कर तमतमाते हुए वहां से चली जाती है।

अर्पिता शान के न उठने पर आसपास पानी देखती है।लेकिन वहां पानी नही है इस बात का एहसास होने पर उसे अपने कैरी बेग में रखी पानी की बॉटल का ध्यान आता है वो हड़बड़ाते हुए अपना बेग खंगालती है और उसमे रखी पानी की बॉटल निकाल कर शान के फेस पर पानी के छींटे डालती है।शान फिर भी नही उठते है ये देख वो थोड़ा थोड़ा कर बॉटल का पूरा पानी उनके चेहरे पर उड़ेल देती है।तब कहीं जाकर शान धीरे धीरे अपनी आँखे खोलते हैं।अभी भी वो पूरी तरह होश में नही आ पाये है वो अपनी आँखे खोलते है लेकिन अभी भी दवा के प्रभाव से बन्द हो जाती है।अर्पिता शान की आँखे खुलती मुंदती देख वो शान का नाम पुकारते हुए कहती है शान,आँखे खोलिये न प्लीज शान आँखे खोलिये देखिये न आपकी अर्पिता आई है शान उठिये न आँखे खोलिये।अर्पिता की आँखे और गला दोनो भर आता है शान..! अर्पिता ने शान का हाथ थामा एवं उसके सीने पर अपना सर रख देती है और रोते हु बोली शान उठिये!और कितना सोयेंगे आप?शान उठिये तो सही!अर्पिता की आवाज सुन शान आँखे खोलने की कोशिश करते हुए धीरे से बोले अप्पू!तुम..।अपने हाथो में अर्पिता का हाथ महसूस होने पर अंगुलिया कस लेते हैं।धीरे धीरे जबरन अपनी आँखे खोलते है।अर्पिता धीरे धीरे अटकते हुए बोली हम्म शान हम आ गये लेकिन आप उठिये तो सही।शान सुनिये तो...!कितना और सोयेंगे..अर्पिता ने हल्का सा आवाज में शिकायत रखते हुए कहा।उठ गया मेरी पगली ...!कहते हुए शान ने दूसरा हाथ अर्पिता की पीठ पर रख उसे अपने अंक में ले लिया।।

शान आप ठीक है आपको कोई परेशानी तो नही हो रही है।बोलिये बताइये हमें।अर्पिता ने घबराते हुए पूछा।शान भावुकता वश कुछ बोल नही पाते है।उनकी आँखे छलक आती है वो बस वही उसी अवस्था में अर्पिता के स्पर्श को महसूस कर रहे हैं।

दूसरी ओर टिया गुस्से में पगलाई हुई अपने इरादों में नाकामयाब होने पर पैर पटकती हुई अपनी ही पार्टी में पहुंचती है।वो हांफने का अभिनय करने लगती है और बालो को पहले ही हल्का से बिखेर चुकी है वो अंदर पार्टी में जा अपने डैड के गले लगते हुए बोली डैड वो मिस्टर अजय..!शान व्हाट एवर जो भी है वो मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते है डैड प्लीज सेव मी!डैड कहते हुए वो एक छोटी बच्ची के जैसे चिपक जाती है।टिया को यूँ इस तरह घबराया देख अभिनव और बाकी सब भी पार्टी एन्जॉय करना छोड़ देते है और टिया को देखने लगते हैं

टिया बेटा क्या हुआ!इतना हांफ क्यों रही हो और अजय!क्या किया है अजय ने टिया बोलो!अजय कहां है वो तुम्हे नुकसान क्यों पहुंचायेगा!टिया क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा है।कहते हुए अभिनव ने असमंजस से टिया की ओर देखा।

डैड अजय के बारे में मुझे कुछ ऐसा पता चला है जो सब को शॉक्ड कर देगा।वो अजय का कुक उसने मुझे कुछ ऐसा बताया है जिस कारण अजय मुझे नुकसान पहुंचाना चाहता है।टिया डरने एवं कांपने का अभिनय करते हुए बोली।

शान सुनो न!कुछ तो कहो अर्पिता ने कहा तो शान इतना ही बोले अभी कहने का समय नही है अप्पू।इतने दिनों बाद मिली हो हमारा इतने वर्षो का इंतजार पूरा हुआ है और तुम, तुम हो कि चुप ही नही हो रही..!
चुप हो जाये हम..शान! कहते हुए अर्पिता उठी तो शान की आँखे भरी हुई देख वो खामोश होकर उन्हें देखने लगती है।शान बेड से उठते है और अर्पिता का हाथ थाम उसे कस कर गले से लगा लेते हैं।अर्पिता ...!तुम आ ही गयी कितना समय लगा दिया वापस आने में अप्पू..!वो क्या कहे कैसे कहे हृदय में भरे भाव के कारण शब्द ही भूल जाते है एवं अर्पिता को गले से लगाये रहते हैं।

कुछ क्षण बाद अर्पिता ने महसूस किया शान बिल्कुल ठीक महसूस कर रहे है तो वो उनके गले से अलग हुई और बोली शान!आप यहीं रुकिए हम टिया कुमार से निपट कर आते हैं।

शान बोले :- तुम अकेली क्यों मैं भी चलूंगा उसने अपनी हद पार की है उसे जवाब तुम्हारे साथ साथ मैं भी दूंगा तुम बस मेरे साथ चलो अभी।अब मैं तुम्हे कहीं जाने नही दूंगा चलो....!कहते हुए शान ने अर्पिता का हाथ पकड़ा और कमरे से बाहर चले आते हैं।

कमरे से बाहर आ अर्पिता बोली शान एक सेकण्ड रुकिए।हम अभी आते हैं..!अर्पिता की बात सुन शान ने उसका हाथ और कसकर थाम लिया जिसे महसूस कर अर्पिता बोली टिया को सबक सिखाये बिन हम कहीं नही जाएंगे आप भरोसा रखिये शान..!

अर्पिता की बात सुन शान ने उसका हाथ छोड़ दिया अर्पिता ने शान की ओर देखा और बेंच पर लेटे हुए प्रीत के पास जाकर उसे गोद में उठा कर वापस शान के पास आकर खड़ी हो जाती है।

चले अप्पू! शान ने मुस्कुराते हुए कहा तो अर्पिता थोड़ा हैरान हो बोली हां "शान चलिये" शान ने प्रीत को लेकर कोई हैरानी के भाव नही व्यक्त किये और मुस्कुराते हुए साथ चल रहे है कैसे?

चलते हुए शान ने अर्पिता के चेहरे की ओर देखा उसके चेहरे कई भाव बन बिगड़ रहे है।ये देख शान बोले इतना मत सोचो अप्पू तुमसे बात तो मैं हमारे घर में करूँगा यहां पब्लिक प्लेस पर नही..!कहते हुए वो अंदर पार्टी में आते है

सब शान को हिकारत भरी नजरो से देखते है।कुछ तो जलन के कारण मन ही मन हंसते है।अर्पिता की नजर सामने अपने डैड के गले लगी गर्वीली मुस्कान लिए टिया पर पड़ती है।

शान अर्पिता टिया को अभिनव के गले देख वहीं रुक जाते हैं।शान गुस्से से टिया को घूर रहे है ये देख टिया मुस्कान छोड़ घबराते हुए बोली डैड देखिये अजय कैसे मुझे गुस्से में घूर रहे हैं।

टिया स्पष्ट बोलो हुआ क्या है।अभिनव ने घबराते हुए जोर देकर टिया से पूछा तो टिया बोली डैड अजय ने एक शादीशुदा और एक बच्ची की मां से शादी उनके बीच प्रेम की वजह से नही की है बल्कि उसकी वजह तो कुछ और ही है।

टिया की बात सुन अर्पिता ने शान की ओर देखा!शान ने कुछ न कह बस मजबूती से अर्पिता का हाथ थाम लिया।

क्या ..?वजह है टिया।क्या बोल रही हो कुछ समझ में नही आ रहा है।अजय ने कहा।टिया अपने डैड के गले से अलग हुई और उनके कंधे के पीछे खड़े होते हुए वो शान की ओर देख कर मंद मंद मुस्काइ।एवं आवाज में डर और घबराहट का मिश्रण घोलते हुए बोली डैड अजय ने चित्रा से शादी तो कर ली लेकिन शादी के बाद भी ये दोनो अलग अलग कमरे में रहते है।हम सब के लिए पति पत्नी है लेकिन हकीकत में चित्रा इनके कमरे के अंदर गयी तक नही है।वो दरवाजे पर ही खड़े हो अजय से बातचीत करती और वापस अपने कमरे में लौट जाती है।इनके बीच पति पत्नी वाला कोई रिश्ता नही है।

टिया की बाते सुन अर्पिता और शान दोनो की आँखे अलग अलग कारण से नम हो जाती है।अर्पिता ने शान की ओर देखा और हौले से बोली शान ये सब...!

अर्पिता की आवाज सुन शान ने उसकी ओर देखा और बोले मजबूरी थी अप्पू..!हमारी श्रुति..!

टिया ये सब क्या कहे जा रही हो ये उनका आपस का मामला है तुम क्यों यूँ तमाशा बना रही हो..!अभिनव ने सख्ती से कहा तो टिया झल्लाते हुए बोली डैड क्यों न बनाऊ आपके इन अजय ने मुझे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है, मैं जरूर बोलूंगी डैड ये अजय सबसे इतना रूडी क्यों है इसका रीजन मुझे पता है इसका कारण है प्रकृति द्वारा दी हुई इसकी खुन्नस क्योंकि मिस्टर अजय एक इम्पोटेंट पर्सन है।कहते हुए टिया गर्व से मुस्कुराई।

वही शान की आंखों में भरे हुए आंसू छलक गये।अर्पिता ये सुन सन्न रह गयी।एक लड़की अपनी मर्यादा इस हद तक तोड़ सकती है ये हमने कभी सोचा नही था शान।

बात आपके मान की है जो हमे स्वीकार नही है हमे इसे जवाब देना होगा..।अर्पिता बुदबुदाई उसने शान की ओर देखा और बोली आप जरा हमारे शहजादे को थामिए हम इस बद्तमीज को देखते है शान। आपने कुछ कहा तो ये अब सही नही होगा...।

अर्पिता की बात सुन शान ने प्रीत को गोद में लिया अपने ही अंश के प्रथम स्पर्श से उनके ह्रदय में अव्यक्त खुशी की तरंगे उछलने लगती है।

वहीं टिया की बात सुन अभिनव और बाकी सब अजय उर्फ शान की ओर देखने लगते है।
ये देख टिया बोली हो गये न शॉक्ड इसीलिए ये मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते है ताकि हम उनका ये राज किसी को न बताएं कि इस अकैडमी के मैनेजर एक ...बस करो टिया कहते हुए अर्पिता आगे बढ़ी और टिया के पूरी बात कहने से पहले ही वो टिया को अभिनव के पीछे से खींचती है एवं उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा लगाती है।टिया लड़खड़ा जाती है। उसके गुलाबी गालों पर अर्पिता की पांचो अंगुलियों के निशान उभर आते हैं।अर्पिता इस समय बहुत गुस्से में होती है।एक पत्नी अपनी मौजूदगी में अपने ही पति पर लगने वाले लांछन को कैसे बर्दास्त कर सकती है।अर्पिता की इस हरकत पर टिया के साथ साथ अभिनव और बाकी सब भी शॉक्ड हो जाते हैं।टिया कुमार पहले भी कहा था हमसे उलझना नही।लेकिन आप नही मानी।पहले प्रीत और अब शान!हमारी लाइफ के दो सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों को चोट पहूंचाने की कोशिश कर रही हो आप।क्यों झूठा लांक्षन लगा रही हो हमारे शान पर!शट योर माउथ एंड कीप क्वाइट!

टिया गुस्साई और अर्पिता पर हाथ उठाने को हुई अर्पिता ने उसका हाथ पकड़ा और मरोड़कर फिर उसकी पीठ पर ले जाकर रख दिया और झल्लाकर बोली ये गलती नही करना!अर्पिता मिश्रा कमजोर नही है।बात हमारे शान की है उनके मान की है और शान की अर्पिता उस पर आंच नही आने देगी ये बात समझ लो अच्छे से।

अभिनव अर्पिता की हरकत देख गुस्साते हुए बोले कौन हो तुम और ये शान कौन ...और तुम मेरी बच्ची पर हाथ कैसे उठा सकती हो...।

अभिनव की बात सुन अर्पिता बोली क्यों नही उठा सकते सर!आपकी बेटी हमारे शान के बारे में इतना गलत बोल सकती है तो हम क्यों नही इस पर हाथ उठा सकते!इनकी बदतमीजी से तो हम ट्रेन में ही परिचित हो गये थे।रही सही कसर इनकी उस हरकत ने पूर्ण कर दी जब ये हमारे शान को बेहोश करके अकैडमी के बाहर बने रूम में ले गयी थी और इन्होंने रूम का दरवाजा लॉक्ड कर लिया...!इससे आगे हमे कुछ कहने की आवश्यकता नही है आप सभी समझदार है।वो तो इंटरवियू के लिए आते समय हमने टिया और उन दो लोगों को शान को।ले जाते देख लिया था और हम ...अर्पिता बोलकर खामोश हो गयी।अर्पिता की बात सुन टिया हड़बड़ाते हुए बोली झूठ क्यों बोल रही हो तुम मैं कुछ देर के लिए बाहर गयी थी लेकिन अपने काम से और तुम इधर उधर की बातें कर सबका ध्यान न भटकाओ।अजय का सच सब जान चुके हैं।टिया ने कहा।
टिया की बात सुन अर्पिता बोली आप इतने यकीन से कैसे कह सकती है कि हमारे शान ..बोलो..?ये बात तो सिर्फ एक पत्नी या फिर वो लड़की बता सकती है जो इनके साथ...।कहने के बादअर्पिता खामोश हो गयी।उसके तर्क को सुन टिया की बोलती बन्द हो गयी।कुछ सोच वो बोली तो तुम भी कैसे बोल सकती हो कि अजय वैसा नही है पत्नी हो तुम इनकी..!या फिर इसके साथ तुम्हारा एक्सट्रा मैरिटल अफेयर है।

टिया की बात सुन अर्पिता ने एक और चांटा टिया के जड़ दिया और तेज आवाज में बोली पत्नी है हम इनकी और वो उनकी गोद में जो बच्चा देख रही हो वो हमारा है।गॉट इट..!बद्तमीज और बेहया लड़की..।हमारी पहचान जानना चाहती हो तो सुनो अर्पिता प्रशांत मिश्रा! इनकी वेडेड वाइफ।यकीन नही है तो पूछ लीजिये इनसे फिर भी यकीन नही है तो हमे आपको या किसी और को सफाई देने की जरूरत भी नही है...!हमारी शादी करीब साढ़े चार वर्ष पहले ही हो चुकी है दो साल पहले नही।

शान आगे बढ़े उन्होंने अर्पिता का हाथ थाम लिया और बोले अप्पू बोल लिया न तो अब चलो हमे घर चलना है मां ताईजी छोटे किरण हमारा पूरा परिवार तुम्हारे लौटने का इंतजार कर रहा है।

अर्पिता की बात सुन टिया सहित वहां मौजूद सभी के मुंह खुले रह जाते हैं।टिया शॉक्ड हो जाती है ये सच तो उसने सोचा भी नही है।वो बोली मतलब अजय यहां आने से पहले ही शादीशुदा थे।इसका मतलब मेरी जिद मेरा जुनून शुरू से ही किसी और के हसबेंड के लिए...था!

शान ने अभिनव की ओर देखा और बोले आप हमेशा से सही कहते थे मिस्टर अभिनव मेरी जिंदगी खो चुकी थी।मैं दर्द में था इसीलिए आवारा था।उनकी आवाज में नरमी और खनक दोनो आ चुके है।बात कहते कहते शान थोड़ा रुके उन्होंने अर्पिता की ओर देखा जो शान के दर्द को महसूस कर भावुक हो चुकी थी उन्होंने न में गर्दन हिलाई तो अर्पिता ने अपने आंसू पोंछ लिए।शान ने वापस से अभिनव की ओर देखा और आगे बोले,लेकिन अब दर्द और आवारगी दोनो खत्म हो गयी है।मैं आपसे माफी चाहता हूँ मैंने आपसे सच छिपाया मेरी पहचान छिपाई।मेरा नाम प्रशांत मिश्रा इनके लिए शान(अर्पिता की ओर इशारा कर बोले) लखनऊ से हूँ इनकी तलाश में आवारा की तरह भटक रहा था किस्मत ने आपसे मिला दिया।मैंने अतीत को अतीत रहने दिया बस यही है मेरी कहानी..!मेरी पत्नी मेरा प्रेम ये है अर्पिता, चित्रा नही।अब मैं यहां से वापस अपने शहर अपने घर जा रहा हूँ।प्लीज मुझे माफ कर दीजियेगा।कहते हुए शान ने अर्पिता का हाथ थामा और उसे दरवाजे से लेकर बाहर चले आये।

वहीं टिया खुद में ही बड़बड़ाने लगती है।मिस्टर अभिनव पार्टी खत्म होने की घोषणा कर सभी को जाने के लिए कहते है एवं वो टिया को लेकर वहां से घर के लिए निकल जाते हैं।

शान ने अर्पिता का हाथ कस कर थामा हुआ है और वो उसे लेकर पैदल ही अपने छोटे से घर की ओर चले जा रहे हैं।वहीं अर्पिता अब खामोश हो चुकी है उसके मन में कई ख्याल उठ रहे हैं चलते हुए वो रुक जाती है।उसे खड़ा देख शान बोले मुझे यहां कोई तमाशा नही चाहिए अप्पू आगे क्या करना है क्या नही हम घर की चाहर दिवारियो में सोचेंगे यूँ सबके सामने नही।चलो अब!कहते हुए शान आगे बढ़े तो अर्पिता धीरे धीरे अटकते हुए बोली लेकिन शान चित्रा ...।

शान रुके और और गुस्से से अर्पिता की ओर देखते हुए बोले ठीक है अब भी तुम्हे अपने मन की करनी है तो ठीक है करो।जाओ तुम्हे जहां जाना है जाओ।मुझे मेरे जीने और मुस्कुराने दोनो की वजह मिल चुकी है हमारा बेटा प्रीत!मैं इसे लेकर जा रहा हूँ तुम्हे जहां जाना है जाओ कहते हुए शान आगे बढ़ गये..!
शान!रुकिए नही न शान प्रीत ...शान बिन रुके आगे बढ़ जाते हैं।वो रुकते ही नही है।शान...प्रीत को हमे दीजिये न शान ...!हम चल रहे है रुकिए तो सही शान...!अर्पिता भरी हुई आंखों से कहा तो शान रुक जाते हैं।अर्पिता के पास आने पर उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर घर पहुंचते है।वो डोरबेल बजाते हैं। शान यहां कौन कौन है ये तो बताइये शान ने बिन देखे कहा ताईजी ताऊजी श्रुति चित्रा।ये सुन अर्पिता बोली शान अब हाथ तो छोड़िये हमे सर पर पल्लू लेना है ..!

अर्पिता को सुन शान अपनी हाथो की पकड़ धीमी कर देते है तो अर्पिता हाथ हो छुड़ा कर सर पर आँचल रखती है और अंगुलियों को क्रॉस कर दरवाजे पर खड़ी रहती है।चित्रा आकर दरवाजा खोलती है वो सामने प्रशांत अर्पिता और प्रीत को देख शॉक्ड हो वहीं खड़ी रहती है।चित्रा की आंखों में देख अर्पिता दरवाजे से आगे कदम बढ़ा ही नही पाती है।शान आगे बढ़ जाते है तो उनके थोड़ा आगे चल उन्हें रुकना पड़ता है।वो पीछे मुड़ कर देखते है तो अर्पिता की भरी हुई आँखे और चेहरे पर मजबूरी देख अपने हाथ में उलझा उसके दुपट्टे का सिरा हटा कर वो बिन कुछ कहे अंदर कमरे में चले जाते हैं।

अर्पिता को दरवाजे पर देख चित्रा उसका हाथ पकड़ अंदर खींच लेती है और दरवाजा बन्द कर देती है।आंटी जी अंकल जी श्रुति आप लोग कहां है यहां हॉल में आइये देखिये प्रशांत जी किसे लेकर आये हैं।आंटी जी ...चित्रा ने भरी हुई आंखों से कहा जिसे देख अर्पिता बोली हम यहां अपनी मर्जी से नही आये चित्रा। शान हमे मजबूर कर यहां लाये है हमे प्रीत लौटा दीजिये हम आप दोनो के बीच से चले जाएंगे कहते हुए अर्पिता भावुक हो जार जार रोने लगती है।उसके ये शब्द और सिसकिया अंदर कमरे में प्रीत को बिस्तर पर लिटा रहे शान सुनते है।प्रीत को अंदर कमरे में लिटा मेडिकल किट में रखी बैंडेज निकाल कर शान बाहर आते है।वो अर्पिता के पास आकर उसकी चोट पर बैंडेज लगा देते है एवं एकटक अर्पिता को देखने लगते हैं।
शान ये..अर्पिता बस इतना ही कह पाई वो निशब्द शान की ओर देखने लगती है।

छत पर मौजूद शोभा श्रुति और नृपेंद्र जी चित्रा की आवाज सुन नीचे आते है।सबको देख अर्पिता अपने आंसुओ को पोंछती है और शोभा जी एवं नृपेंद्र जी के पास जाकर उनके चरण स्पर्श करती है।

अर्पिता!तुम अर्पिता ...वो क्या कहे समझ नही पाती तो हाथ उठा उसके गालों पर हल्का सा चांटा लगाती है और बोली तुम क्या हो.. इतनी पगली..क्यों हो?और ये बताओ कहां थी अर्पिता...कहते हुए वो रुक जाती है वो शान की ओर देख बस इतना ही कह पाई तुम और तुम्हारा विश्वास जीत गया प्रशांत..!तुमने अर्पिता को लाकर खड़ा कर ही दिया। हम सब मान चुके थे कि अर्पिता.. अब अर्पिता नही है लेकिन तुमने कभी नही माना।प्रशांत आकर शोभा के गले लग गये और बोले ताईजी आपकी बहु आपके पास आ गयी न अब मान गये आप मुझे खुशी हुई।लेकिन इससे पूछो कि ये हमारे साथ लखनऊ वापस चल रही है या नही।अर्पिता ने सवालिया नजरो से शान की ओर देखा तो शान मुंह फेर वहां से अंदर चले जाते हैं और दरवाजा बंद कर लेते हैं।ये देख अर्पिता दौड़कर शान के पास जाती है और आवाज देते हुए बोली शान प्रीत को गले से चिपक कर सोने की आदत है, नही तो वो सोते हुए डर जाता है और रोने लगता है।

शान ने कोई जवाब नही दिया तो शोभा जी हैरान हो उसके पास आई उन्होंने अर्पिता की ओर देखा उनकी आंखों में कई सवाल है ये देख अर्पिता चुप हो गयी और अटकते हुए धीरे से बोली ताईजी प्रीत हमारे और शान का अंश हमारा बेटा है जो अंदर इनके पास है।

हे ठाकुर जी।मतलब शान का अंश उसका बेटा भी है और हममे से किसी को खबर भी नही अर्पिता।बहुत गलत किया है तुमने शान का नाराज होना जायज है अर्पिता।शोभा जी ने स्पष्ट शिकायती लहजे में अर्पिता से कहा तो अर्पिता बोली ताईजी आप तो हमे समझिये हम यहां कैसे रह सकते है हमे जाना ही होगा..!

हे ठाकुर जी अर्पिता अब भी तुम जिद पर अड़ी हो।और कितना मेरे बच्चे को तंग करोगी बोलो,जवाब दो।कितना परेशान करोगी उसे तुम! और तुम खुद कब तक यूँ खुद को उससे दूर रख पाओगी।प्रेम करती हो उससे तो किसलिए ये सब कर रही हो।शोभा जी सख्त लहजे में बोली।अर्पिता कुछ नही कहती बस आंखों में आंसू लिए खामोश हो जाती है।

शोभा हम अभी के अभी लखनऊ निकल रहे है सुबह तक का इंतजार किया तो ये कहीं फिर से चली न जाये।इस बार नृपेंद्र जी बोले तो अर्पिता खामोश हो नजरे झुका लेती है।शोभा जी चित्रा और श्रुति से बोली जो भी जरूरी सामान ले जाना हो पैक कर लो अब हम सब आधे घण्टे में निकल रहे है अव यहां और रुकना नही है।

श्रुति चित्रा के साथ चली जाती है तो शोभा प्रशांत के पास जाकर आवाज देते हुए बोली प्रशांत अपना जरूरी सामान पैक कर लो हम सब अभी की अभी निकल रहे है ये लड़की जिद नही छोड़ रही है।इससे तो घर में बात करेंगे ठीक है।

शोभा जी वहां से चित्रा के पास जाकर समान पैक करने में मदद करने लगती है।नृपेंद्र जी वहीं रुक अर्पिता के पास आये और बोले, अर्पिता हम सब तुम्हारी मजबूरी समझ रहे है लेकिन तुमने हमारे परिवार के अंश को हम सबसे दूर रखा ये ठीक तो नही किया तुम ठीक थी सुरक्षित थी तुम्हे वापस आना चाहिए था।कितनी मुश्किले अकेले सही होगी तुमने और अब भी हम सबको इस खुशी से वंचित करना चाहती हो क्या ये तुम ठीक कर रही हो।

अर्पिता धीरे से बोली, बड़े पापाजी हमे पता चला है कि चित्रा और इनकी शादी हो चुकी है फिर हम यहां कैसे रुक सकते हैं।हमे हमारी गलती की इतनी बड़ी सजा मिल चुकी है उसे हमे काटनी ही होगी बड़े पापा।

नृपेंद्र जी आगे कुछ कहते तब तक शान प्रीत को लेकर बाहर आ जाते है प्रीत जाग चुके है वो सामने अर्पिता को देख उसके पास आने को मचलता है जिसे देख शान अपने कदम पीछे खींच लेते है।

शान! प्रीत को हमे दीजिये न प्लीज!अर्पिता ने मिन्नते करते हुए कहा जिसे देख शान ने उसकी ओर देखा।

शान की खामोशी समझ अर्पिता बोली हम घर चल रहे है शान! अब तो प्रीत को हमे दीजिये शान सुनो न..!
अर्पिता की बात सुन प्रीत बोला मम्मा ये छान पापा हैं।पापा ने हमें ढूंढ लिया।

हां प्रीत आपके पापा ने ढूंढ लिया अर्पिता ने बताया!जिसे सुन प्रीत शान के गले से चिपकते हुए बोला मेले छान पापा अब मिल गये।अब पापा मेले लिए भी चॉकलेट ऑल ढेल छाली तोफि लाएंगे।

प्रीत की मीठी सी तोतली सी जबान में अपने लिये पहली बार पापा शब्द सुन भावुक हो जाते है वो प्रीत को गले से लगा कर सजल आंखों से अर्पिता की ओर देखते है।उनकी आंखों में एक चमक और खुशी के साथ चेहरे पर मिन्नते के भाव देख शान के बिन कहे उनकी भावनाओ को समझ अर्पिता बोली हम घर चलेंगे शान वहां आप जो भी चाहे अब वही होगा।

अर्पिता की बात सुन शान कुछ नही बोले और प्रीत से बोले आपकी मम्मा बुला रही है प्रीत।उनके पास जाइये..!कहते हुए शान ने प्रीत को गोद से नीचे उतार दिया तो प्रीत नीचे झुक दोनो हाथो से शान के पैर छू लेता है और अर्पिता के पास जाकर उसका अंचल पकड़ बोला मम्मा आपने जैसा कहा था पिलित ने वैसा ही किया।

अर्पिता ने जल्दी से अपने आंसू पोंछे और नीचे बैठ प्रीत से बोली, प्रीत वो जो मुस्कुराती हुई थोड़े से गुस्से में खड़ी हुई है जो आपको देख रही है न वो आपकी बड़ी दादी और उनके पास ही बड़े दादू है उनके पैर छूकर आइये और चित्रा आंटी तथा श्रुती बुआ इनको प्रणाम कर के आइये फिर हम आपके पापा के साथ हमारे घर चलेंगे।

प्रीत ने बड़ी बड़ी आँखे कर कहा हमारे घर मम्मा.. वो छोटे से घर में।

अर्पिता बोली :- नही हमारा एक बड़ा सा और बहुत सुन्दर सा घर है बिल्कुल आपकी निश्छल मुस्कान जैसा तो हम अब वहीं चलेंगे।

ओके मम्मा प्रीत ने कहा तो वो सबसे पहले शोभा के पास गया उसे देख शोभा जी बोली ये तो वही बच्चा है जो कल वादियो में हमारे पास आया था।जिसे देख मेरे मन में सहर्ष ही खुशी भर आई थी।हे ठाकुर जी इतना प्यारा और मनमोहक बच्चा..!प्रीत ने चरण स्पर्श किये तो शोभा जी उसे उठा कर गोद में ले उसके हाथो और माथे को चूमती है।शान वापस कमरे में जाते है तो अर्पिता उनके पीछे चली आती है वो दरवाजे पर पहुंच रुक जाती है।शान पीछे मुड़ अर्पिता को खड़े देखते है तो उसकी ओर आगे बढ़ते है एवं उसका हाथ पकड़ कमरे के अंदर ले जाकर खड़ा कर देते है।शान ने कबर्ड से कपड़े निकाले और उन्हें ट्रॉली बेग में ऐसे ही भरने लगे।ये देख अर्पिता आगे बढ़ती है और उन्हें सम्हाल कर रखने लगती है शान उसके पोस्टर के पास गये और उसे सम्हाल के निकाल कर फोल्ड कर गिटार के कवर में रख दिया उन्होंने वहीं रखे कपड़ो में से एक जोड़ी कपड़े उठाये और बिन कहे चेंज करने निकल गये।
अर्पिता कपड़ो को रख चारो ओर देखा तो उसकी नजर कुछ और जरूरी चीजे एक अलमारी में उठाने के इन्तजार में बैठी है उन पर पड़ती है उन्हें उठा कर वो सम्हाल कर रख एक पॉलीथिन में रैप कर रख देती है।चेंज कर शान बाहर आते है तो अर्पिता की नजर उनके हाथ में पड़ी उसकी पायल पर पड़ती है।जिसे देख वो सोचती है शान ने अब तक इन्हें इतनी सम्हाल कर रखी है ये देख वो शान के पास आती है और उनका हाथ पकड़ती है। शान दूसरे हाथ से उसका हाथ छुड़ा कर शर्ट पहन लेते है।अर्पिता अपने कदम पीछे खींच लेती है और बाथरूम में जा कर एक नजर डाल उनके पिछले कपड़े और टॉवल दोनो उठा उन्हें भी कवर कर पैक कर देती है।वो बैग उठा नीचे रखती है तो शान बिन कुछ कहे आगे आकर वो बैग ले लेते हैं।उनके बिखरे बाल देख अर्पिता सामने खड़े हो जाती है और हाथ बढ़ा कर बालो को सम्हालने लगती है।शान एकटक उसे देख मन ही मन कहते है तुम्हारे इस एक स्पर्श के लिए कितना तड़पा हूँ मैं अर्पिता.. ।बालो को सम्हाल अर्पिता हाथ हटाती है तो शान एक तरफ हो बेग लेकर बाहर निकल आते हैं बाहर सभी समान के साथ तैयार खड़े है शान के आते ही प्रीत छान पापा करता हुआ उनके पास आ जाता है ये देख मुस्कुराते हुए उसे गोद में उठा लेते है और सभी वहां से स्टेशन के लिए निकल जाते हैं।

क्रमशः ...