Dogi ka Prem - 7 in Hindi Animals by Captain Dharnidhar books and stories PDF | डोगी का प्रेम - 7

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डोगी का प्रेम - 7

सत्य कहूँ तो चेरी को भगवान ने बात करने के लिए जबान नही दी ..बाकि समझती सब थी ..
खुशी किसी की भी हो छुप नही सकती ..जानवर जब खुश होते है तो उछल कूद करना, इधर उधर भागना , लोट मारना यह सब करते हैं ..
मौसम सुहावना हो तो मस्ती आ ही जाती है ..
एक बार आसमान में बादल छाए हुए थे ..सुहावनी मन्द मन्द हवा चल रही थी ..हमारा खुद का मन भी बाहर जाकर मौसम का लुत्फ उठाने का हो रहा था ..हम बाहर पार्क के पास आकर खड़े हो गये ..मौहल्ले के लोग भी इकट्ठा हो गये थे ..हम आपस में बात कर रहे थे ..चेरी मेन गेट की जाली से हमें देखकर भौंक रही थी ..हमारा ध्यान उस पर गया ..पत्नी बोली वह भी बाहर आने के लिए कह रही है ..मैने कहा अभी तो बाहर से अंदर गयी ही है अब फिरसे तैयार हो गयी । पत्नी बोली हम सब बाहर घूम रहे हैं ..उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा ..मैने आवाज दी चेरी बाहर आयेगी क्या ? ..चेरी उछलकूद करने लगी मैन गेट पर अपने आगे दोनों पांव लगाकर सहमति देने लगी ..मै खुद उसके पास गया तो उछलकूद जोर जोर से करने लगी.. जैसे कह रही हो ..हां हां ..जल्दी से गेट खोलो ..जैसे ही गेट का एक तरफ का किवाड़ खोला ..चेरी जोर से दौड़ी ..पहले पत्नी के पास आयी..जैसे शुक्रियादा कर रही हो ..इतने में राहगीर बच्चे पर नजर पड़ी ..वह दौड़ पड़ी ..चेरी को दौड़ते देख ..राहगीर बालक जोर से चिल्लाकर भागा .. बालक आगे ..चेरी पीछे... चेरी के पीछे पीछे मै भी दौड़ा ..मै भी चिल्लाकर बोला ..रूक जा चेरी ! ..रूक..रूक..चेरी रूक तो गयी पर.. कभी मुझे देखती ..कभी ..बालक को ..तब तक बालक दूर जा चुका था ..मेरे चेहरे पर गुस्सा देख चेरी भागकर गाड़ी के नीचे छुप गयी ..मैने उसका पीछा नही किया ..ऐसे ही बड़बड़ाता रहा ..आज पिटेगी चेरी ..कहां है ? ..हाँलाकि मुझे पता था चेरी गाड़ी के नीचे छुपी है ..
थोड़ी देर में चेरी ने गाड़ी के नीचे से मुँह बाहर निकाला ..मैने देखते ही उससे कहा रूक तुझे बताता हूँ ..यह सुनते ही चेरी वापस गाड़ी के नीचे ..यह क्रम चलता रहा ..कुछ देर बाद मैने कह दिया आजा आजा अब ..चेरी झटसे बाहर आगयी और हमारे पास आकर बैठ गयी ..जब तक हम बाहर रहे तब तक हमारे पास ही बैठी रही ।
अचानक चेरी भौंकती हुई दौड़ी ..हमारी नजर चेरी की तरफ ..हमने देखा .. एक बिल्ली ऊंची पुंछ किये दौड़ती हुई ..एक पेड़ पर चढ़ गयी .. चेरी पेड़ के नीचे खड़ी खड़ी ऊपर बिल्ली को देखकर भौंक रही है । चेरी की आवाज बड़ी बुलंद थी .. मैने कहा ..आजा ..आजा ..बस हो गया .. तू बहुत बलवान है ..बिल्ली डर गयी ..चेरी मेरी तरफ देखकर ..फिर बिल्ली की तरफ मुँह करके भौंकने लगी ..चेरी ने अपनी पुंछ को ऊंचा कर रखा था ..कभी कभी भौंकने के साथ उसकी अपान वायु पीछे से निकलती ..हम सबको हंसी आती ..हमने बार बार आने को कहा लेकिन अपनी बहादुरी दिखाये ही जा रही थी । मैं खुद उसको पकड़ कर ले आया ..तब जाकर आई...

क्रमश---