Jaadu Jaisa Tera Pyar - 8 in Hindi Love Stories by anirudh Singh books and stories PDF | जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 08)

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जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 08)

बेचारी चटखनी😂.....कैरियर संवारने में लगी एक घनघोर सिंगल सिंसियर स्टूडेंट,आख़िर क्या जबाब देती अपने डैड को😀......टालमटोल कर के टालती रही ......

जब प्रिया ने यह बात हम दोस्तों को बताई तो कसम से..... हंस हंस के मेरी हालत खराब हो गयी।
"चटखनी.....कहां से लाएगी तू नकली बॉयफ्रेंड।" सौम्या ने मजे लेते हुए कहा।

"मेरी छोड़,अगर तू मेरी जगह होती तो क्या करती"
प्रिया ने उल्टा सवाल उसी पर दाग दिया

थोड़ी देर सोचने के बाद सौम्या ने जबाब दिया
"ढूंढ लेती किसी शरीफ लड़के को,रियलिटी में ही.....कम से कम सम्राट जैसे लोफर से पीछा तो छूटता,और डैड से कहा झूठ भी सच साबित हो जाता"

"अच्छा....कुछ भी....एकदम से ऐसे ही ढूंढ लेती....किसी भी ऐरे गैरे को....यूं ही।"
प्रिया ने मुंह बनाते हुए तंज कसा।

"रियली...क्या अनिकेत ऐरा गैरा लगता है प्रिया तुझे"

जोश जोश में होश खो बैठी थी सौम्या,और जुबान ऐसी फिसली की मैं,प्रिया और मिहिर....तीनो ही शॉकिंग शक्ल बना कर सौम्या और अनिकेत को घूरने लगे ।

जब तक सौम्या को अहसास हुआ कि उसका सीक्रेट गलती से उसके मुंह से निकलकर सार्वजनिक हो गया है,वह हड़बड़ा गयी........और अनिकेत, वह तो मानो हमारे बीच से अचानक ऐसे अदृश्य हुआ जैसे मानो गधे के सिर से सींग।😂

"सौम्या......दुष्ट.......कब से चल रहा ये......"
प्रिया ने अपनी बेस्ट फ्रेंड पर अधिकार जताते हुए सख्त आवाज में सवाल दागा।

शब्द बाण तो चल ही चुका था, रहस्य भी उजागर हो ही चुका था, छिपाने से अब क्या फायदा ........अब बेचारी सौम्या की मजबूरी हो गई थी सच स्वीकार करना।

"सिक्स मन्थ हो गए..........व...वो हम तुम सब को बताने ही वाले थे"

"भई बड़ा तेज हो गया जमाना, दिन भर साथ रहने के बाद भी हम तीनो को कानोंकान खबर भी न हुई....मान गए तुम दोनों को" मिहिर ने सौम्या के इस लव की सीक्रेटनेस पर तंज कसा।

"आगे क्या इरादा है अब"

मैंने सौम्या का फ्यूचर प्लान जानना चाहा।

पर जबाब सौम्या के स्थान पर कहीं और से आया......ठीक पीछे से......
अनिकेत किसी तरह हिम्मत जुटा कर वापस लौट आया था।
"एक बार कैम्पस सिलेक्शन हो जाये हम दोनों का......फिर डायरेक्ट अपने घरों पर बात करेंगे शादी के लिए......फैमिलीज मान गयी तो ठीक.....नही तो......"

"नही तो क्या......" प्रिया ने प्रतिक्रिया की।

"नही तो......फुर्र" अनिकेत ने हाथों के इशारे से हवाईजहाज उड़ाते हुए बड़े कॉन्फीडेंस से कहा, जिसे सुनकर हम सब आश्चर्य चकित हो गए,और सौम्या.....शरमा गई।

सच में....हमारे ही सिरहाने पर एक प्रेमकहानी पक चुकी थी, और हमें कानोंकान खबर तक न थी।

खैर हमारे ग्रुप के ही दो लोग आपस में ही फ्यूचर प्लानिंग का डिसीजन ले रहे थे, इस से बड़ी खुशी की बात हमारे लिए और क्या हो सकती थी।

कुछ दिन बाद.....

मैं लाइब्रेरी में बैठा पढ़ रहा था, तभी प्रिया भी अपनी बुक्स ले कर साथ आ जाती है.....फाइनल ईयर के एग्जाम्स में बस कुछ ही दिन बाकी थे।

प्रिया- "क्या सोचा फ्यूचर का ?"

मैं- "मैं क्या सोचूंगा, सिंगल ही हूँ न मैं तो...जॉब के बाद ही देखूंगा वो सब तो।"

प्रिया- " अरे बुद्धू...मैं कैरियर के बारे में पूंछ रही हूँ...एमबीए करना है आगे या जॉब"

मैं - "करना तो एमबीए चाहता था,पर उसके लिए फाइनेंशियली स्ट्रांग होना जरूरी है.....हर बार तो स्कॉलरशिप नही मिल सकती न...नेक्स्ट वीक कैम्पस प्लेसमेंट सेल लग रही है कॉलेज में,जिसमे कई मल्टीनेशनल कम्पनीज पार्टिशपेट कर रही है...इसलिए पहले कैम्पस सिलेक्शन लूंगा, कुछ टाइम जॉब करके सेल्फ डिपेंडेंट बनूंगा .…..फिर एमबीए करूंगा.......और तुम?"

प्रिया- "मेरा क्या.…...पहले एमबीए करूंगी उसके बाद बिजिनेस ऑलरेडी है ही पापा का .....तो उनकी हेल्प करूंगी।"

मैं- "ओह, गुड़"👍

प्रिया- वैसे एक सवाल का जबाब दो, तुम्हे तुम्हारे बाद सब से ज्यादा कौन समझता है?

थोड़ी देर सोचने के बाद मैंने जबाब दिया
"ऑफकोर्स.....तुम....पर ऐसा क्यों पूंछा?"

प्रिया- "क्योंकि मैं तुमको तुम्हारे बारे में ही कुछ बताना चाहती हूँ,जो तुम नही समझ पा रहे हो.......वैभव, कोई भी जॉब तुम को डिजर्व नही करती......तुम्हारे अंदर बिजिनेस लीडरशिप वाली क्वालिटीज है.....खुद का एम्पायर खड़ा करने की काबिलियत है तुम्हारे अंदर....."

मैं- (हंसते हुए)- अरे वाह, ऐसी भी क्वालिटीज है मुझमें 😂

प्रिया-"आई एम सीरियस वैभव.....मेरी नजरें धोखा नही कहा सकती .....तुम जॉब की जगह खुद का कोई स्टार्टअप स्टार्ट करो..आगे तुम्हारी मर्जी...बाई द वे अब चलती हूँ....घर जल्दी पहुंचना है आज ......बाय"

और इसी के साथ प्रिया वहां से जा चुकी थी, मुझे कई सारे सवालों के जाल में उलझा के......सवाल बिजिनेस और जॉब में से एक चुनने का तो था ही....साथ ही एक और सवाल मेरे अंतर्मन में गूंज रहा था.......क्या प्रिया सच में मुझे मुझसे भी ज्यादा समझती है.....अगर हां ,तो क्या यह सिर्फ सामान्य दोस्ती ही है,या फिर उस से आगे कुछ और?


( कहानी आगे भी जारी रहेगी )