Ek thi Nachaniya - 4 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | एक थी नचनिया--भाग(४)

Featured Books
  • The Devil (2025) - Comprehensive Explanation Analysis

     The Devil 11 दिसंबर 2025 को रिलीज़ हुई एक कन्नड़-भाषा की पॉ...

  • बेमिसाल यारी

    बेमिसाल यारी लेखक: विजय शर्मा एरीशब्द संख्या: लगभग १५००१गाँव...

  • दिल का रिश्ता - 2

    (Raj & Anushka)बारिश थम चुकी थी,लेकिन उनके दिलों की कशिश अभी...

  • Shadows Of Love - 15

    माँ ने दोनों को देखा और मुस्कुरा कर कहा—“करन बेटा, सच्ची मोह...

  • उड़ान (1)

    तीस साल की दिव्या, श्वेत साड़ी में लिपटी एक ऐसी लड़की, जिसके क...

Categories
Share

एक थी नचनिया--भाग(४)

सब वहाँ भागकर पहुँचे और फिर रामखिलावन कस्तूरी को समझाते हुए बोला...
कस्तूरी!पागल हो गई है क्या?जानती है कि ये कौन हैं?ये जुझार सिंह जी हैं जिन्होंने हमें नौटंकी करने यहाँ बुलाया है,माँफी माँग इनसे...
ये सुनकर कस्तूरी कुछ देर शांत रही फिर उसने रामखिलावन का चेहरा देखा जो उससे माँफी माँग लेने की विनती कर रहा था,इसलिए फिर वो जुझार सिंह से बोली....
माँफ कर दीजिए,गलती हो गई और इतना कहकर वो धर्मशाला के भीतर चली गई...
कस्तूरी के जाने के बाद रामखिलावन बात सम्भालते हुए जुझार सिंह से बोला....
नादान है सरकार!आपको पहचानने में उससे भूल हो गई,नासमझ समझकर माँफ कर दीजिए,वैसे दिल की बुरी नहीं है बस जुबान थोड़ी कड़वीं हैं,नाचती बहुत अच्छा है,आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा हुजूर!
ठीक है...ठीक है....तुझे ज्यादा सफाई पेश करने की जरूरत नहीं है,अच्छी तरह समझा देना उसे अगर आज के बाद फिर हमसे ऐसी बदजुबानी की ना तो इस गाँव में क्या अगल बगल के किसी भी गाँव में नाचना मुश्किल हो जाएगा,जुझार सिंह बोला....
जी!सरकार!फिकर ना कीजिए,मैं उसे सब समझा दूँगा,रामखिलावन बोला....
ठीक है तो अभी हम जा रहे हैं,शाम को नौटंकी में मिलना और इतना कहकर जूझार सिंह चला गया....
रामखिलावन धर्मशाला के भीतर पहुँचा और कस्तूरी से बोला...
बिल्कुल ठीक किया तूने,ऐसे लोंगों से डरा मत कर,नहीं तो जितना डरोगी उतना ही ये लोंग डरायेगें....
मैं ऐसे टुच्चे लोगों से ना डरती,कस्तूरी बोली।।
शाबास!मेरी बहना!रामखिलावन बोला।।
सभी आपस में बातें ही कर रहे थे कि तभी धर्मशाला के दरवाज़े के बाहर किसी ने रामखिलावन को आवाज़ दी....
रामखिलावन....ओ...रामखिलावन तनिक बाहर आ।।
रामखिलावन बाहर पहुँचा तो वहाँ एक आदमी खड़ा था,तब रामखिलावन ने उसके पास जाकर पूछा....
कौन हो भाई?और मुझे काहें पुकार रहे थे....
हमें मालिक ने भेजा है,वो आदमी बोला...
कौन मालिक?रामखिलावन ने पूछा।।
अरे...ठाकुर जुझार सिंह..वो आदमी बोला।।
का काम आन पड़ा उनको मुझसे?रामखिलावन ने पूछा।।
तुमसे काम नहीं है उनको,तुम्हारी नौटंकी की नचनिया से काम है,वो आदमी बोला।।
ऐसा का काम है ,रामखिलावन ने पूछा।।
वो तो वो ही बताऐगें,उन्होंने नचनिया को अपनी हवेली में बुलवाया है,वो आदमी बोला।।
वो अभी थकी है,अपने मालिक से कह देना,उसे नाच का अभ्यास भी करना है,उन्हें मिलना है तो उससे नौटंकी के बाद मिल लेगें ना!रामखिलावन बोला।।
वो ना बरदाश्त नहीं कर पाते,वो आदमी बोला।।
मेरी इतनी हिम्मत जो उनको ना कहूँ....ना...नहीं है ये,ये तो विनती है,रामखिलावन बोला।।
ठीक है तो हम उनसे बता देगें, इतना कहकर वो आदमी चला गया....
रामखिलावन भीतर पहुँचा और उसने सभी से पूरी बात बताई ,फिर उन सबसे बोला....
अभी तो मैनें बात सम्भाल ली है लेकिन रात की नौटंकी में जाने पहले ही सामान बाँधकर तैयार रखना,नौटंकी होते ही निकल लेगें,तब हारमोनियम वाला बबलू बोला....
और शामियाना वगैरह का क्या करेगें?
तब रामखिलावन बोला....
बबलू तू कस्तूरी को नौटंकी खतम होते ही अपने साथ लेकर निकल जाना,हम सब शामियाना लेकर बाद में आते रहेगें....
लेकिन बैलगाड़ी से तो हम जल्दी गाँव नहीं पहुँच सकते,बैलगाड़ी की रफ्तार तो वैसे भी धीमी होती है,बबलू बोला।।
मैं देखता हूँ अगर कोई ताँगा मिल जाता है तो,रामखिलावन बोला.....
और फिर उस दिन सभी ने नौटंकी का अभ्यास तो कम किया और रात को भागने की तिकड़म में अधिक व्यस्त हो गए,जैसे तैसे दिन डूबा और अँधेरा गहराने लगा तो रामखिलावन को कस्तूरी की चिन्ता सताने लगी,रामखिलावन ने कस्तूरी से कहा....
खाना पीना ठीक से खा लो,वहाँ नौटंकी में किसी का भी कोई भरोसा नहीं है,ना किसी का दिया कुछ खाना और ना ही किसी का दिया कुछ भी पीना,तैयार भी तुम यही होना,इसी बंद कमरें में,वहाँ तैयार होने की कोई जरुरत नहीं है,बाक़ी मैं बाद में देख लूँगा,इतनी हिदायतों के बाद ही रामखिलावन ने कस्तूरी को नौटंकी में भेजा....
कुछ ही देर में नौटंकी शुरू हुई और कस्तूरी ने गाना शुरू किया.....

अरे हम से बलम की ऐसी बिगड़ी,
हमरी कतरी सुपारी ना खायें,
हाय हाय,हमरी कतरी सुपारी ना खायें,

सोने की थरिया में ज़्योना परोसा,
अरे हम से बलम की ऐसी बिगड़ी,
वो तो खावे सौत घर जायें,
हाय हमरी कतरी सुपारी ना खायें,

बेला चमेली का सेज बिछाया,
अरे हमसे बलम की ऐसी बिगड़ी,
वो तो सोवे सौत घर जाए,
हाय हमरी कतरी सुपारी ना खायें,

लौंग इलाइची का बीड़ा लगाया,
अरे हम से बलम की ऐसी बिगड़ी,
वो तो रचेबे सौत घर जायें,
अरे हम से बलम की ऐसी बिगड़ी,
हाय हमरी कतरी सुपारी ना खायें,

उस भीड़ में मोरमुकुट भी कहीं छुपा बैठा था,कस्तूरी के मना करने पर वो वहाँ आ पहुँचा था,उसे कस्तूरी को देखना था इसलिए उसे बिना बताएं वो वहाँ पहुँच गया,लेकिन इतनी सारी पेट्रोमैक्स की रौशनी के बीच आखिरकार कस्तूरी ने उसे देख ही लिया और फिर नाचने लगी,कुछ देर बाद नौटंकी खतम हुई और वो शामियाने के पीछे पहुँची तभी वहाँ मोरमुकुट आ पहुँचा और मोरमुकुट के पहुँचते ही वहाँ रामखिलावन और बबलू भी पहुँच गए और रामखिलावन ने कस्तूरी से कहा....
तुम अपने भागने की तैयारी करो और सीधी अपने गाँव पहुँचकर ही दम लेना....
तब बबलू बोला....
लेकिन बैलगाड़ी से जल्दी पहुँचना बहुत ही मुश्किल होगा रामखिलावन!
उन दोनों की बात सुनकर मोरमुकुट सिंह बोला....
मैं हूँ ना!मेरे पास बग्घी है,मैं उसी से आया हूँ....
लेकिन तुम हो कौन ?रामखिलावन ने पूछा।।
मुझे कस्तूरी अच्छी तरह से जानती है,मोरमुकुट बोला।।
ये कौन सा चक्कर है कस्तूरी?रामखिलावन ने चुटकी लेते हुए पूछा...
चक्कर...वक्कर कुछ नहीं है,अपने गाँव का है और अभी हमें इसकी बग्घी की बहुत जरूरत है,कस्तूरी बोली....
ठीक है....ठीक है....बिगड़ क्यों रही है? मैं तो मज़ाक कर रहा था,रामखिलावन बोला.....
ठीक है तो फिर चलो,जल्दी से बग्घी में बैठ जाओ और जैसे ही मोरमुकुट ने इतना कहा तो पीछे से जुझार सिंह आकर बोला.....
अरे,छमिया कहाँ चली?जरा दो घड़ी हमसे भी बात कर लो,हमारा भी दिल बहला दो,कब से तुम्हारी राहों में अपना दिल लेकर खड़े हैं.....
जुझार सिंह को सामने देखकर रामखिलावन के तो जैसे होश ही उड़ गए और वो बात को सम्भालते हुए बोला....
हुजूर!ख़बर आई है कि कस्तूरी की दादी की बहुत तबियत खराब है,का पता आखिरी दर्शन भी ना हो पाएं,इसलिए गाँव के मुखिया ने इस लड़के को बग्घी लेकर भेजा है कस्तूरी को लिवाने के लिए,इसलिए तो बेचारी जा रही थीं,माँ बाप तो हैं नहीं बेचारी के एक दादी है ऊपर से छोटे छोटे भाई बहन हैं तो घर में दादी की हालत को देखकर बिलख रहे होगें.....
तुम झूठ तो नहीं कह रहे,जुझार सिंह ने पूछा।।
ना!हुजूर!मेरी क्या मजाल तो आपसे झूठ कहूँ?रामखिलावन बोला।।
अच्छा!ये बात है तो फिर कस्तूरी को जाने दो,लेकिन याद रखना ये अधूरी मुलाकात पूरी जरूर करनी पड़ेगी,जुझार सिंह बोला....
हाँ....हाँ....हुजूर!क्यों नहीं!जब आप चाहें,रामखिलावन बोला।।
तो अभी तो हम जा रहें हैं लेकिन इन्तज़ार रहेगा अधूरी मुलाकात को पूरी करने का और इतना कहकर जुझार सिंह वहाँ से निकल गया,जुझार सिंह के जाते ही रामखिलावन ने कस्तूरी से कहा....
अब निकल जल्दी से,खड़ी क्या है?जा बैठ बग्घी में,मैं सामान बाँधकर पीछे पीछे आ रहा हूँ....
और फिर रामखिलावन की बात सुनकर कस्तूरी,बबलू और मोरमुकुट तीनों ही बग्घी में जा बैठें और मोरमुकुट की बग्घी हाँकने वाला बग्घी हाँकने लगा,वें लोंग यूँ ही रातभर चलते रहे,बग्घी के आगें लगी दोनों लालटेनें रात भर जलती रहीं,गुलाबी गुलाबी ठंड थी और सभी ने कम्बल ओढ़ रखें थे,कम्बल ओढ़ने के बाद भी सभी को जाड़ा लग रहा था, सर्दियों की रात ऐसी ही होती है,जब तक घर के भीतर ना बैठो तो ठण्ड जाती ही नहीं,चाहे कितने भी कपड़े ओढ़ लो ,जाड़ा तो घर की चारदिवारी में ही मिटता है,जब पेड़ो पर चिड़ियाँ चहचहाने लगी और थोड़ा दिन निकल आया तो तब सबको थोड़ा चैन मिला,सभी रातभर जागते आ रहें थें,एक पल को भी पलकें ना मूँदीं थीं,वें सब चलते जा रहे थें,तभी रास्ते में सभी एक तालाब के पास से गुजरें तो कस्तूरी ने बग्घी रोकने को कहा,वो बोली तालाब पर मैं जरा चेहरा धुलकर आती हूँ,बग्घी रूकी तो कस्तूरी उतरकर तालाब के किनारे जा पहुँची और चेहरा धुलकर वापस बग्घी में जा बैठी और बग्घी वाले से बोली,अब बग्घी सीधी गाँव में जाकर ही रोकना.....
कुछ ही देर में सब गाँव भी पहुँच गए,कस्तूरी अपने घर के आगें उतर गई ,उसने मदद के लिए मोरमुकुट का शुक्रिया अदा किया फिर बग्घी आगें बढ़ गईं और वो मोरमुकुट को जाते हुए देखती रही......

क्रमशः.....
सरोज वर्मा.....