Kala Jaadu - 11 in Hindi Thriller by roma books and stories PDF | काला जादू - 11

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काला जादू - 11

काला जादू ( 11 )

कुछ दिनों बाद अनुष्का शाम के समय पीयूष को अपने घर बुलाती है।

लगभग 7:30 बजे के आसपास पीयूष पीली टीशर्ट और काला पजामें में अनुष्का के घर आकर उसके घर का दरवाजा खटखटाता है, कुछ देर बाद अनुष्का दरवाजा खोलती है , इस दौरान अनुष्का ने लाल नाईट गाउन पहना हुआ था ।

" भीतारे आशो.... " अनुष्का ने कहा, उसके ऐसा कहते ही पीयूष अंदर की ओर आने लगा, अंदर आते ही उसने कहा " हमको ऐशा फोन कोर के क्यों बुलाया तुम? "

" क्योंकि हमको तुमशे कोई काज आछे.... " अनुष्का ने गंभीर स्वर में कहा।

" काज? कौन शा काज? "पीयूष ने आँखें भींचते हुए कहा।

" पहला तुम वादा करो कि ये बात तुम किशी को भी नहीं बोताएगा..... " अनुष्का ने अपना दायाँ हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

" ओच्छा बाबा, ले वादा कोर दिया, अब तो बोल.... " पीयूष ने भी अपना दायाँ हाथ उसके हाथ पर रखकर कहा।

" तुम्हें आश्विन सोर का खाना में कुछ मिलाना होगा..... "

यह सुनकर पीयूष बुरी तरह से चौंक गया और उसने अपना हाथ अनुष्का के हाथों से हटाते हुए कहा " ये तुम क्या बोल रहा है ओनुष्का? तुम्हारा दिमाग तो ठीक आछे ना? तुम हमारा हाथों आश्विन सोर का खाना में जहर डोलवाएगा? "

यह सुनकर अनुष्का बोली " अरे तुम पागोल हो गया है क्या ? हम जहर नहीं दे रहा है उन्हें.... "

" फिर क्या ओमृत डोलवा रहा है होमारे हाथे? "

यह सुनकर अनुष्का ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा " ओफ बाबा कि मानुष आछे..... हम जहर नहीं डोलवा रहा उनका खाने में, बल्कि एक बाबा का शिद्धो किया हुआ वाभूत डोलवा रहा है..... "

" कि वोभूत? ऐ ओनुष्का तू क्या कोर रहा है? " पीयूष ने हैरानी से कहा।

" देख पीयूष हमने आश्विन सोर को इम्प्रैस कोरने का हार शोंभव जोतन कोर लिया किंतु वो तो हमको देखता भी नोही है इशलिए अब हम उन पोर दूसरा तोरीका आजमाएगा..... "

" कौन शा तोरीका? "

" काला जादू..... " अनुष्का ने कहा।

" कि? काला जादू? तुमी कि पागोल? अरे आश्विन सोर को कुछ हो गया तो? " पीयूष ने आक्रोशित स्वर में कहा।

" अरे उनको कुछ नहीं होगा, ये नुकसान ना कोरने वाला टोटका आछे....इससे आश्विन सोर हमशे प्यार कोरने लोगेगा..... " ये कहते हुए अनुष्का की आँखों में एक चमक आ गई।

यह सुनकर पीयूष ने कहा " किंतु ओनुष्का.... " तभी अनुष्का ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा " किंतु पोरोंतु कुछ नोही..... तुम हमारा दोश्त है तो तुमको ये कोरना ही पोड़ेगा..... प्लीज़ पीयूष हमारा दोश्ती का लिए हमारा हैल्प कोर दो आई प्राॅमिस इसके बाद हम तुमसे ऐशा कुछ कोरने के लिए नोंही बोलेगा। "

यह सुनकर पीयूष ने कुछ सोचकर कहा " पक्का इससे आश्विन सोर को कुछ नहीं होगा ना? "

" पक्का बाबा... "

" फिर हम तुम्हारा ये काम कोर देगा, लेकिन इशका बारे में किशी को मोत बोताना हाँ.... "

" अरे हमको मोरना थोड़ी है किसी को बताकर.... हम नहीं बोताएगा किशी को भी... "

" फिर हम तुम्हारा काम कोल ही कोरने का कोशिश कोरेगा.... " पीयूष ने कहा।

______वर्तमान में______

इंस्पेक्टर जतिन की यह बात सुनकर आकाश, ज्योति और अश्विन तीनों चौंक जाते हैं।

" क्या ?!? मुझ पर अनुष्का ने काला जादू करवाया था? " अश्विन ने हैरानी से कहा।

" जी पीयूष ने तो हमको यही बोला था..... " जतिन ने गंभीर स्वर में कहा।

" और क्या क्या किया इसने मेरे ऊपर? "अश्विन ने गुस्से में कहा।

" उशने हमें बोताया कि आनुष्का ने आप पोर बहुत बार काला जादू किया था लेकिन आप पोर इसका ज्यादा ओसर नहीं होता था, इसलिए वह बार बार ओलग ओलग बाबा शे आपका ऊपर काला जादू कोरवाता था। "

" तो उसके बाद अनुष्का कहाँ गई? उसका कुछ पता चला ? "

" जी नोही उशका तो पोता नहीं चोला लेकिन गायब होने से पहले आपका एरिया का पाश से उशे एक काॅल आया था.... " जतिन ने गंभीर स्वर में कहा।

" मेरे एरिया से? तो पता चला कि वो काॅल किसने किया था? "

" जी नहीं बट वो भी हमें जोल्दी ही पोता चोल जाएगा.... "

इस पर अश्विन ने कुछ सोचते हुए कहा " पता नहीं इंस्पेक्टर आपके लिए ये बात काम की होगी भी या नहीं लेकिन कुछ समय पहले अनुष्का का अपने एक दोस्त के साथ काफी झगड़ा हुआ था, जिसमें अनुष्का के नाक पर काफी चोट भी आई थी। "

" क्या ? कौन है वो?

" वो मनीष नाम का एक शख्स था, उस झगड़े के बाद मनीष को काम से निकाल दिया गया था। "

" आपने इतना जोरूरी बात हमको पहले क्यों नहीं बताया? "

" मुझे लगा कि दोनों दोस्त होंगे इसलिए बात वहीं खत्म हो गई होगी.... मुझे नहीं पता था कि अनुष्का ऐसे अचानक से गायब हो जाएगी। "

" ठीक है, ये मोनीष रहता किधर है? "

" जी आफिस के रिकार्ड में होगा लेकिन हाँ सर इस पीयूष को उसके बारे में जरूर पता होगा क्योंकि वह मनीष का भी दोस्त था। "

" ठीक आछे , अब होम दोबारा इश पीयूष को उठवाएगा और उशशे उश मोनीष का बारे में शोब उगोलवाएगा ।"

" जी सर, अनुष्का मिले तो बताना.... "

" जी जोरूर.... अब होम चोलता है कोई जोरूरत पड़ी तो तुमको दोबारा तोकलीफ देगा। " कहकर जतिन अपने साथी पुलिस कर्मी के साथ वहाँ से चला जाता है।

जतिन के जाने के बाद ज्योति अश्विन से पूछती है " ये अनुष्का कौन है बेटा? "

" मेरे साथ काम करती थी ... पता नहीं कैसे वो एक दिन अचानक से गायब हो गई। "

" उस लड़की ने तेरे ऊपर काला जादू किया ये सुनकर तो मेरी रूह ही काँप गई इसलिए बेटा मेरी बात मान तू किसी दूसरे शहर में काम देख.... " ज्योति ने चिंतित स्वर में कहा।

" मम्मी मैं इतनी अच्छी जाॅब सिर्फ इस वहम की वजह से छोड़ दूँ इतना पागल नहीं हूँ मैं...और वैसे भी उसका किया हुआ काला जादू काम ही कहाँ किया मेरे ऊपर। "

" बेटा अपने लिए ना सही हमारे लिए ही सही..... " ज्योति ने कहा और ये कहते समय ज्योति की आँखों में स्वत: ही आँसू आ गए।

ज्योति को यूँ रोता देखकर अश्विन ने उन्हें गले लगाते हुए कहा " मम्मी प्लीज़ आप रोईए मत..... आप जो कहेंगी वो मैं करूँगा बस मुझे इसके लिए थोड़ा सा समय दीजिए। "

" तुझे इस जगह से निकलने के लिए समय क्यों चाहिए बेटा? "

" मम्मी मैंने अभी अभी यहाँ ज्वाइन किया है और अगर मुझे काम छोड़ना भी हो तो मुझे कंपनी को 1 -2 महीने पहले बताना होगा ताकि वे इस दौरान मेरी जगह किसी और शख्स को रख सकें। " अश्विन ने उन्हें समझाते हुए कहा।

" ठीक है बेटा लेकिन तब तक मैं भी तेरे साथ ही रहूंगी.... "

" ठीक है मम्मी... " अश्विन ने ज्योति को गले लगाते हुए कहा।

______________________

अगले दिन -

घर पर ऐसे बैठना अश्विन को अच्छा नहीं लग रहा था और अब वह पहले से काफी बेहतर भी महसूस कर रहा था इसलिए वह सुबह उठकर तैयार होने लगा , उसने हरी शर्ट के साथ काली पतलून पहनी ही थी कि उसे यूँ तैयार होता देखकर ज्योति ने उससे पूछा " कहाँ जाने के लिए तैयार हो रहे हो? "

" घर पर बैठे बैठे बहुत उब गया हूँ, इसलिए आॅफिस जा रहा था।" अश्विन ने कंघी से अपने बाल संवारते हुए कहा।

" लेकिन बेटा पहले ठीक तो हो जा.... "

" ठीक ही हूँ मम्मी अब तो मैं..... अगर मैं ऐसे ही घर पर बैठा रहा तो पागल हो जाऊँगा, इसलिए मेरे लिए आॅफिस जाकर काम करना ही ठीक रहेगा , अच्छा अब मैं चलता हूँ रास्ते में किसी होटल से खाना खा लूँगा और आप लोग भी कुछ खा ही लेना। " कहकर अश्विन एक काला बैग लेकर बाहर की ओर निकल पड़ा।

अश्विन आॅफिस जाने के लिए अपने घर से बाहर निकला ही था कि तभी उसे विंशती के फ्लैट के बाहर बैंगनी कुर्ती और पीली सलवार में विंशती खड़ी हुई दिखाई देती है।

विंशती को वहाँ खड़ा देखकर अश्विन खुद को रोक ही नहीं पाता और उसके पाँव स्वत: ही विंशती की ओर बढ़ने लगते हैं, "अरे विंशती यहाँ क्या कर रही हो? "अश्विन ने विंशती के पास आकर कहा।

" वो होम दादा का वेट कोर रहा है..... "

" लेकिन यहाँ क्यों? काॅलेज जाना है तो चलो मैं तुम्हें छोड़ आता हूँ.... "

" अरे होम काॅलेज नहीं जा रहा है, हम तो अपना बोना..... आई मीन अपना बड़ा बहिन के घोर जा रहा है ।"

" अचानक से कैसे? कोई बात हुई क्या? " अश्विन ने हैरानी से कहा।

अब इससे पहले कि विंशती कुछ कहती अंदर से प्रशांत आ गया, अश्विन को विंशती के साथ खड़ा देखकर वह बोला " अरे आश्विन दादा कैशा है तुम? "

" मैं एकदम ठीक हूँ अब दोस्त, लेकिन तुम लोग अचानक से कहाँ जा रहे हो? "

" अरे वो होमारा मासी का बेटी विंशती को बहुत याद कोर रहा था , तो होमने सोचा कि चलो फिर विंशती को कुछ दिन का लिए उसका पास छोड़ आता हूँ। "

" ये बिल्कुल सही किया तुमने, अब कम से कम कुछ दिनों तक दोनों बहनें साथ तो रहेंगी.....अच्छा अब मैं आॅफिस के लिए निकलता हूँ आप दोनों ध्यान से जाना। " अश्विन ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर उसके बाद वह लिफ्ट की तरफ बढ़ गया।

___________________

आॅफिस में आकर अश्विन इधर उधर देखने लगता है मानों वह किसी को ढूँढ रहा हो, लेकिन फिर वह एक कंप्यूटर स्क्रीन पर बैठे साँवले शख्स से कहता है " आज पीयूष दिखाई नहीं दे रहा... "

" पोता नहीं सोर.... "

" ठीक है सीट डाउन, मैं देखता हूँ उसे काॅल लगाकर ...." ये कहकर अश्विन अपने कैबिन में आ जाता है।

वहाँ आकर वह अपना बैग अपनी डेस्क पर रखकर अपने मोबाइल से किसी को फोन लगाने लगता है, नंबर डायल करने के बाद अश्विन वह मोबाइल कान में लगा लेता है ,कुछ घंटी बजने के बाद दूसरी तरफ से आवाज आई " हैलो.... "

" हैलो पीयूष ?" अश्विन ने कहा।

" जी सोर...."

" तुम आॅफिस नहीं आए आज? "

" सोर होम पुलिस स्टेशन में है अभी, ओनुष्का का बारे में पुलिस को होमसे कुछ बात कोरना है। "

" अच्छा ठीक है... टाईम मिले तो आॅफिस आ जाना, मुझे भी तुमसे कुछ बात करनी है। "

" जी सोर अगर यहाँ जोल्दी हो गया तो आ जाएगा। "

" ठीक है। " कहकर अश्विन ने फोन काट दिया , फोन काटने के बाद वह कैबिन में अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, अश्विन वहाँ बैठ कर कुछ सोच ही रहा था कि तभी वह बैठे बैठे कुछ उग्र हो जाता है ।

फिर किसी तरह खुद को संयमित करते हुए वह अपने बैग में से लाल रंग की एक स्टील की बोतल निकालकर पानी पीने लगता है।

पानी पीने के बाद वह अपने कंप्यूटर का सिस्टम आॅन करके उस पर काम करने लगता है ।

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दोपहर का समय -

लंच का समय हो चुका था इसलिए अश्विन लंच करने के लिए आॅफिस के बाहर स्थित उसी होटल में जाता है वहाँ आकर वह बैठा ही था कि तभी उसका मोबाइल बजता है।

अश्विन पतलून की जेब में रखा अपना मोबाइल निकालकर देखता है तो पाता है वह काॅल विंशती के भाई प्रशांत का था, " प्रशांत का फोन वो भी इस समय? वो इस समय तो कभी फोन नहीं करता..... क्या बात होगी? " ऐसे ही ना जाने कितने ही सवाल अश्विन के मन में उठने लगे थे, लेकिन फिर कुछ घंटियाँ बजने के बाद अश्विन ने वह काॅल उठाया और कहा " हैलो..... "

फोन के दूसरी तरफ से दूर से एक महिला के रोने की आवाज़ आ रही थी जिसे सुनकर अश्विन ने घबराते हुए दोबारा कहा " हैलो !?! "

" हैलो अश्विन बेटा? " फोन के दूसरी तरफ से अश्विन को एक जानी पहचानी पुरूष की आवाज़ आई जिसे सुनकर अश्विन ने कहा " पापा? "

" हाँ बेटा ये मैं ही हूं, तू ऐसा काम कर कि फौरन सिविल अस्पताल आ जा..... "

" लेकिन क्यों? हुआ क्या? "अश्विन ने हैरानी से कहा।

" बेटा प्रशांत का एक्सीडेंट हो गया...... "

क्रमश:......
रोमा........