Khwahishy - 3 in Hindi Love Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | ख्वाइशें - 3

Featured Books
  • ગંગા સ્નાન

    ગંગા સ્નાન "गङ्गा पापं शशी तापं, दैन्यं कल्पतरुस्तथा । पापं...

  • પરંપરા કે પ્રગતિ? - 6

    પોલીસ મેડમ કહે છે: "તું જેના તરફથી માફી માંગી રહી છે શું તે...

  • આઈ કેન સી યુ!! - 3

    અવધિ ને તે પ્રેત હમણાં એ સત્ય સારંગ ના સામે કહેવા માટે કહી ર...

  • મમ્મી એટલે?

    હેપ્પી મધર્સ ડે... પર(સ્કૂલ માં વકૃત સ્પર્ધા હતી)મમ્મી નું મ...

  • ભાગવત રહસ્ય - 278

    ભાગવત રહસ્ય -૨૭૮   પરીક્ષિત કહે છે કે-આ કૃષ્ણકથા સાંભળવાથી ત...

Categories
Share

ख्वाइशें - 3

और एक दिन सबीना का कत्ल आया था,"मुझे वीजा मिल गया है।
"कब आ रही हो।मुझे बता देना ताकि छुट्टी ले सकू
"तुम्हे परेशानी तो नही होगी
"परेशानी कैसी
"परसो आऊंगी।मुझे केवल सात दिन का ही वीजा मिला है।इसमें ज्यादा से ज्यादा भारत को देखना चाहूंगी
"मैं तुम्हे एयर पोर्ट पर ही मिलूंगा
और कांत एयर पोर्ट पर पहुंच गया था।
"सबीना
जब सबीना बाहर आयी तो उसे देखते ही कांत ने हाथ हिलाया था
"हाय कांत
कांत उसे अपने फ्लैट पर ले गया था।
"क्या प्रोग्राम है।अब बताओ
"पहले आगरा
"आगरा का कुछ पता याद है
"हा मैने अपने पापा से सुना था सदर में
और सबीना ने जितना उसे पता था बता दिया।कांत की रिश्तेदारी थी आगरा में।उसका कजिन था।कांत ने उसे फोन कर दिया था
कांत सबीना को टेक्सी से आगरा ले गया था।कजिन मोहन के घर पहुचे थे।मोहन ने सबीना के दादा रहमान के घर को खोज लिया था।वह उन्हें सदर ले गया।रास्ते मे मोहन ने बताया था।रहमान के दोस्त पुरषोतम ने1947 में उनका मकान खरीद लिया था।उनके पोते सुरेश ने कुछ साल पहले उस मकान को नया बनवाया था।
और वे सदर पहुच गए थे।सुरेश ने गर्म जोशी से स्वागत किया था।सुरेश की पत्नी मीरा ने सबीना से प्यार से बात की थी।जब सबीना चलने लगी तो मीरा बोली,"आयी हो तो रुको
"फिर कभी
जब सबीना जाने लगी तो मीरा ने1100 रु दिए थे
"ये क्यो
"शगुन
कांत बोला,"हमारे यहाँ बहन बेटी को देने की प्रथा हेरख लो
सबीना बेहद प्रभावित हुई थी
"अब ताजमहल चले
और मोहन उन्हें ताजमहल दिखाने के लिये के लिए ले गया था।
"वाह
ताज की सुंदरता से तो वह प्रभावित हुई थी साथ ही उसे आश्चर्य हुआ कि हिन्दू, मुस्लिम सिख ईसाई सब ही ताजमहल दखने आये थे।दुकाने भी सभी धर्म के लोगो की थी।
"हमे तो बताया जाता है हिंदुस्तान में मुसलमानों के साथ बड़ा जुल्म होता है
"तुम खुद अपनी आंखों से देख लेना
"यहा ही देख कर समझ गयी हमारे देश के हुक्मरान जनता को भारत का डर दिखाकर गुमराह करते है
"अब तुमने अपने दादा का घर और शहर तो देख लिया अब बताओ क्या क्या देखना है
"काश्मीर,बंगलोर, मुम्बई,अयोध्या के राम मंदिर की बहुत चर्चा है उसे भी और जो भी हो सके
"तो पहले कश्मीर चलते है
कांत सबीना को श्रीनगर ले गया था।उस दिन31 दिसम्बर था।लाल चौक पर नई साल के जश्न का प्रोग्राम था।
वह सबीना को जहा भी ले गया हर जगह उत्साह जोश बेफिक्र घूमते लोग।टूरिस्ट तो मानो उमड़ ही पड़े थे
"यह सब370 हटने के बाद सम्भव हुआ है।पहले पथरबाजी, हड़ताल धरना प्रदर्शन पूरे साल होता था।लोग यहाँ आने से डरते थे।अब तुम बदलाव खुद देख लो
कश्मीर में हो रहे विकास को देखकर सबीना ढंग रह गयी थी।

"कभी पी ओ के गयी हो
"एक बार।कुछ साल पहले
"वहाँ के हालात ऐसे ही है।विकास और जनता के क्या हॉल है
"ईमानदारी से बताऊ
"बिल्कुल
"हमारे देश के हुक्मरान केवल रात दिन कश्मीर की माला जबते रहते है।किया कुछ नही जैसे हालत पाकिस्तान में है उससे बदतर ही होंगे।पी ओ के में
"क्या तुम यहाँ की असली तस्वीर दिखा पाओगी
"वीडियो तो में बनाकर ले ही जा रही हूँ।लोड कर पाऊंगी या नही।यह में भी नही जानती
"लोड करो या मत लेकिन लोगो को असलियत तो बता ही दोगी
"अब कहा चलोगे?"सबीना ने कांत से पूछा था