A feeling in Hindi Poems by Shefali books and stories PDF | एक एहसास

The Author
Featured Books
  • خواہش

    محبت کی چادر جوان کلیاں محبت کی چادر میں لپٹی ہوئی نکلی ہیں۔...

  • Akhir Kun

                  Hello dear readers please follow me on Instagr...

  • وقت

    وقت برف کا گھنا بادل جلد ہی منتشر ہو جائے گا۔ سورج یہاں نہیں...

  • افسوس باب 1

    افسوسپیش لفظ:زندگی کے سفر میں بعض لمحے ایسے آتے ہیں جو ایک پ...

  • کیا آپ جھانک رہے ہیں؟

    مجھے نہیں معلوم کیوں   پتہ نہیں ان دنوں حکومت کیوں پریش...

Categories
Share

एक एहसास

(१) मेरी हरकतें

 

कभी कभी बस यूँही,महसूस करती हूँ तुझे। 

अपने बालों को,धीरे से हटाकर शरमा जाती हूँ।। 

अपनी आँखों को,आईने में देखकर पलकें झपकाती हूँ।

फ़िर एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ,ख़ुद को पागल कहती हूँ।।

तुझे याद करके,बेवजह मुस्कुराने लगती हूँ। 

कभी-कभी कुछ बातें,बेफ़िज़ूल ही करती रहती हूँ।। 

गाने सुनकर,तुझे अपने पास होने का एहसास पाती हूँ। 

इस तरह तुझे पाकर मैं,ख़ुशी से झूम जाती हूँ।। 

कभी हवाओं में अचानक,तुम्हारी याद शामिल होती है। 

इसलिए थोड़ा रुककर मैं,उन हवाओं से बात करती हूँ।। 

क्या पता वो हवाएँ,तेरे पास जाकर रुक जाएं। 

तू उन्हें पहचान कर,मेरी कही बातों को समझ जाये।। 

 

~शेफाली

 

(२) तेरी ख़ुशी

 

तेरी खुशियों को देखकर,बहुत ख़ुश होती हूँ मैं।

कुछ ख़ास नही है,मेरी ख़ुशी की वजह है तू।। 

तेरी मुस्कुराहट के साथ,सब आसान लगता है।

मुझे हिम्मत मिल जाती है,जब मुस्कुराता है तू।। 

तेरी खुशियों में,हमेशा शामिल न हो पाऊँ शायद।

लेकिन तेरी उदासी में,हमेशा साथ होना चाहती हूँ।। 

यूँ तो आसान नही है, सरलता से ज़िंदगी जीना। 

लेकिन तेरे साथ जीने में, कुछ अलग ही मज़ा है।। 

तेरी एक मुस्कुराहट, मेरे दिल को ख़ुश करती है। 

तेरी हँसी पर मैं, यूँही नहीं उछला करती।। 

 

~शेफाली

 

(३) तुम

 

दोपहर की तड़कती धूप में वो छाँव हो तुम, 

जिसमें हमेशा चमचमाती रौशनी दिखती है। 

बगीचे मे घनी फुलवारी के वो फूल हो तुम, 

जिसे टूटने या मुरझाने से भय नही होता है।

बारिश की अनंत बूँदों में वो एक अकेले बूँद हो तुम, 

जिसके न होने से बाहर रखा घड़ा नही भरता है। 

 

~शेफाली

 

(४) तेरी हँसी

 

तेरी वो हँसी कहाँ चली गई दोस्त ??? 

मैंने खोजा हर चौराहे पर, गली के हर किनारों पर;

तेरी मुस्कुराहट नही मिली,तेरी फ़िकर होने लगी।

खोजा हर पन्ने में, पूरी किताब पढ़ डाली;

तेरी मुस्कुराहट नही मिली, बेचैनी सी होने लगी।। 

आँखों को नींद की ज़रूरत है, चेहरे को मुस्कुराहट चाहिए;

थोड़ा खुलकर हँस तो दे एक बार, बहुत परेशान होती हूँ।

नन्हीं सी आँखों में भरी हैं, ख्वाहइशें और उम्मीदें अपनों की;

वक़्त खराब नही है, बस कुछ 'और' वक़्त की ज़रूरत है।। 

 

~शेफाली

 

(५) बस मन कहा! 

 

बेशक! गलतियाँ बहुत की हैं हमने;

लेकिन तुम्हें अपना कहकर,कोई ग़लती नही की हमने। 

देखो तो उदास बहुत किया हैं हमने तुम्हें;

लेकिन कभी इरादे से,दुखी करना नही चाहा हमने।

भले ही तुम्हें लगता है की हम खुश नही रहना चाहते;

लेकिन हर परिस्थिति में खुश रहने की बहुत कोशिश की है हमने। 

तुम ग़ुस्से मे कुछ भी करो,कुछ भी बोलो हमें;

लेकिन अंतिम में भी हमारे साथ रहना है तुम्हें।

हमें डाँट कर परेशान करके बहुत कुछ बोल देते हो;

लेकिन वास्तव में तुम ख़ुश देखना चाहते हो हमें। 

 

~शेफाली

 

(६) चाँद-सा फ़रिश्ता

 

:- एक अकेली शाम और साथ ही बहुत अंधेरा, 

कुछ समझ नही आया आखिर कैसे रहेगी अकेले!

वो शाम ख़ुद को कोस रही है, 

साथ ही न जाने कितना झेल रही है। 

वो दुख में पड़े हुए पूरी थक-सी जा रही है,

किसी की तलाश में मानो बेचारी बन जा रही है।। 

ये बस शुरुआत ही थी उसकी, ख़ुद को कमज़ोर समझ बैठी।

नादान परिंदों की तरह, ख़ुद को लाचार कह रही थी।। 

शाम ने अपना अँधेरा स्वयं ही बढ़ा लिया,

बिना कुछ देखे सारी परेशानियों को बिठा लिया।

अब रोते हुए उससे आँसू भी नही सम्हल रहे, 

न जाने क्यों उसने परेशानियों को दस्तक दिया।। 

इस तरह से वो सबकी नज़र में खराब बन रही थी,

उसके अपनों को वो बहुत खटकने लगी थी।

अकेले होकर बिल्कुल शांत हो जाती थी,

किसी ख़ास की तलाश मे बस सोचे जा रही थी।। 

वो शाम बहुत शानदार हुई थी, 

समस्या ये की उसे इसकी खबर नही थी।

चाँद- सा फ़रिश्ता उसे रौशनी से मिलाने आया, 

बेखबर था वो ख़ुद को उलझा हुआ पाया।। 

उसने शाम की नादानियों को समझा, 

साथ ही उसके अंधेरे को अपनाया।

ख़ुद बिखरकर फ़िर भी सम्हल कर खुशियाँ ढूँढी उसने,

उस शाम को फ़िर से शानदार बनाया उसने।। 

:- वो शाम अब हमेशा अंधेरे में नही रहती है

बल्कि अपने फ़रिश्ते के साथ खुशियाँ लेकर चमकती है

 

~शेफाली