Anokha Vivah - 6 in Hindi Love Stories by Gauri books and stories PDF | अनोखा विवाह - 6

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अनोखा विवाह - 6

अखण्ड प्रताप अनिकेत से ," हमें यकीन है कि आप सारी जिम्मेदारी बहुत अच्छे सम्हालेगे ,,,,,,बस आप अपने दादू पर भरोसा रखिएगा कि आपके दादू आपके साथ कभी ग़लत नहीं करेंगे बल्कि गलत करने से जरूर रोकेंगे..................

फलैश बैक एण्ड , वर्तमान में 

यही सब सोचते सोचते अनिकेत को नींद आ गई,,,,,,,,,,,,

आज अनिकेत की शादी थी पूरी हवेली में फूलों की खुशबू आ रही थी अभी सुबह का सिर्फ 5बजा था और घर के नौकर उठ कर अपने अपने कामों में लग गए थे ,,,,, थोड़ी देर बाद सावित्री जी सीढ़ियों से नीचे आती हैं आज घर में मेहमानों का आना भी शुरू हो चुका था कुछ मेहमान इस शादी से खुश थे तो कुछ इस शादी को ग़लत कह रहे थे क्योंकि उम्र कम है अनिकेत की लेकिन किसी के भी हिम्मत नहीं थी कि ये बात अखण्ड प्रताप के सामने कह सके ,,,,,,,,,,, सावित्री जी ने आज पूजा भी बस जल्दी ही कर ली थी वो बस अब आज शाम की तैयारियों में लग गई थी ,,,,,,,,शादी इनके ही दूसरे पैलेस से हो रही थी तो बस आज सब वहीं जाने की तैयारी में लगे थे और सब बहुत खुश थे ,,,,,,,,,,, लेकिन इन सबके बीच कोई था जो परेशान था अपनी आने वाली जिन्दगी को सोचकर ,,,, अनिकेत उठ तो गया था पर उसका मन अभी भी सोया हुआ था एक तरफ अनिकेत दुखी था तो दूसरी तरफ काव्या आज बहुत खुश थी क्योंकि जिसके सपने वो वर्षों से देखती आई थी आज वो होने जा रहा था आज उसकी शादी उसके प्यार से होने जा रही थी नीरज से ,,,,,,घर में बहुत सारे मेहमान थे तो वो चाहकर भी नीरज से बात नहीं कर पा रही थी 

सुबह 10बजे 

काव्या, सुहानी के कमरे में आती है सुहानी अभी भी सो रही थी  काव्या उसके हाथों को देखती है जिसमें मेहंदी लगी हूई थी मेहंदी का काफी गाढ़ा रंग देखकर पहले तो वो चिढ़ जाती है पर फिर अचानक ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है जिसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वो कुछ बहुत ही ग़लत सोच रही है फिर अचानक ही काव्या उसका हाथ झटककर कमरे से निकल जाती है,,,,,,,

दोपहर के 1बजे 

काव्या ने अपने साथ सुहानी को भी पार्लर ले जाने के लिए मां को मना लिया था और काव्या बिल्कुल अपने जैसा मेकअप आम्या का भी करवा रही थी , अचानक से काव्या का फोन रिंग करता है ंंंंंंंंवो फोन उठा लेती है तभी फोन के दूसरी तरफ से नीरज काव्या से कहता है , सब ठीक तो है जैसा हमने सोचा था वैसा हो रहा है ना ,,,,,,,,,,,,,, हां सब वैसा ही है बस अब कोई रूकावट नहीं आनी चाहिए ,,,,,,,,,,,,,तुम फ़िक्र क्यों करती हो , सब वैसा ही होगा जैसा हमने सोचा है ओके, ठीक है मुझे अभी कुछ काम है बाद में बात करता हूं , बाय ,,,,,,,,,

शाम 6बजे 

 सभी लोग पैलैस आ चुके थे लड़के वाले भी और लड़की वाले भी ,,,,,थोड़ी देर बाद शादी के लिए दुल्हन को मण्डप में बुलाया गया ,,,,,,,,,,,,, दुल्हन के आने के बाद फेरों के साथ शादी सम्पन्न हो गई बस एक रस्म रह गई थी वो थी दुल्हन के मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनाने की ,,,,,, पण्डित ने दूल्हे से दुल्हन को मंगलसूत्र पहनाने को कहा ,,,,,, अनिकेत नें दुल्हन को मंगलसूत्र पहनाया और फिर जैसे सिन्दूर लगाने के लिए घूंघट हटाया गया वहां खड़े सभी लोग जो दुल्हन को पहले देख चुके थे एकदम शॉक्ड हो गए क्योंकि दुल्हन काव्या की जगह सुहानी एक नाबालिग लड़की दुल्हन के भेष में मण्डप में थी ,,,,,,,,,,,, सावित्री जी आगे आते हुए

," ये क्या,,,, काव्या कहां है और तुम यहां दुल्हन की जगह क्या कर रही हो तुम तुम कैसे यहां आ गई,,,,,,हमारे साथ धोखा किया गया है ,,,,,"

तभी सुहानी की मां आगे आते हुए कहती हैं  

" क्या हुआ आप...

वो इतना ही कह पाई थी कि उनकी नजर दुल्हन बनी लड़की पर जाती है ,,,,, 

"सुहानी तुम यहां क्या कर रही हो और काव्या कहां है ," 

,, काव्या काव्या,,,चिल्लाते हुए अन्दर गई पूरे कमरे में देख लिया पर काव्या कहीं नहीं दिखी वहीं टेबल पर एक कागज रखा होता है जिसे वो बाहर लेकर आती है ंंंंऔर थोड़ा तेज आवाज में पढ़ना शुरू करती हैं,,,,,,,,,,,,,,,,," मां मैं यहां से जा रही हूं क्योंकि सुहानी को शादी करनी थी मेरे दूल्हे से उसे मेरी खुशियां चाहिए थीं उसकी यह ख्वाहिश मैं कैसे ना पूरी करती मैं तो उसकी बड़ी बहन हूं पहली बार तो उसने अपनी बड़ी बहन से कुछ मांगा था तो मैं ना नहीं कह पाई और अगर मां आपको मेरी बात पर यकीन नहीं है तो छोटी के हाथ की मेंहदी सब बता देगी , जब मैं सुबह छोटी से मिलने गई तो उसका हाथ देखकर चौंक गई मुझे माफ कर देना मां , मैं मजबूर थी सॉरी मां,,,,,,,,,,,,,,,,आपकी काव्या

जैसे ही संजना जी ने कागज अपने हाथों से फेंका वैसे आगे बढ़कर सुहानी की तरफ तेजी से आती हुई सीधा उसके हाथ को देखती हैं जिस पर अनिकेत और सुहानी साफ साफ दिख रहा था,,,,,,,,,,, संजना जी सुहानी को तेज से एक थप्पड़ मारती हैं,,,,,,,,,,,,,, 

" तुझे हमने अपनी बेटी से ज्यादा प्यार किया और तूने हमारे साथ ये किया सही कहती थी काव्या कि मुझे तुझको इस घर में लाना ही नहीं चाहिए था " 

,,,,,, संजना जी बोल ही रही होती हैं तभी उनके पीछे से एक तेज आवाज आती है ,,,

" बस,,,,बहुत हुआ आप हमारे घर की होने वाली सबसे बड़ी बहू से बात कर रही हैं जैसे भी हूई पर अब ये शादी हो चुकी है अनिकेत बहू की मांग भरिए ,,,,,,,, "

अनिकेत अभी बस खड़ा कुछ सोच रहा था कि फिर से अखण्ड प्रताप दुल्हन की मांग भरने को कहते हैं ,,,,,,, अनिकेत आपने सुना नहीं दुल्हन की मांग भरिए और शादी सम्पन्न करिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

" पर दादू मैं इस लड़की को अपनी पत्नी कैसे बना सकता हूं ये नाबालिग है और ये मुझसे बहुत छोटी है ,,,,,और इसने तो हम सब के साथ धोखा भी तो किया है ना मैं,,,,,,,,,, " 

अनिकेत अभी कह ही रहा था कि अखण्ड प्रताप फिर से बोलना शुरू करते हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत आप शादी के बाद के फैसले लेने के लिए बाध्य हैं पहले के नहीं इसीलिए अब बहू की मांग में सिंदूर लगाइये और सावित्री बहू,,, विदाई की तैयारी करवाएं,,,,,, हम जल्द से जल्द विदाई करवाना चाहते हैं " 

,,, प्लीज फॉलो

अब आगे नेक्स्ट पार्ट में,,,,,