Ishq da Mara - 47 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 47

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इश्क दा मारा - 47

यूवी खड़ा खड़ा गीतिका के बारे में सोच रहा होता है। तभी गीतिका के फूफा जी आते हैं और बोलते हैं, "तुम यहां पर खड़े होकर क्या कर रहे हो जाओ गीतिका को ढूंढो"।

उधर यूवी की मां उसकी भाभी से बोलती है, "ये गीतिका कौन है ?????

तब यूवी की भाभी बोलती है, "पता नहीं मम्मी जी "।

तब यूवी की मां बोलती है, "मैने तो आज तक उसे देखा नहीं है, पता नहीं कहा चली गई"।

सब मिल कर गीतिका को ढूंढ रहे होते हैं। यूवी बहुत ज्यादा परेशान होता है और बाहर जा कर देख रहा होता है।

उधर राजीव की मॉम MLA साहब से बोलती है, "देखा आपने मिनिस्टर की गिरी हुई हरकत"।

तब MLA साहब बोलते हैं, "ये गिरी हुई हरकत उस मिनिस्टर की नहीं है, बल्कि उसकी बीवी की है, क्योंकि ऐसे काम सिर्फ वही कर सकती हैं"।

तब राजीव की मॉम बोलती है, "एक बेटी को तो पता नहीं कहा भेज दिया, चोरी चुपके, और बड़ा चली बेटे को MLA बनाने "।

तब MLA साहब बोलते हैं, "अगर उस दिन तुम्हारे बेटे ने गिरी हुई हरकत न की होती तो, आज वो लड़की हमारे घर की बहु होती, और उसके मां बाप हमारे इशारों पर नाच रहे होते "।

तभी वहां पर राजीव आ जाता है और बोलता है, "वैसे उन लोगों ने गीतिका को कहा पर छुपा कर रख रखा है "।

तब उसकी मॉम बोलती है, "अब ये काम भी हम ही करे, तुम कुछ भी नहीं कर सकते हो क्या "।

तब राजीव बोलता है, "मुझे घर से बाहर तो जाने देते हो नहीं, और बड़ा बोल रहे हो काम करने "।

तब उसकी मॉम बोलती है, "घर से बाहर जा कर तुम बस अय्याशी ही करते हो "।

तब MLA साहब बोलते हैं, "जैसे घर के अंदर तो ये अय्याशी करता ही नहीं है "।

ये बोल कर वो राजीव को गुस्से से देखने लगते हैं।

उधर गीतिका को सभी ढूंढ रहे होते हैं। तभी बंटी हॉल के कमरे के अंदर जाता है और वहां पर इधर उधर गीतिका को ढूंढता रहता है। तभी उसकी नजर कोने में जाती है और वो देखता है कि गीतिका वहां पर बेहोश पड़ी रहती है। तभी बंटी यूवी यूवी चिल्लाने लगता है। 

तभी यूवी वहां पर भाग कर आता है और बोलता है, "क्या हुआ तू चिल्ला क्यों रहा है"।

तब बंटी बोलता है, "ये देख कोने में गीतिका बेहोश पड़ी हुई है"।

तभी यूवी देखता है कि गीतिका बेहोश पड़ी होती हैं। वो गीतिका को उठाता है मगर वह नहीं उठती है।

तब बंटी बोलता है, "ये सो नहीं रही है जो तू इतने प्यार से उसे उठा रहा है, बेहोश पड़ी हुई है, चल अब जल्दी इसे उठा और इसके घर वालों के पास ले जा"।

तभी यूवी गीतिका को अपनी गोद में उठाता है और ले कर बाहर निकलता है। यूवी को देख कर सब चौक जाते हैं। तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "अरे इसे क्या हुआ ये कहा मिली तुम्हे "।

तब यूवी बोलता है, "ये कमरे में बेहोश पड़ी हुई थी, पता नहीं कब से बेहोश है, हमे इसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए "।

तब गीतिका के फूफा जी अपने बड़े बेटे से बोलते थ है बोलते हैं, "अपनी बहन को पकड़ो और गाड़ी में लेटा दो और हमे हॉस्पिटल ले चलो"।

उसके बाद मीरा का बड़ा भाई गीतिका को अपनी गाड़ी में लेटा देता है उसकी बुआ जी की गोद में और, गाड़ी में आगे अपने पापा के साथ बैठ जाता है।

यूवी बस खड़ा खड़ा सब देख रहा होता है उसका मन नहीं करता है गीतिका को छोड़ने का, मगर वो मजबूर होता है।

उसके बाद वो हॉस्पिटल चले जाते हैं।

मीरा अपनी भाभी और छोटे भाई के साथ घर आ जाती हैं।

मीरा और उसकी भाभी बहुत ही रो रहे होते हैं।

यूवी भी घर पहुंच जाता है। मगर उसका सारा ध्यान बस गीतिका पर होता है। वो बंटी से बोलता है, "यार वो कैसी होगी ?????

तब बंटी बोलता है, "मुझे भी उसकी फिक्र हो रही है, बताओ इतना खुश रहने वाली लड़की और लड़ने वाली लड़की यू अचानक कमरे में बेहोश कैसे हुई ????

तब यूवी बोलता है, "मुझे उससे मिलना है, मैं जाऊ क्या हॉस्पिटल"।

तब बंटी बोलता है, "तेरा दिमाग तो ठीक है, तू क्या करेगा वहां जा कर, और क्या बोलेगा कि क्या करने आया है "।

तब यूवी बोलता है, "काका मुझे क्यों नहीं ले गए हॉस्पिटल "।

तब बंटी बोलता है, "ओह भाई तुझे क्या हो गया है, लड़कियों से दूर भागने वाला इंसान, आज एक लड़की के लिए परेशान है...........