Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 38 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 38

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 38


"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट ३८)


डॉक्टर शुभम की फ्रेंड डॉक्टर रूपा अपने जीवन का राज़ बताती है।

दिव्या हमारी बेटी है ऐसा कहती हैं।

अब आगे 

यह सुनकर डॉक्टर शुभम हंस पड़े.
बोले:-'फिर भी आपकी मजाक करने की आदत नहीं जाती।  मेरा मानना है कि भले ही दिव्या आपकी भतीजी है, लेकिन तुम उसे अपनी बेटी मानती है और  मारी प्रांजल को भी बेटी की तरह मानती है।  ठीक है, अगर आप दिव्या को बेटी मानते हैं, तो मुझे भी उसे बेटी मानना चाहिए, इसके अलावा वह मेरी प्रांजल की सबसे अच्छी दोस्त है, वो लोग सुबह आएंगे, इसलिए मुझे भी अच्छा लगेगा।  आप भी एक-दो दिन के लिए मेरे यहाँ आ जाइये।'

यह सुन कर रूपा को रोना आ गया.

उसने एक घूंट पानी पीया, वह अपने दिल की बात नहीं कह सकी।

डॉक्टर शुभम:-'क्या हुआ रूपा?  क्या मैंने आपसे ग़लत कहा?  यद्यपि मेरे कहने का आशय यह नहीं था।यदि आपको ठेस पहुंची हो तो मुझे खेद है, लेकिन आपने जो कहा वह मेरी समझ पर आधारित था।  सॉरी.. सॉरी.. आप जानते हैं कि मुझे इस तरह बात करने की आदत है।  आप मुझे अच्छी तरह से जानते हैं, मेरा स्वभाव थोड़ा मज़ाकिया है।'

रूपा ने सँभलते हुए कहा-'शुभम, मुझे लगा कि तुम ऐसी बातें कर रहे हो।  आप मुझे हर बात को हंसी में लेते हो। जब आप युक्ति से शादी करने के लिए तैयार थे तब भी आपको मैंने मनाया। लेकिन तुमने मेरी बात सुनी नहीं।इस बार भी मेरी बातें को मजाक समझते हो। मुझे लगता है मैं अब आपसे बात नहीं करूंगी।अपनी प्रांजल को अकेले मेरे घर भेज दो।  मैं उसे अपनी बेटी मानती हूं।'

डॉक्टर शुभम:-'अरे, तुम बातों को गलत तरीके से पेश कर रहे हो, मैं भी अपने प्रांजल के साथ आऊंगा।  क्षमा करें...बस इतना ही।  मैं अब भी आपकी बातें समझ नहीं पा रहा हूं।'

रूपा:-शुभम वास्तव में दिव्या हमारी बेटी है,हम दोनों की, हमारे प्यार की निशानी। मैं दिव्या की असली मां हूं और आप पिता हैं। लेकिन समाज के डर से मैंने उसे अपने चचेरे भाई को दे दिया और वह दिव्या को अपनी बेटी मानता है ।सिर्फ मेरे माता-पिता और चचेरे भाई ही जानते हैं।'

डॉक्टर शुभम आश्चर्यचकित रह गये.
शुभम:-'आप फिर से मजाक करने लगे मुझे विश्वास नहीं होता कि हमारे बीच ऐसा कोई रिश्ता है।'

रूपा:-'शुभम, मुझे खेद है। लेकिन मैं तुम्हें याद दिला दूं कि युक्ति तुम्हारे बच्चों को जन्म देने के बाद डेढ़ महीने तक मेरे घर पर रही थी। तुम्हें याद होगा उसके बाद मेरी मुलाकात तुम से एक साल तक नहीं हुई थी। मैं अपने माता-पिता के साथ बाहर जा रही थी। आपका संपर्क टूट गया।  आपने कोशिश की लेकिन मैंने यह नहीं बताया कि मैं कहाँ थी । मैं उस दिन की बात करती हूं जब बरसात का मौसम था। जब युक्ति के बच्चे तीन महीने के थे तभी उन्हें समस्या हो गई।  तुम मेरे घर अकेले आये थे। उस समय मेरे माता-पिता विदेश गए हुए थे.  तुम्हें यह याद रखना चाहिए।'

डॉक्टर शुभम:-'हां..लेकिन इसका इससे क्या लेना-देना है?  मुझे याद है उस समय बहुत बारिश हो रही थी और जब मैं अकेला आपके घर आ रहा था तो मेरी कार में पंचर हो गया, मुझे कोई पंचर बनाने वाला नहीं मिला, इसलिए मैं फिर भी रिक्शा लेकर आपके घर आ गया था।''

रूपा:-'हां...वो शाम हो गई थी और तुम रात के नौ बजे मेरे घर आए...हैलो..हैलो.. क्या तुम मुझे सुन सकते हो?  'ऐसा लगता है कि कोई और आवाज आ रही है।'

डॉक्टर शुभम:-' हेलो.. हेलो.. रूपा मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा, मुझे लगता है किसी और का कनेक्शन आया है.. अरे... फोन पर नेटवर्क नहीं आ रहा है।  मुझे लगता है कि मेरे क्वार्टर की घंटी बज चुकी है। हेल्लो हेल्लो, रूपा तुम मेरी बातें सुन रही हो?'

उधर रूपा हैलो हैलो करती रही.
आख़िरकार उसने मोबाइल फ़ोन बंद कर दिया.

रूपा ने दोबारा मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की.
लेकिन शुभम से संपर्क नहीं हुआ.
रूपा मन में क्रोधित थी।
वह कितने वर्षों से कहना चाहती थी, पूरी कहानी नहीं बता सकी।  ऐसा लग रहा है जैसे कोई शुभम के क्वार्टर में आया हो, हर बार की तरह।मैं उसे देर से फोन करती हूं। कल सुबह दिव्या के आने से पहले शुभम को सच्चाई जाननी होगी।  मैं भी मूर्ख हूं इतने सालों तक शुभम को नहीं बताया।अब उसे सब कुछ मालूम करने का हक़ है।'

रूपा को मन ही मन उस रात की घटना याद आने लगी।

शायद उस रात तेज बारिश होने के कारण शुभम मेरे घर पर ही रुक गया था, इसलिए युक्ति को शुभम पर शक हो गया था।

अच्छा ही हुआ था कि 
आख़िरकार शुभम को उस पागल औरत से छुटकारा मिल गया लेकिन आज तक शुभम ने मुझसे शादी करने की इच्छा नहीं दिखाई है।  शायद अगर मैं उसे उस रात की घटना के बारे में बता दूं तो वह शादी के लिए तैयार हो जायेगा वरना वह मुझसे नफरत करने लगेगा । नहीं.. नहीं.. पूरी बात कहना जोखिम भरा है लेकिन दिव्या सही उम्र में पहुंच गई है उसे अब सचमुच पता चल जाना चाहिए कि उसके असली माता-पिता कौन हैं?  भाभी ने शायद दिव्या को सच बता दिया होगा?  दिव्या अचानक प्रांजल के साथ क्यों आ रही है?  कोई आश्चर्य की बातें होंगी?