Who is number one : Madhuri Dikshit or Juhi Chawla in Hindi Book Reviews by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | नंबर वन कौन? माधुरी दीक्षित या जूही चावला

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नंबर वन कौन? माधुरी दीक्षित या जूही चावला

ये मुकाबला दिलचस्प होता, अगर होता!
आपको ये बात कुछ अटपटी सी लग रही होगी पर असलियत ये है कि माधुरी दीक्षित जब कुछ शुरुआती फ़िल्मों की असफलता देखने के बाद फ़िल्म "तेज़ाब" से आगे बढ़ीं, तो फ़िल्म जानकारों के मुताबिक़ उन्हें दिव्या भारती से चुनौती मिलनी तय थी। किन्तु दैव योग से दिव्या दुनिया में रहीं ही नहीं।
बात बदल गई और माधुरी एक के बाद एक सुपर हिट फ़िल्मों की पायदान चढ़ती रहीं। शायद ये पहला अवसर था जब फ़िल्म आकाश में आई कोई नई अभिनेत्री बिना किसी मुकाबले के सर्वश्रेष्ठ दिख रही थी। हम आपके हैं कौन, खलनायक, रामलखन, बेटा जैसी फ़िल्मों से माधुरी दीक्षित ने श्रीदेवी के वो तमाम दर्शक छीन लिए जो टिकिट खिड़की पर धावा बोल कर किसी सुपर स्टार को "नंबर वन" बनाते हैं।
अगर माधुरी दीक्षित को कोई चुनौती मिल रही थी तो वो जूही चावला से ही थी, जो सल्तनत के बाद क़यामत से क़यामत तक, डर आदि फ़िल्मों से सफ़लता की पताका लहरा रही थीं।
लेकिन श्रीदेवी की चमक कम कर देने के बाद माधुरी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वो बॉलीवुड की सबसे सफल,सबसे मंहगी और सबसे पसंदीदा हीरोइन बन गईं।
माधुरी दीक्षित कभी "अबोध" फ़िल्म से फ़िल्म जगत में आई थीं। लेकिन फिल्म नहीं चली। कुछ और शुरुआती प्रोजेक्ट्स भी उनके बेहद मामूली ही निकल गए। तभी आई उनकी फ़िल्म "तेज़ाब"। इसमें उनके साथ नायक के रूप में अनिल कपूर थे और जानदार कथानक के साथ किरण कुमार की भी एक सशक्त नकारात्मक भूमिका थी। फ़िल्म में माधुरी दीक्षित का एक नृत्य गीत भी था जो अपने नएपन, कलात्मकता और अनोखी नृत्य रिदम के चलते एक तहलका मचाने वाला नंबर सिद्ध हुआ। चारों ओर माधुरी माधुरी होने लगा और इस गीत के बोल - एक दो तीन, चार पांच छः सात आठ नौ, दस ग्यारह, बारा तेरा... की तर्ज़ पर ही मानो माधुरी दीक्षित ने बॉक्स ऑफिस की सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दिया। उन्होंने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वो कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं।
एक दिन ऐसा भी आया कि मनीषा कोइराला, तब्बू, महिमा चौधरी, ममता कुलकर्णी, आयशा जुल्का,नीलम आदि माधुरी दीक्षित के मुकाबले में नहीं, बल्कि उन फ़िल्मों को कर रही थीं, जो अपनी व्यस्तता के चलते माधुरी दीक्षित नहीं कर रही थीं। अन्यथा हर निर्माता की पहली पसंद माधुरी ही बनी हुई थीं। कहा जाता था कि पहले नंबर पर माधुरी दीक्षित हैं, फ़िर थोड़ी सी खाली जगह। और तब जाकर आगे सिलसिला शुरू होता था दो, तीन और चार नंबर का।
तब्बू ने कलात्मक फ़िल्मों में और मनीषा कोइराला ने कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स में जगह ज़रूर बनाई थी, किन्तु नंबर एक की दावेदारी में माधुरी का कोई विकल्प नहीं था।
स्क्रीन हिला देने वाले जिन नृत्यों के लिए कभी श्रीदेवी जानी जाती थीं, उनमें दर्शक अब माधुरी के साथ थिरकने लगे। माधुरी को दर्शकों, समीक्षकों और निर्देशकों के साथ साथ कई बड़े पुरस्कारों का साथ भी मिला।
और सबसे बड़ी बात ये हुई कि उन्हें "नंबर वन" क्लब में अब तक  शामिल टॉप अभिनेत्रियों के बीच भी सर्वश्रेष्ठ माना जाने लगा। माधुरी ने कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के साथ साथ अन्य पुरस्कार जीते। उनके अभिनय में मानो उत्तर और दक्षिण की प्रतिभा का एकसाथ सम्मिश्रण दिखाई दिया और लोग उनकी मराठी अभिनेत्री की पहचान को भूल कर उन्हें हिंदी फ़िल्मों का ताज और राज सौंप बैठे।
वे अपनी बेमिसाल उपलब्धियों के साथ नरगिस, मधुबाला, मीना कुमारी, वैजयंती माला, साधना, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी, रेखा,श्रीदेवी सहित "नंबर एक" अभिनेत्रियों की कतार में दर्ज़ हो गईं।