"तुम्हारे जन्म का साल?"
"नहीं," हर्षवर्धन ने हल्के से सिर हिलाया, "इस तस्वीर का साल...
संजना को उसकी आवाज़ में एक हल्का दर्द महसूस हुआ। अब तक वह बस मजाक कर रही थी, लेकिन अब उसे लग रहा था कि इस तस्वीर के पीछे कोई गंभीर कहानी छुपी है।
"क्या हुआ था उस साल?"
हर्षवर्धन ने एक पल के लिए कुछ नहीं कहा। फिर उसने गहरी साँस ली और धीरे से मुस्कुराने की कोशिश की,"कुछ बातें बीते दिनों की ही अच्छी लगती हैं, संजना। हर तस्वीर के पीछे की कहानी जाननी ज़रूरी नहीं होती।"
संजना अब पूरी तरह गंभीर हो चुकी थी। उसने महसूस किया कि उसने अनजाने में हर्षवर्धन के किसी पुराने जख्म को छू लिया था। वह चुपचाप खड़ी रही।
कुछ देर बाद हर्षवर्धन ने फिर से सामान्य अंदाज में कहा,"खैर, तुमने जो कहा, वो सही था। मैं बचपन में भी खतरनाक दिखता था। शायद इसलिए कोई मुझे तंग करने की हिम्मत नहीं करता था।"
संजना ने उसकी बात सुनकर फिर से माहौल हल्का करने की कोशिश की,"हाँ, और आज भी वही हाल है! अगर कोई बच्चा तुम्हें देख ले, तो शायद डर ही जाए!"
इस बार हर्षवर्धन भी हल्का सा मुस्कुराया।
रात और गहरी हो चुकी थी। दोनों चुपचाप कुछ देर खड़े रहे, जैसे इस छोटी-सी बातचीत ने उनके बीच कोई नया रिश्ता बना दिया हो।
"चलो, अब वापस चलते हैं," हर्षवर्धन ने कहा।रात का सफर और अनसुलझे सवाल
सर्द हवा हल्की-हल्की बह रही थी। संजना और हर्षवर्धन के कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे, मगर उनके आसपास एक अजीब-सी ख़ामोशी थी। हवा में अब भी उस पुरानी तस्वीर की कहानी तैर रही थी, जो अधूरी थी, मगर जिसे जानने की जरूरत अब शायद नहीं थी। लेकिन इस रात की कहानी अभी पूरी कहां थी?
उधर, संजना की तीनों सहेलियां—मिताली, लवली और अवनी—रात के अंधेरे में तेज़ी से अपने घर की ओर बढ़ रही थीं। रास्ता सुनसान था, सड़क के किनारे पेड़ अजीब-सी परछाइयां बना रहे थे, और गली में लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी भी धीमी पड़ने लगी थी।
जैसे ही वे एक मोड़ पर पहुंचीं, अचानक एक चमचमाती काली कार उनके सामने आकर रुकी। तेज़ी से ब्रेक लगने की आवाज़ ने सड़क की ख़ामोशी तोड़ दी। तीनों लड़कियां एकदम ठिठक गईं, उनके दिलों की धड़कनें तेज़ हो गईं।
मिताली ने घबरा कर कहा, "ये कार यहां क्यों आकर रुकी? कौन हो सकता है?"
अवनी ने धीरे से कहा, "कहीं वो बदमाश अजय तो नहीं? कॉलेज में तो परेशान करता ही है, अब यहां भी आ गया?"
लवली ने कांपती आवाज़ में कहा, "अगर वो हुआ तो? हमें क्या करना चाहिए?"
कार का दरवाज़ा खुला। तीनों की सांसें अटक गईं। डर के मारे उनके पैर जड़ हो गए। तभी अंदर से एक गंभीर आवाज़ आई, "तुम तीनों यहां रात गए अकेली क्या कर रही हो?"
तीनों ने ध्यान से देखा। जैसे ही कार की रोशनी में चेहरा साफ़ हुआ, लवली अचानक मुस्कुरा पड़ी और राहत की सांस लेते हुए बोली, "अरे! ये तो विशाल है, डिटेक्टिव सर!"
विशाल धीरे-धीरे कार से बाहर आया। उसकी आंखों में गहरी समझदारी झलक रही थी। वह संजना के किडनैपिंग केस की गुत्थी सुलझाने आया था और अब इन लड़कियों को रात में अकेले देखकर रुक गया था।
"तुम लोग इतने डरे हुए क्यों हो?" विशाल ने पूछा।
मिताली ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "हमने सोचा कोई गुंडा होगा, खासकर अजय। वो हमें कॉलेज में बहुत परेशान करता है।"
विशाल ने सिर हिलाया और कहा, "डरो मत, मैं यहां हूं। और वैसे भी, इतनी रात को अकेले क्यों घूम रही हो?"
अवनी ने संकोच से जवाब दिया, "हम बस घर जा रही थीं। आदत है हमें।"
विशाल ने दरवाज़ा खोला और कहा, "चलो, कार में बैठो। मैं भी घर जा रहा था, और जब मंज़िल एक है तो साथ चलना बेहतर रहेगा।"