Mera Rakshak - 19 in Hindi Fiction Stories by ekshayra books and stories PDF | मेरा रक्षक - भाग 19

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मेरा रक्षक - भाग 19

एक अजीब सी खामोशी छा गई थी उस घर में। सबकुछ होते हुए भी सब कुछ अधूरा लग रहा था। रणविजय की आंखों के नीचे काले घेरे, उसके चेहरे पर गहराई से उतरा थकान, और उस खामोश चेहरे के पीछे छिपा तूफान—सब कुछ चीख-चीख कर कह रहा था कि वो अब टूट चुका है।

मीरा अब उससे दूर हो चुकी थी। वो सच्चाई जान चुकी थी जिससे रणविजय उसे हमेशा दूर रखना चाहता था। अब वो उसका वो रूप देख चुकी थी, जो शायद रणविजय खुद भी अपने आईने में नहीं देखना चाहता था।

इन्हीं उलझनों और खामोशियों के बीच एक दिन अचानक से जॉन कमरे में घबराते हुए आया।

"Boss.. Ms. Rosy की तबीयत बहुत खराब है... डॉक्टर ने कहा है कि हालात नाज़ुक हैं।"

रणविजय के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई। उसकी सांसें तेज़ हो गईं, वो बिना कुछ कहे तेज़ी से उनके कमरे की ओर भागा।

Ms. Rosy, वही औरत जिसने बचपन से उसे पाला था, मां जैसा प्यार दिया था, आज उसी की सांसें डगमगा रही थीं। वो बिस्तर पर लेटी थीं, आंखें बंद थीं, चेहरा पीला और सांसें धीमी।

रणविजय फौरन उनका हाथ पकड़ कर पास बैठ गया। उनकी उंगलियां ठंडी पड़ चुकी थीं। उसने धीमे से कहा, "Ms. Rosy, प्लीज़... कुछ मत बोलिए... डॉक्टर ने कहा है आराम करना है।"

Ms. Rosy ने अपनी आंखें खोलीं, हल्की सी मुस्कान आई चेहरे पर, जो दर्द से भीगी हुई थी।

"बाबा.. अब लगता है... मेरा वक्त आ गया है ," उनकी आवाज़ कांप रही थी, लेकिन शब्दों में वो ही मां वाला सुकून था।

रणविजय की आंखें भर आईं, "ऐसा मत कहिए... आप ठीक हो जाएंगी... मैं डॉक्टर से कहूंगा, सबसे अच्छे हॉस्पिटल में लेकर जाऊंगा आपको... आप बस... आप ठीक हो जाइए।"

Ms. Rosy ने उसके हाथ पर अपना कांपता हुआ हाथ रखा, "अगर तुम मुझसे सच में प्यार करते हो, तो मेरी एक आखिरी ख्वाहिश पूरी कर दो।"

रणविजय ने बिना सोचे कहा, "आप बस बोलिए Ms. Rosy, मैं सब करूँगा।"

उन्होंने धीरे से कहा, "मुझे मीरा के साथ कुछ दिन रहना है... उससे बात करनी है, उसे देखना है।"

रणविजय का चेहरा एक पल को सुन्न पड़ गया। उसकी आंखों में वो लम्हा घूम गया जब मीरा उससे दूर चली गई थी। वो घाव अभी ताज़ा था, और अब Ms. Rosy उसी मीरा के साथ वक्त बिताना चाहती थीं?

वो कुछ देर चुप रहा, फिर गर्दन झुका कर धीरे से बोला, "ठीक है... मैं बात करूँगा उससे।"

रणविजय के दिल में एक अजीब सी हलचल थी। Ms. Rosy की हालत ने उसे अंदर तक हिला दिया था। वह उन्हें किसी भी हाल में खुश देखना चाहता था, और अगर उनकी आखिरी ख्वाहिश मीरा से मिलने की थी, तो वह उसे हर हाल में पूरी करेगा।

वह धीमे कदमों से लाइब्रेरी की ओर बढ़ा, जहां अक्सर वह खुद से बातें करता था—किताबों के बीच अपने दर्द को छिपाता था। लाइब्रेरी की दीवारों ने उसकी कई रातें देखी थीं—वो रातें जब वह अकेले बैठ कर खुद से लड़ता रहा था। वह जैसे ही अंदर गया, कुछ देर चुपचाप बैठा रहा, फिर अपनी गर्दन झुकाकर आंखें बंद कर लीं।

पीछे से जॉन उसके पीछे-पीछे आया। वह जानता था कि रणविजय के लिए ये फैसला आसान नहीं था। वह कुछ देर चुप रहा, फिर धीरे से बोला, “बॉस… आप मीरा को कैसे लाएँगे? आपने ही तो उन्हें इस घर से जाने को कहा था.... हमेशा के लिए, और फिर उस दिन cafe में...."

ये कहते हुए जॉन खुद चुप हो गया। वह जानता था कि यह जख्म अभी ताजा था। रणविजय की आंखों में एक क्षण के लिए वो दर्द फिर से झलकने लगा, लेकिन उसने खुद को संभाला।

“मैं जानता हूँ… मीरा मुझसे नफ़रत करती है,” रणविजय की आवाज़ गहरी और थकी हुई थी, “पर Ms. Rosy से नहीं। मैं मीरा को जानता हूँ, जॉन। जैसे ही उसे पता चलेगा कि Ms. Rosy की तबीयत कितनी नाज़ुक है… वो बिना कुछ सोचे यहाँ भाग कर आ जाएगी।”

जॉन ने धीरे से सिर हिलाया, फिर बोला, “पर बॉस, इस घर में मीरा जी को लाना अब safe नहीं होगा। आप भूल रहे हैं, आपने ही कुछ ख़ास वजहों से उन्हें यहाँ से जाने को कहा था।”

रणविजय अचानक एकदम सन्न रह गया। एक झटका सा महसूस हुआ उसे। उसे याद आया—वो रात, जब उसे पता चला था कि उसके सबसे खतरनाक दुश्मन को मीरा के बारे में सब कुछ पता चल चुका है। उसका नाम, चेहरा, यहाँ तक कि उसका इस घर से क्या रिश्ता है—सब कुछ। यही वो डर था, जिसने रणविजय को मजबूर किया था मीरा को खुद से दूर करने के लिए। वो नहीं चाहता था कि मीरा उसकी वजह से किसी खतरे में पड़े। उसने उस पर चिल्लाया, उसे गलत बातें कह दीं, बस इसलिए ताकि वह उससे नफरत करे और हमेशा के लिए दूर चली जाए।

उसकी आंखें नम हो गईं। यह सब याद करके उसका दिल फिर से एक बार टूट गया। जॉन उसकी उलझन समझ चुका था। उसने एक कदम आगे बढ़कर कहा, “बॉस, आप मीरा जी को इस घर में नहीं ला सकते… लेकिन फार्महाउस? वहां तो हम जा सकते हैं। उसका पता किसी के पास नहीं है, वो पूरी तरह से सीक्रेट है।”

यह सुनकर रणविजय के चेहरे पर हल्की सी उम्मीद की किरण चमकी। वह तुरंत खड़ा हुआ, उसकी आंखों में पहली बार कुछ दृढ़ता आई। “हाँ,” उसने खुद से कहा, “फार्महाउस... वहीं सही रहेगा।”

लेकिन उसके मन के किसी कोने में एक डर अब भी जिन्दा था। अगर मीरा आई तो? उसे देखकर वो कैसे रिएक्ट करेगी? उसकी आँखों में फिर से वो नफ़रत झलकती है तो? क्या वो सह पाएगा? शायद नहीं।

लेकिन अब Ms. Rosy के लिए, मीरा से एक आखिरी बार मिलने के लिए, वह सब कुछ झेलने को तैयार था।