Sanam in Hindi Love Stories by shikha books and stories PDF | सनम - 1

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सनम - 1

अध्याय 1: "नज़रें जो टकराईं"

मुंबई की एक सर्द सुबह...

समंदर की लहरें शांत थीं, लेकिन शहर के बीचोंबीच एक तूफानी शख्सियत की एंट्री होने वाली थी।

काली Mercedes-Benz Maybach का दरवाज़ा खुला, और धुएं की तरह बाहर निकला एक नाम युग प्रताप सिंह। ऊँचा कद, तीखी आँखें,  गुलाबी होंठ नीली आंखें छाती पर जमी हुई सिक्योरिटी टीम की मौजूदगी और एक ऐसा रौब, जिसे देखकर अच्छे-अच्छे कांप जाते थे।

आज वो किसी मीटिंग के लिए नहीं निकला था। आज उसका मन बेमकसद सड़कों पर घूमने का कर रहा था। वो कभी-कभी यूँ ही लोगों को बिना डरे चलता देखना चाहता था — वो डर जो उसके नाम से उनके चेहरों पर उतर आता था।

उसी वक़्त, सड़क किनारे एक छोटी सी किताबों की दुकान के पास, एक लड़की झुकी हुई किताबों को उलट-पलट रही थी। सादे सूट में, बिना मेकअप के, बाल खुले हुए... लेकिन आँखों में जैसे कोई अलग ही दुनिया बसाई हो।

युग की नज़रें ठहर गईं।

“कौन है ये?” उसने धीरे से अपने बॉडीगार्ड से पूछा।

“सर, आम लड़की लगती है। शायद कॉलेज की स्टूडेंट है।”

युग की आँखों में हल्की सी मुस्कान आई — जो बहुत कम होता था।

“नाम पता करो इसका...” उसने कहा, और वहीं कार के शीशे से टिक कर उसे देखने लगा।

लड़की का नाम था — अवनी शर्मा। एक मध्यमवर्गीय परिवार से, ग्रंथालय की विद्यार्थी, जो हर सप्ताह पुरानी किताबें खरीदने आती थी।

उसे खबर नहीं थी कि आज उसके ऊपर एक ऐसा दिल फिसल चुका है, जिसने अब तक सिर्फ खून और सौदे किए हैं।

अवनी ने एक पल के लिए पीछे मुड़कर देखा।
युग की कार की तरफ उसकी निगाहें उठीं।
उनकी नज़रें मिलीं।
और उसी एक पल में — युग हार गया।

वो लड़की, जो न उसके सामने झुकी, न डर कर पीछे हटी... वो उसके दिल में बस गई।

उसे नहीं पता था कि यह मोहब्बत नहीं, एक आग थी जो अब बुझने वाली नहीं। 
उसने अपने एक आदमी से कहा मुझे शाम तक इसका नाम पता सब चाहिए!   

...ओके सर बोलके बो आदमी वहां से चला गया युग बार-बार यही सोच रहा था की बो कौन थी जो मेरी आँखों में देख रही थी बो भी बिना डरे 

युग बापस घर आ गया! या शाम होने का इंतज़ार कर रहा था! उसने क्या पता था कि उसका ये पागलपन उसे कह ले जाएगा ..

युग सोच ही रहा था तभी उसके कमरे का दरवाजा पता थ नॉक हुआ उसने कहा आ जाओ रमेश अंदर आते हुए सर उनका पता चल गया है बो अंधेरी में रहती है उनका नाम अवनि शर्मा है बो हमारे ही कॉलेज में पढ़ती है...
युग ने बोला अवनी ठीक है तुम जाओ या कुछ पता चले तो मुझे बताओ बो कहा जाति है क्या करती है कितने दोस्त हैं सब कुछ पता करो उसके पीछे अपना कोई आदमी लगा दो या बोलो कि पल पल उसकी खबर हूं हमें देने के लिए बोलो ओके सर बोलके रमेश वाहा से चला गया !

रमेश युग का सबसे पुराना या बफादार आदमी था उसका सारा काम रमेश ही संभालता था 

अब आगे क्या होगा जाने के लिए जुडे रहिए इस कहानी के साथ सनम 


जिसको लिखा है शिखा दास ने...