the story of devil in Hindi Horror Stories by avinash books and stories PDF | कहानी एक भटकती आत्मा की

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कहानी एक भटकती आत्मा की



एक बहुत सुंदर गाँव था, जो पहाड़ों के बीच बसा हुआ था। गाँव के लोग बहुत खुशहाल ज़िंदगी जी रहे थे। सब कुछ अच्छे से चल रहा था।


इसी गाँव में रतन नाम का एक लड़का था, जो अपनी पढ़ाई पूरी कर के वापस गाँव लौटा। लेकिन घर आने के बाद रतन अजीब-अजीब हरकतें करने लगा। घरवालों ने शुरू में ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।


लेकिन दो दिन बाद उसके पड़ोस में एक बिल्ली मरी हुई मिली। उस बिल्ली की गर्दन पर चोट का निशान था, जो किसी इंसान के दाँत के जैसा लग रहा था—जैसे किसी इंसान ने अपने मुँह से उसकी गर्दन काटी हो।


गाँव में डर का माहौल बन गया। अगले ही दिन एक कुत्ता भी खून से लथपथ मिला। उसकी हालत भी वैसी ही थी—मानो किसी इंसान ने उसके गले पर दाँत गड़ा दिए हों।


अब गाँव के लोग बहुत डर गए थे। रात में कोई घर से बाहर नहीं निकलता था।


फिर एक दिन अचानक रतन के घर से ज़ोर की चीखने की आवाज़ आई। आवाज़ इतनी तेज़ थी कि पूरा मोहल्ला उसके घर की ओर दौड़ा।


वहाँ जो नज़ारा देखने को मिला, वह बहुत ही भयानक था—रतन अपने ही मुँह से अपने हाथ को काट रहा था। उसके माता-पिता ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह रुक नहीं रहा था।


यह सब देखकर गाँव वालों ने पास के गाँव से एक तांत्रिक को बुलवाया। तांत्रिक के आने पर रतन और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा।


पूरा घर डर के साए में था। तांत्रिक बाबा ने अपने हाथों से मंत्र पढ़े और रतन का हाथ छुड़वाया। फिर उसने रतन के सिर के बाल पकड़ कर पूछा, “क्या चाहिए तुझे? क्यों इस बच्चे को परेशान कर रहा है?”


रतन बोला, “मुझे रतन चाहिए... बात ख़त्म।”


तांत्रिक बाबा ने कहा, “क्यों रतन? क्यों चाहिए तुझे रतन? और तू ऐसा क्यों बोल रहा है? मुझे पता है तू कौन है। चुपचाप चला जा, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”


रतन ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, “मुझे बचाओ... मुझे बचाओ...”


बाबा ने पूछा, “अब रतन बोल रहा है, या वो जो तेरे अंदर बैठा है भूत?”


बाबा की बात सुनकर रतन के घरवाले और पूरा मोहल्ला चौंक गया।


लोगों ने पूछा, “बाबा जी, क्या रतन को किसी भूत ने पकड़ रखा है?”


बाबा बोले, “अब यह बात रतन ही बताएगा।”


बाबा ने रतन को पानी पिलाया और पूछा, “बेटा रतन, क्या हुआ था? यह भूत तुझे कब और कैसे मिला, सब विस्तार से बताओ।”


रतन रोते हुए बोला, “बाबा जी, मैं हॉस्टल की छत पर रात को खाना खा कर टहल रहा था, तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मुझे पीछे से छत से धकेल रहा हो। फिर मैं बेहोश हो कर गिर पड़ा।


अगले दिन जब उठा तो बिस्तर पर था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना देखा हो। लेकिन जब गाँव आया तो ये सब होने लगा। बाबा जी, प्लीज़ मुझे बचा लीजिए।”


यह सब सुनकर गाँव वाले दंग रह गए।


बाबा जी ने उसका इलाज शुरू किया, और कुछ समय बाद रतन पहले की तरह ठीक हो गया। फिर उसके बाद रतन वापस हॉस्टल चला गया  और उसके बाद सब कुशल मंगल हो गया पहले की तरह