The incomplete story of Palak in Hindi Women Focused by Katha kunal books and stories PDF | पलक की अधूरी दास्तां

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पलक की अधूरी दास्तां

18 साल की पलक एक ऐसी लड़की थी, जो अपनी परेशानियों से भरी ज़िंदगी को भी मुस्कान के साथ जी रही थी। उसे हमेशा यही लगता था कि उसकी मुश्किलें एक दिन खत्म हो जाएंगी, पर वक्त के साथ उसकी परेशानियाँ और बढ़ती चली गईं।

पलक का जन्मदिन आने वाला था। उसने खुशी-खुशी अपनी माँ से कहा कि वह अपना जन्मदिन मनाना चाहती है। लेकिन उसकी माँ ने उसकी बात सुनकर हाँ कहने की बजाय उसे थप्पड़ मार दिए। पलक के माँ-बाप तो थे, लेकिन फिर भी वह अनाथों जैसी ज़िंदगी जी रही थी।

उसकी माँ उसे बिना किसी कारण मारती-पीटती और घर के सारे काम करवाती। वह कहती, "तू तो मेरे घर में काल बनकर आई है। काश तू मेरी कोख में ही मर जाती तो अच्छा होता।" पलक यह सब बातें चुपचाप सहती रहती, मानो जैसे ज़हर का घूंट पी रही हो। वह खुद को ही दोषी मानती, सोचती कि शायद गलती उसी की है।

पलक के पिता रोज शराब पीकर आते। आते ही माँ को मारते और पलक को भद्दी-भद्दी गालियाँ देते। घर का माहौल इतना जहरीला था कि इंसान का दम घुट जाए। पलक की पढ़ाई का खर्च उसके मामा उठाते थे, क्योंकि उसके अपने घर में उसके पास कोई अधिकार नहीं था। बस एक छाया सी बनकर रह गई थी।

फिर भी पलक ने हार नहीं मानी। वह कॉलेज में आ गई और पढ़ाई में खुद को पूरी तरह झोंक दिया। वैसे भी वह पढ़ाई में बहुत तेज थी। वह चाहती थी कि अपनी मेहनत और लगन से एक दिन अपने लिए एक नई दुनिया बना सके।

लेकिन जैसे ही ज़िंदगी में कुछ स्थिरता आने लगी, अचानक उसकी माँ की मौत हो गई। माँ की मौत ने पलक की ज़िंदगी में एक बड़ा खालीपन छोड़ दिया। ऊपर से उसके पिता ने साफ मना कर दिया कि वे अब उसके किसी भी खर्च को नहीं उठाएंगे। एक तो माँ का साया उठ गया और दूसरा पिता ने भी हाथ खींच लिया।

अब पलक बिलकुल अकेली पड़ गई थी। तभी उसके चाचा, जो काफी अमीर और रईसी जिंदगी जीते थे, आगे आए। उन्होंने कहा, "मैं पलक का सारा खर्च उठाऊंगा और इसे अपनी बेटी की तरह पालूंगा।" सुनकर पलक को थोड़ी राहत मिली। लेकिन किसी को नहीं पता था कि उनके मन में क्या चल रहा था।

पलक के चाचा की पत्नी शुरू से ही बीमार रहती थीं, और डॉक्टरों ने उन्हें किसी भी तरह का शारीरिक संबंध बनाने से मना किया था। कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन एक दिन पलक के चाचा ने अपनी असली औकात दिखा दी।

एक रात जब पलक गहरी नींद में सो रही थी, उसके चाचा उसके कमरे में आए और उसे ज़बरदस्ती चूमने लगे। पलक की आँख खुल गई, और उसने खुद को बचाने की कोशिश की। वह किसी तरह उनसे दूर भागकर बाथरूम में बंद हो गई और तुरंत अपने मामा को फोन कर सारी बात बताई।

मामा तुरंत वहां पहुंचे और पलक को अपने घर ले गए। उन्होंने कहा कि अब वह उनके पास ही रहेगी। पलक के चाचा को लगा था कि वह पैसों के लालच में उसकी बात मान जाएगी, लेकिन वह गलत थे। पलक समझदार थी और आत्मनिर्भर भी।

चाचा को डर लगने लगा कि कहीं पलक उसकी करतूत सबको न बता दे और उसे जेल न भिजवा दे। इसी डर के कारण उसने एक खतरनाक कदम उठाया। एक दिन जब पलक कॉलेज जा रही थी, उसने अपनी कार से उसे कुचल कर मार डाला।

इस घटना का कोई गवाह नहीं था। वहां न कोई कैमरा था और न ही चाचा की गाड़ी पर नंबर प्लेट। किसी को नहीं पता चला कि पलक की मौत कैसे हुई। मामला वहीं दब गया।

आज भी उसका चाचा डर के साए में जी रहा है। उसे डर है कि कहीं उसकी सच्चाई दुनिया के सामने न आ जाए। पलक अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी कहानी आज भी बहुत कुछ कहती है – एक बेटी की जो सिर्फ प्यार चाहती थी, पर उसे सिर्फ दर्द ही मिला।