The first story of love in Hindi Love Stories by AKM Daku books and stories PDF | इश्क की पहली दस्तक

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इश्क की पहली दस्तक

** (इश्क़ की पहली दस्तक) **

वो लड़का, जो कभी किसी लड़की से बात भी न करता था, अपनी दुनिया में मस्त रहता था। दोस्ती, प्यार, इश्क़—इन सबसे जैसे कोई वास्ता ही न था। उसकी दुनिया किताबों, सपनों और खुद से की गई बातों तक ही सीमित थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था...

पहली नज़र का जादू

उस दिन उसकी क्लास में एक नई लड़की आई। उसकी चाल में एक अजीब सा ठहराव था, उसकी हँसी में एक जादू था, और उसकी आँखों में जैसे चाँदनी बह रही थी। लड़के ने जब पहली बार उसे देखा, तो कुछ पल के लिए सब कुछ थम सा गया।

"उसकी आँखों में ऐसा क्या था,
जो एक नज़र में कैद कर लिया?
उसकी हँसी में ऐसी क्या बात थी,
जो दिल को बेक़रार कर दिया?"

पहले तो लड़के ने खुद को समझाया—ये बस एक पल का आकर्षण है। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उसकी सोच का हर कोना उस लड़की से भरने लगा। जब वह क्लास में होती, तो लड़का छुप-छुपकर उसे देखता। जब वह हँसती, तो उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगता। और जब लड़की उसकी तरफ़ देखती, तो वह घबरा कर नजरें झुका लेता।

दिल की बेचैनी बढ़ने लगी

धीरे-धीरे लड़के की बेचैनी बढ़ने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्यों इतना परेशान रहने लगा है? पहले तो किताबों की दुनिया ही उसकी सच्चाई थी, मगर अब उसकी सोच के पन्नों पर सिर्फ़ वही लड़की लिखी जाने लगी।

"कैसी ये उलझन है दिल में,
कैसा ये नया एहसास है?
जिसने कभी चाहा ही नहीं,
वो अब इश्क़ के पास है!"

वह चाहता था कि लड़की से बात करे, लेकिन कैसे? उसने तो कभी किसी लड़की से बात तक नहीं की थी। एक डर था, कहीं वह उसे गलत न समझ ले।

क़िस्मत ने मिलाया

फिर एक दिन, क़िस्मत ने खेल खेला। किसी प्रोजेक्ट के बहाने उनकी पहली बार बात हुई। लड़के का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, लेकिन धीरे-धीरे बातचीत सहज होती गई। कुछ ही दिनों में वे अच्छे दोस्त बन गए।

अब लड़का बदल चुका था। वह जो कभी सबसे कटा-कटा रहता था, अब हर किसी से खुलकर बात करने लगा। उसे अहसास हुआ कि लड़की के आने से उसकी दुनिया रंगीन हो गई है।

"तू आई तो सब रंग बदल गए,
तेरी हँसी से दिल के अंधेरे पिघल गए!"

लेकिन इस नए एहसास ने उसकी ज़िंदगी का रुख भी मोड़ दिया। अब किताबों से दूर, पढ़ाई से कटकर, वह सिर्फ़ मस्ती और मज़ाक़ में लग गया। उसे अपने बदले हुए रूप का अंदाज़ा तक नहीं था, लेकिन यह बदलाव सही था या गलत, ये तो वक़्त ही बताएगा...

फिर आई जुदाई

वक़्त गुज़रता गया, और देखते ही देखते एग्ज़ाम का दिन आ गया। लड़के की ज़िंदगी जो कभी मस्ती और हँसी में बदल चुकी थी, अब अचानक एक मोड़ पर आ खड़ी हुई थी। एग्ज़ाम ख़त्म होते ही सबने अपने रास्ते पकड़ लिए। लड़की भी चली गई।

"कुछ लम्हे जो साथ थे,
वो भी रेत की तरह फिसल गए।
किस्मत के पन्नों से,
हम बस यूँ ही निकल गए..."

लड़का एक अजीब से खालीपन में खो गया। जो दोस्ती उसकी दुनिया में रोशनी लेकर आई थी, वह अब बस एक याद बनकर रह गई। समय बीतता गया, महीने गुज़र गए, लेकिन लड़की से कोई संपर्क नहीं हुआ।

फिर से मुलाक़ात

फिर एक दिन, जैसे किस्मत ने फिर से दरवाज़ा खटखटाया। किसी दोस्त के ज़रिए, उसे लड़की का नंबर मिल गया। लड़का पहले तो झिझका, लेकिन हिम्मत करके उसे मैसेज कर दिया। कुछ ही देर में जवाब आया—वही पुरानी दोस्ती वाली हँसी, वही बातें।

धीरे-धीरे दोनों फिर से बात करने लगे। पहले मैसेज, फिर कॉल और फिर वही मस्ती। लड़की शायद इसे एक दोस्ती की तरह देख रही थी, लेकिन लड़के के दिल में कुछ और ही चल रहा था।

"दोस्ती की राहों में,
मोहब्बत कहीं पीछे छूट जाती है।
पर दिल जिसे चाहने लगे,
वो दोस्ती कहाँ निभा पाती है?"

दिल की बात कह दी...

लड़के को अब अहसास हो गया था कि वह लड़की से प्यार करने लगा है। पहले तो उसने इसे नज़रअंदाज़ किया, लेकिन हर बार उसकी आवाज़ सुनकर दिल की धड़कन तेज़ हो जाती। हर छोटी बात पर उसे मुस्कुराते देख, उसकी दुनिया बदल जाती।

एक दिन हिम्मत जुटाकर उसने कह दिया—
"मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ… नहीं, शायद प्यार करने लगा हूँ!"

लड़की चुप रही। कुछ पलों तक सन्नाटा रहा, फिर उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा—
"हम बहुत अच्छे दोस्त हैं, और दोस्त ही रहेंगे…"

बस, इतनी सी बात थी। मगर उस एक लफ्ज़ ने जैसे पूरी दुनिया ही बदल दी।

"दिल ने कहा था इश्क़ है,
उसे दोस्ती ही मंज़ूर थी।
हमने खुद को खो दिया,
पर उसे प्यार कब मंज़ूर थी?"

इश्क़ अधूरा सही, पर सच्चा था...

लड़का समझ गया कि इश्क़ जबरदस्ती नहीं होता। जो अहसास उसके दिल में था, शायद लड़की ने उसे कभी वैसे महसूस ही नहीं किया। उसने मुस्कुराकर कहा—
"ठीक है… दोस्त ही सही!"

लेकिन दिल जानता था कि दोस्ती की आड़ में मोहब्बत कब तक छुपी रहेगी? कुछ कहानियाँ मुकम्मल नहीं होतीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वो सच्ची नहीं थीं…

"हर मोहब्बत को मंज़िल नहीं मिलती,
हर रिश्ता मुकम्मल नहीं होता।
पर जो दिल से चाहा हो किसी को,
वो इश्क़ अधूरा सही, पर सच्चा होता है!"