गांव के बाहर एक सुनसान रास्ता था, जिसके आखिरी छोर पर एक पुरानी हवेली खड़ी थी। लोग कहते थे, वहाँ रात को अजीब सी चीखें सुनाई देती हैं, और जो भी अंदर गया, कभी लौटकर नहीं आया। गाँव के बच्चे उस हवेली के पास जाने से डरते थे, लेकिन आरव को डर नाम की चीज़ से नफरत थी। उसकी जिज्ञासा ने उसे एक रात वहाँ जाने के लिए मजबूर कर दिया। आरव ने अपने दो दोस्तों, समीर और पूजा को मनाया। तीनों ने अपने-अपने मोबाइल, टॉर्च और खाने का सामान लेकर हवेली की ओर रुख किया। जैसे ही वे हवेली के पास पहुँचे, हवा अचानक ठंडी हो गई। दरवाजे पर जंग लगी हुई थी, और हर तरफ जाले लटके हुए थे। आरव ने दरवाजा धकेला, तो वो चरमराता हुआ खुल गया। अंदर घुप्प अंधेरा था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें टंगी थीं, जिनके चेहरे घिस चुके थे। फर्श पर धूल की मोटी परत थी, और हर कदम पर अजीब सी आवाज़ गूंजती थी। पूजा ने डरते हुए कहा, "हमें वापस चलना चाहिए।" लेकिन आरव ने हँसते हुए कहा, "डरपोक मत बनो, कुछ नहीं होगा।"। तीनों ने हवेली के कमरों की तलाशी शुरू की। एक कमरे में उन्हें पुरानी किताबें और टूटी-फूटी चीज़ें मिलीं। तभी समीर को एक अलमारी के पीछे छुपा हुआ दरवाजा दिखा। दरवाजा बहुत छोटा था, जैसे किसी बच्चे के लिए बना हो। आरव ने दरवाजा खोला, तो एक संकरी सीढ़ी नीचे तहखाने की ओर जाती थी। तीनों ने हिम्मत करके नीचे जाना शुरू किया। तहखाने में अजीब सी बदबू थी, और दीवारों पर खून के धब्बे थे। अचानक एक कोने से किसी के रोने की आवाज़ आई। पूजा ने काँपती आवाज़ में पूछा, "क...कौन है वहाँ?" तभी एक सफेद साया उनके सामने आ गया। उसकी आँखें गहरी काली थीं, और बाल बिखरे हुए थे। साया बोला, "तुम लोग यहाँ क्यों आए हो? ये जगह मेरी है!" उसकी आवाज़ इतनी डरावनी थी कि समीर के हाथ से टॉर्च गिर गई। साया धीरे-धीरे उनकी तरफ बढ़ने लगा। आरव ने डर के मारे पूजा और समीर का हाथ पकड़ा और भागने की कोशिश की, लेकिन तहखाने का दरवाजा अपने आप बंद हो गया। साया ने कहा, "हर सौ साल में मुझे तीन आत्माएँ चाहिए। अब तुम लोग यहाँ से कभी नहीं जा पाओगे।" तभी पूजा ने जेब से भगवान की छोटी मूर्नि निकाली और जोर-जोर से मंत्र पढ़ने लगी। साया चीखने लगा, और हवेली की दीवारें हिलने लगीं। अचानक तहखाने की एक दीवार टूट गई, और एक गुप्त रास्ता दिखा। तीनों ने बिना सोचे-समझे उस रास्ते में दौड़ लगा दी। रास्ता बहुत संकरा था, और हर तरफ मकड़ियों के जाले थे। आखिरकार वे एक छोटे से दरवाजे से बाहर निकल आए। बाहर निकलते ही हवेली से जोरदार धमाके की आवाज़ आई, और वो धीरे-धीरे ज़मीन में धँसने लगी। गाँव वाले दौड़कर आए, और तीनों को बाहर देखकर हैरान रह गए। आरव, समीर और पूजा ने अपनी आपबीती सुनाई, तो गाँव के बुजुर्ग बोले, "वो हवेली शापित थी। सौ साल पहले वहाँ एक औरत को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। उसकी आत्मा अब भी मुक्ति की तलाश में थी। "उस रात के बाद से हवेली हमेशा के लिए गायब हो गई। लेकिन गाँव में आज भी रात को कभी-कभी बच्चों की हँसी और औरत की चीखें सुनाई देती हैं। कहते हैं, वो आत्मा अब भी अपनी मुक्ति के लिए भटक रही है... कैसी लगी आपको ये कहानी ? ओर ऐसी डरावनी कहानी के लिए मुझे फोलो कर लीजिए 😊