Vibhama - 1 in Hindi Women Focused by Vibhama books and stories PDF | विभामा - 1

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विभामा - 1

उपन्यास का शीर्षक: ": रोशनी के साये में"

अध्याय 1: एक साधारण लड़की की असाधारण कहानी

विभामा—नाम जितना मधुर, व्यक्तित्व उतना ही गहरा। बाहर से वह एक साधारण सी लड़की दिखती थी, पर उसके भीतर की दुनिया अनंत रंगों से भरी थी। उसका दिल दया से भरा था, और उसकी आत्मा सादगी की मिसाल थी। वह उन दुर्लभ लोगों में से थी जिनकी आंखों में झील जैसी गहराई और चेहरे पर ऐसी शांति थी कि कोई भी उसे देखकर ठहर जाता।

भगवान ने उसकी ज़िंदगी को हर उस चीज़ से सजाया था जिसकी लोग कामना करते हैं। उसने अपनी पसंद के लड़के से शादी की—एक ऐसा रिश्ता जिसमें प्रेम, सम्मान और समझदारी के धागे बड़े खूबसूरती से बुने गए थे। समय के साथ दो प्यारे बेटे उसकी ज़िंदगी में खुशियों की मिठास लेकर आए, और उसके पति को एक बेहतरीन नौकरी ने आर्थिक स्थिरता दी।

बाहर से देखने वाले कहते, "विभामा का जीवन तो परियों की कहानी जैसा है।"
लेकिन सच्चाई यह थी कि विभामा खुद को कभी किसी परियों की कहानी का हिस्सा नहीं मानती थी। उसके लिए असली जादू चमकदार चीजों में नहीं था, बल्कि उन छोटे-छोटे पलों में था जो मेहनत, संघर्ष और आत्म-संतोष से जुड़े थे।

वह हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ जागती, घर के कामों में निपुणता दिखाती, बच्चों को सहेजती, और परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए दिनभर जुटी रहती। उसे सजना-संवरना अच्छा लगता था, लेकिन उससे भी ज्यादा पसंद थी वो चमक जो उसकी मेहनत और सच्चाई से उसके चेहरे पर आती थी।

अध्याय 2: ईर्ष्या की परछाईयाँ

लेकिन सब कुछ इतना सहज नहीं था।

जैसे-जैसे समय बीता, विभामा ने महसूस किया कि लोग उसके खिलाफ अनकहे जज़्बात छुपाने लगे थे। जिनकी मुस्कानें कभी दिल से होती थीं, उनमें अब एक नकलीपन घुल गया था। बातों के बीच दबी-दबी चुभन, नजरों में छिपी जलन और हंसी में छुपी कड़वाहट उसे साफ दिखने लगी थी।

"मैंने तो किसी का बुरा नहीं चाहा, फिर लोग मुझसे क्यों जलते हैं?"
यह सवाल उसके दिल में कांटे की तरह चुभता रहता।

किसी ने उसे तानों में लपेटकर सलाह दी, "तुम्हारी तो किस्मत ही अच्छी है!"
किसी ने हंसते हुए कहा, "तुम्हें तो सब कुछ बिना मेहनत के मिल गया!"

पर वे क्या जानें कि खुशहाल दिखने वाली इस तस्वीर के पीछे कितनी मेहनत, त्याग, और आत्म-संयम छुपा है।

अध्याय 3: आत्म-खोज की यात्रा

विभामा ने खुद से एक गहरी बातचीत शुरू की।
"क्या मुझमें कोई कमी है?"
"क्या मैंने अनजाने में किसी का दिल दुखाया?"

लेकिन उत्तर साफ था—नहीं।

तभी उसकी दादी के शब्दों ने उसकी सोच बदल दी:
"बेटी, जब दिया जलता है, तो उसकी रोशनी से कई लोग रौशन होते हैं, पर कुछ लोग उस रौशनी से खुद की परछाई देखकर डर जाते हैं। वे ईर्ष्या करते हैं क्योंकि तुम्हारी चमक उन्हें उनकी अपनी कमजोरियों की याद दिलाती है।"

यह सुनकर विभामा के भीतर एक नई चेतना जागी। उसने समझा कि ईर्ष्या किसी और की समस्या है, उसकी नहीं। लोगों के विचार उसके आत्म-सम्मान को परिभाषित नहीं कर सकते।

अब विभामा ने अपने दिल से डर और चिंता को निकाल फेंका। उसने अपने जीवन को वैसे ही जिया जैसे वह चाहती थी—प्यार, दया, और आत्म-सम्मान के साथ।

अध्याय 4: रौशनी के साथ जीना

विभामा का सफर यही नहीं रुका। उसने अपने अनुभवों को अपनी ताकत बना लिया। वह जान गई कि असली खुशी दूसरों की स्वीकार्यता में नहीं, बल्कि खुद की सच्चाई को अपनाने में है।

अब जब लोग उसे देखकर जलते थे, वह मुस्करा देती थी, क्योंकि वह जानती थी कि उसने वह रौशनी पा ली है, जो परछाइयों से नहीं डरती।

उसकी कहानी हमें सिखाती है कि:
"अगर तुम रौशनी हो, तो परछाइयाँ भी साथ चलेंगी। लेकिन तुम्हारा काम है रोशनी बिखेरना—चाहे दुनिया कुछ भी कहे।"

- समाप्त 
Vibhama – अध्याय अगला: “गूँजती ख़ामोशी”

वो सुबह कुछ अलग थी।

आसमान में बादल छाए हुए थे, जैसे किसी मन की उलझनों को समेटे हुए हों। विभामा खिड़की के पास बैठी थी, हाथ में अधूरी डायरी और आँखों में एक पुराने सपने की परछाईं।

“क्या सच में मैं अपनी राह बना सकती हूँ?” उसने खुद से सवाल किया।

पिछले कुछ दिनों से सब कुछ बदल रहा था। मायके से आए पापा का ख़त अब तक उसकी आँखों में बसा हुआ था:

> "बेटी, लोग चाहे जितना तोड़ें, तू बस खुद को ना भूल। तू जिस दिन अपने दिल की सुनेगी, उसी दिन तुझे अपनी असली ताकत मिलेगी।"



विभामा की साँसें गहरी हो गईं। उस पल उसे अपनी माँ की एक बात याद आई—
"चुप रहना हमेशा कमजोरी नहीं होती... कभी-कभी चुप्पी एक तूफ़ान से भी ज़्यादा असर करती है।”

उसने धीरे से डायरी का अगला पन्ना पलटा और पहली बार अपने लिए कुछ लिखा:

> “अब मैं और नहीं सहूँगी… अब मैं बोलूँगी। खुद से, दुनिया से, और उन ख्वाबों से जो अब तक बंद कमरे में कैद थे।”..........आगे पढ़ने के लिए कमेन्ट बॉक्स में  अपने विचार लिखना 🙏 soniya Yadav.