LOVE in the first rain in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | पहली बारिश का प्यार

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पहली बारिश का प्यार

स्थान: देहरादून का एक छोटा सा कस्बामुख्य पात्र: आरव और सियापहला परिचय

देहरादून की वादियों में बरसात का मौसम शुरू हो चुका था। एक छोटा-सा कॉफ़ी हाउस, भीगी हुई सड़कें और खिड़की के बाहर से झाँकती एक जोड़ी आँखें — वहीं बैठी थी सिया, जो हर शाम कॉफी पीने आती थी। दूसरी ओर, आरव — एक राइटर, जो अक्सर उसी कॉफी हाउस के कोने वाली टेबल पर बैठा अपनी डायरी में कुछ लिखता रहता।

उनकी मुलाकात पहली बार वहीं हुई, जब सिया की कॉफी गलती से आरव की टेबल पर आ गई।"माफ कीजिए, ये मेरी कॉफी है," सिया मुस्कुराते हुए बोली।आरव ने सिर उठाया और पहली बार उसे देखा। उस मुस्कान में कुछ ऐसा था जो सीधे दिल में उतर गया।धीरे-धीरे बढ़ता रिश्ता

अब हर शाम, दोनों वहीँ मिलने लगे। कॉफी से शुरू हुई बात अब किताबों, मौसम और ज़िंदगी तक पहुँच गई। सिया हँसमुख थी, तो आरव गंभीर। दोनों एक-दूसरे के विपरीत, फिर भी एक-दूसरे के पूरक।

आरव ने एक दिन सिया से कहा,"मैं एक कहानी लिख रहा हूँ, लेकिन उसका अंत समझ नहीं आ रहा..."सिया ने आँखों में शरारत भरकर कहा,"कहानी का अंत नहीं, उसे जीने वाला चाहिए।"कब प्यार हो गया, पता ही नहीं चला

एक शाम बारिश ज़रा ज़्यादा ही हो रही थी। सिया आई नहीं। आरव बेचैन होकर उस जगह गया जहाँ सिया ने कभी बताया था कि वो अक्सर जाती है — पुराना बौद्ध मंदिर।

वहीं वो बैठी थी — भीगी हुई, खोई हुई।"तुम ठीक हो?" आरव ने पूछा।सिया ने बस इतना कहा,"मैं डरती हूँ, प्यार से... खोने से..."आरव ने उसका हाथ थामा और कहा,"प्यार खोने के लिए नहीं, निभाने के लिए होता है।"एक साल बाद

कॉफी हाउस में फिर वही टेबल, वही दो कप कॉफी — और अब दो दिल जो एक-दूसरे के लिए धड़कते थे।

आरव ने अपनी किताब का कवर दिखाया:"पहली बारिश का प्यार — सिया के नाम"

बहुत बढ़िया! अब मैं उसी कहानी "पहली बारिश का प्यार" को एक विस्तृत रूप में आगे बढ़ाता हूँ — इसमें अब और भावनाएँ, गहराई और जीवन के उतार-चढ़ाव होंगे।पहली बारिश का प्यार (पूरा उपन्यासिक रूप)

लेखक: (आपका नाम यहाँ)अध्याय 1: वो पहली मुलाकात

देहरादून की पहाड़ियों पर बादल कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थे। जुलाई की शुरुआत थी, ठंडी फुहारें वातावरण में एक मीठी सी ताजगी घोल रही थीं। पहाड़ों के बीच बसे उस छोटे-से कस्बे में एक कॉफी हाउस था — 'Hill Beans', जो शाम के वक़्त यूँ चमकता था जैसे किसी कहानी का पन्ना।

आरव, 23 साल का एक उभरता हुआ लेखक, हर शाम वहीं आता था। वो अपनी डायरी में कुछ लिखता, बाहर बारिश को देखता और फिर थोड़ी देर बाद चुपचाप चला जाता। उसकी दुनिया में शांति थी, पर कोई संगीत नहीं।

उसी कॉफी हाउस में पहली बार आई थी सिया — तेज़ बारिश से भीगी हुई, आँखों में मासूमियत और होठों पर थकी सी मुस्कान। वो बगल की टेबल पर बैठी थी जब वेटर ने गलती से उसकी कॉफी आरव को दे दी।

"Excuse me," सिया ने कहा, "ये मेरी कॉफी है… शायद गलती से आपकी टेबल पर आ गई।"

आरव ने उसकी तरफ देखा। पहली बार किसी ने उसकी दुनिया में दस्तक दी थी — बिन पूछे, बिन खटखटाए।अध्याय 2: धीरे-धीरे खुलते दिल

कॉफी से शुरू हुई बातचीत अब एक आदत बन चुकी थी। हर शाम दोनों वहीं मिलते — बातें करते, कभी चुप रहते, तो कभी बस बारिश को देखते।

"तुम हमेशा अकेले क्यों आते हो?" सिया ने एक दिन पूछा।आरव मुस्कुराया, "कभी-कभी अकेलापन सबसे अच्छा साथी होता है।"

सिया ने धीमे से कहा, "और कभी-कभी कोई साथी उस अकेलेपन को तोड़ देता है…"

उनकी आँखों की भाषा अब शब्दों से कहीं ज़्यादा बोलने लगी थी।अध्याय 3: दिल की बात

एक शाम सिया नहीं आई। ना कोई मैसेज, ना कॉल। आरव ने पहली बार बेचैनी महसूस की — जैसे किसी ने उसकी साँसों की डोरी थाम ली हो।

अगले दिन वह उसे ढूँढते हुए उस पुराने बौद्ध मंदिर पहुँचा, जहाँ सिया कभी-कभी शांति के लिए जाती थी।

वहीं वो बैठी थी — बारिश में भीगी, एकदम शांत।

"तुम ठीक हो?" आरव ने पूछा।

सिया ने बिना उसकी ओर देखे कहा, "मैं डरती हूँ आरव… प्यार से… भरोसे से… क्या पता जो फिर चला गया?"

आरव उसके सामने बैठ गया और उसकी ठंडी हथेली को अपने हाथों में लिया,"मैं यहाँ हूँ, और यहीं रहूँगा। मैं तुम्हारा डर नहीं, तुम्हारा साथ बनना चाहता हूँ।"अध्याय 4: पहला इकरार

कुछ दिन बाद, सिया ने आरव को एक चिट्ठी दी।

"प्रिय आरव,पता नहीं क्यों, लेकिन तुम्हारे साथ वक्त जैसे रुक जाता है।तुम्हारी चुप्पी में सुकून है, और तुम्हारी मुस्कान में घर-सा एहसास।क्या ये प्यार है? अगर है, तो हाँ — मैं तुमसे प्यार करती हूँ।– सिया"

आरव ने मुस्कुराते हुए उसे गले लगा लिया।"तुम्हारी कहानी अब मेरी ज़िंदगी है," उसने कहा।अध्याय 5: तूफान के बादल

हर कहानी में एक मोड़ होता है।

सिया के पिता एक आर्मी अफ़सर थे, और उनका तबादला जम्मू कश्मीर हो गया। सिया को जाना था — हमेशा के लिए।

दोनों स्टेशन पर मिले। बारिश हो रही थी।

"क्या तुम इंतज़ार करोगे?" सिया ने पूछा।

आरव ने उसकी आँखों में देखा और कहा,"जब पहली बारिश गिरेगी, मैं यहीं खड़ा मिलूँगा।"

सिया चली गई।अध्याय 6: वापसी

एक साल बीत गया। आरव ने इंतज़ार किया — हर दिन, हर बारिश में।

एक दिन, कॉफी हाउस में एक नई किताब लॉन्च हुई —"पहली बारिश का प्यार – सिया के नाम"

लोग तारीफ़ कर रहे थे। और तभी, दरवाज़ा खुला। बारिश हो रही थी… और अंदर आई सिया।

"माफ करना, देर हो गई," सिया ने कहा।

आरव खड़ा हुआ, उसकी तरफ बढ़ा और मुस्कुराकर बोला,"नहीं… बिल्कुल समय पर आई हो — पहली बारिश के साथ…"

अंत – पर अधूरा नहीं