Dr Ambedkar ke Yogdan, B N Rao ki Jubaan in Hindi Philosophy by Er.Vishal Dhusiya books and stories PDF | डॉ अंबेडकर के योगदान, बी एन राव की जुबान

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डॉ अंबेडकर के योगदान, बी एन राव की जुबान

प्रस्तावना- 

बहुत सारे गहमागहमी, गलतफहमियां को पढ़ने, सुनने और देखने के बाद जो भारत के विधि मंत्री संविधान निर्माता भारतरत्न डॉ बाबासाहब भीमराव अंबेडकर पर आरोपित की जा रही हैं।  तो उनको सीधे और साधारण तरीके से समझाने की कोशिश के लिए मैंने आज एक और किताब लिखी है। और स्पष्ट तरीके से बताने के लिए मैंने बी एन राव जी  की किताब "India's Constitution in the Making" (जिसे बी. शिवा राव द्वारा संपादित किया गया है) जो उन्होंने खुद लिखी है। और डॉ बाबा साहब अंबेडकर के महत्वपूर्ण योगदान को सराहा ही नहीं बल्कि पूरे दुनियाँ के सामने दर्शाया भी है। लेकिन मनुवादी लोगों की पुरानी परंपरा है आधा अधूरा ज्ञान बांटना और समाज में विषमता फैलाना। जैसे कि मैंने अपने पिछली किताब " संविधान और संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर पर खतरा" में भी जिक्र किया है कि बी एन राव जी के साथ साथ उन 289 सदस्यों का भी योगदान है लेकिन यह बात पूरी दुनियाँ भलीभांति परिचित है कि डॉ अंबेडकर के बिना संविधान लिखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी था। उनको संविधान सभा में लाने के लिए बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों ने एड़ी चोटी की जोर लगा दी थी। लेकिन अफसोस इस बात का हो रहा है कि कुछ जातिवादी मानसिकता के लोगों ने उनके योगदान को समझने और आगे बढ़ाने के बजाय उनपर उँगलियाँ उठा रहे हैं। मैं उनसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप अपना क़ीमती समय निकालकर बी एन राव जी की किताब "India's Constitution in the Making" पढ़िए। बी एन राव जी ने खुद डॉ अंबेडकर के योगदान को विस्तार से जानकारी दी है। डॉ अंबेडकर का विरोध संपूर्ण भारत का विरोध है और ऐसे विरोधियों को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। -

             - Er.Vishal Kumar Dhusiya 

बी.एन. राव की किताब "India's Constitution in the Making" (जिसे बी. शिवा राव द्वारा संपादित किया गया) भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया और इसके पीछे के विचारों, मसौदों, और चर्चाओं का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह पुस्तक मुख्य रूप से बी.एन. राव के लेखन, नोट्स, मेमोरैंडम, और संवैधानिक सलाहकार के रूप में उनके कार्यों का संकलन है। इसके साथ ही, यह संविधान सभा के अन्य प्रमुख व्यक्तियों, विशेष रूप से डॉ. बी.आर. आंबेडकर के योगदान को भी संदर्भित करती है। नीचे पुस्तक में संविधान और डॉ. आंबेडकर के योगदान के बारे में विस्तार से बताया गया है:- 

1. संविधान के बारे में पुस्तक में क्या बताया गया है। पुस्तक में भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया, इसके ऐतिहासिक और कानूनी पहलुओं, और बी.एन. राव के योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। निम्नलिखित प्रमुख बिंदु हैं:- 

संविधान निर्माण की पृष्ठभूमि:पुस्तक में स्वतंत्रता से पहले और बाद के संवैधानिक सुधारों की आवश्यकता का उल्लेख है। यह ब्रिटिश शासन के अंतिम वर्षों में संवैधानिक गतिरोध, विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मतभेदों को दर्शाती है।बी.एन. राव ने 1946 में "Outline of a New Constitution" नामक एक प्रारंभिक दस्तावेज तैयार किया, जिसमें भारत को एक संघ (Union) के रूप में प्रस्तावित किया गया। इसमें प्रांतों को तीन समूहों (केंद्रीय, पश्चिमी, और पूर्वी) में विभाजित करने का सुझाव था, ताकि अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं को संबोधित किया जा सके।राव का प्रारंभिक मसौदा:राव ने अक्टूबर 1947 में संविधान का पहला मसौदा तैयार किया, जिसमें 240 अनुच्छेद और 13 अनुसूचियां शामिल थीं। यह मसौदा विश्व के विभिन्न संविधानों (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आयरलैंड) के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित था।

मसौदे में मौलिक अधिकार, संघीय ढांचा, शक्तियों का विभाजन, और राज्यपाल की भूमिका जैसे विषय शामिल थे। राव ने सुझाव दिया कि राज्यपाल को केंद्र का प्रतिनिधि न बनाकर, गुप्त मतदान द्वारा चुना जाए।तुलनात्मक संवैधानिक अध्ययन:राव ने 1946 में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, और आयरलैंड की यात्रा की, जहां उन्होंने संवैधानिक विशेषज्ञों (जैसे अमेरिकी न्यायमूर्ति फेलिक्स फ्रैंकफर्टर) से परामर्श किया। इस परामर्श के आधार पर, राव ने 'नियत प्रक्रिया' (Due Process) के बजाय 'प्रक्रिया, जो विधि द्वारा स्थापित हो' (Procedure Established by Law) को संविधान में शामिल करने की सलाह दी, ताकि न्यायपालिका पर अनावश्यक बोझ न पड़े।संवैधानिक गतिरोध का समाधान:राव ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संवैधानिक गतिरोध को हल करने के लिए एक नया ढांचा प्रस्तावित किया। उनके प्रस्ताव में संसद और कार्यपालिका में प्रतिनिधित्व को क्षेत्रीय आधार पर निर्धारित करने की बात थी, न कि केवल जनसंख्या के आधार पर। संविधान सभा की प्रक्रिया:पुस्तक में संविधान सभा की स्थापना, इसकी विभिन्न समितियों के कार्य, और संविधान के प्रारूपण की प्रक्रिया का वर्णन है। राव के मसौदे को ड्राफ्टिंग कमिटी ने जांचा और संशोधित किया, जिसके बाद अंतिम संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ।

2. डॉ. बी.आर. आंबेडकर के योगदान के बारे में पुस्तक में क्या बताया गया है ।

पुस्तक में डॉ. बी.आर. आंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के रूप में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उल्लेख किया गया है। हालांकि पुस्तक का मुख्य फोकस बी.एन. राव के कार्यों पर है, फिर भी आंबेडकर की भूमिका को निम्नलिखित संदर्भों में रेखांकित किया गया है ।

ड्राफ्टिंग कमिटी की भूमिका:-

बी.एन. राव द्वारा तैयार प्रारंभिक मसौदे को ड्राफ्टिंग कमिटी ने गहन जांच और संशोधन के बाद अंतिम रूप दिया। आंबेडकर, इस कमिटी के अध्यक्ष के रूप में, संविधान के प्रारूप को परिष्कृत करने और इसे संविधान सभा में प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।पुस्तक में उल्लेख है कि राव का मसौदा ड्राफ्टिंग कमिटी के लिए आधार के रूप में काम आया, जिसे आंबेडकर और उनकी टीम ने विस्तार से संशोधित किया। आंबेडकर ने संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद और प्रावधान की गहन समीक्षा की और इसे भारतीय संदर्भ के अनुरूप बनाया।मौलिक अधिकार और सामाजिक न्याय ।

आंबेडकर ने संविधान में मौलिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के प्रावधानों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि राव ने मौलिक अधिकारों का प्रारंभिक ढांचा प्रस्तावित किया था, आंबेडकर ने इन प्रावधानों को और अधिक समावेशी बनाया, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के लिए।

पुस्तक में आंबेडकर के दृष्टिकोण को राव के तुलनात्मक और तकनीकी दृष्टिकोण के पूरक के रूप में देखा गया है। आंबेडकर ने संविधान को सामाजिक परिवर्तन का एक उपकरण बनाया, जिसमें अस्पृश्यता उन्मूलन, समानता, और सामाजिक न्याय के प्रावधान शामिल किए गए।

संविधान सभा में नेतृत्व:- 

आंबेडकर ने संविधान सभा में मसौदे पर होने वाली चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न विचारधाराओं और हितों को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुस्तक में उनके इस योगदान को संक्षेप में उल्लेखित किया गया है, विशेष रूप से ड्राफ्टिंग कमिटी के कार्यों के संदर्भ में। राव के तकनीकी और तुलनात्मक दृष्टिकोण के विपरीत, आंबेडकर ने संविधान को भारतीय समाज की जटिलताओं और विविधताओं के अनुरूप ढालने का प्रयास किया।

राव और आंबेडकर के बीच सहयोग:-

पुस्तक में राव और आंबेडकर के बीच सहयोग को रेखांकित किया गया है। राव ने संवैधानिक ढांचे का प्रारंभिक आधार प्रदान किया, जबकि आंबेडकर ने इसे परिष्कृत और संविधान सभा में स्वीकार्य बनाया। दोनों के बीच परस्पर पूरकता ने संविधान को व्यापक और समावेशी बनाने में मदद की।

निष्कर्ष:-

"India's Constitution in the Making" भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह बी.एन. राव की संवैधानिक सलाहकार के रूप में भूमिका, उनके प्रारंभिक मसौदे, और विश्व के अन्य संविधानों के साथ तुलनात्मक अध्ययन को विस्तार से प्रस्तुत करती है। साथ ही, यह डॉ. बी.आर. आंबेडकर के योगदान को भी मान्यता देती है, विशेष रूप से ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका को, जिन्होंने राव के मसौदे को संशोधित और परिष्कृत करके भारतीय संविधान को सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों पर आधारित बनाया। यह पुस्तक संविधान निर्माण के पीछे के विभिन्न व्यक्तियों और विचारों के योगदान को समझने के लिए एक मूल्यवान दस्तावेज है।

             - Er.Vishal Kumar Dhusiya