The Haunted Mansion in Hindi Detective stories by Anand books and stories PDF | The Haunted Mansion

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The Haunted Mansion


भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित एक छोटा सा राज्य गोवा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो अपने खूबसूरत समुद्र तटों, समृद्ध इतिहास और भारतीय और पुर्तगाली संस्कृतियों के अनूठे मिश्रण के लिए जाना जाता है।

कोलवा बीच पणजी से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। इस बीच का पानी नीला है और वातावरण शांत है।कीर्तिनगर नामक एक छोटा सा कस्बा इस समुद्र तट के पास स्थित है।

आमतौर पर इस क्षेत्र में कोई गंभीर अपराध नहीं होता था, लेकिन कभी-कभी चोरी-चकारी की घटनाएं यहां हो जाती थीं।

आज भी बीच से थोड़े दूर स्थित एक कॉलोनी के घर में चोरी हुई थी लेकिन चोर घर से भागने मे कामयाब हो गया। कुछ लोग उसको पकड़ने के लिए उसके पीछे थे। 
भागते हुए वह समुद्र तट के पास स्थित एक हवेली में पहुंचा, जिसके बारे में माना जाता था कि वह शापित है।क्योंकि वह बाहरी व्यक्ति था इसलिए उसे इसका पता नहीं था। उसके पीछे पडे लोगों ने उसे हवेली में प्रवेश करते देखा और वे लौटने लगे क्योंकि वे जानते थे कि वह वापस नहीं आएगा।क्योंकि पहले भी कोई वापस नहीं आया था।

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चोर हवेली के अंदर था। वहाँ डर का माहौल था लेकिन वह लाचार था क्योंकि वह बाहर नहीं जा सकता था। उसने रात में बाहर जाने का फैसला किया और तब तक वह हवेली में घूमने लगा। 

वहाँ कई बड़े कमरे थे। उसने सोचा कि एक समय में यह हवेली एक अद्भुत इमारत रही होगी। भ्रमण करते हुए वह ऊपरी मंजिल पर पहुँच गया तो वहां से समुद्र साफ दिखाई दे रहा था। 

इसके बाद वह हवेली के पिछवाड़े पहुंचा और उसने देखा कि वहां एक बड़ा बगीचा था, वह उसे देखने लगा। तब तक अँधेरा फैलने लगा था।अचानक उस पर किसी चीज ने हमला किया और जब उसने यह देखा यह क्या है तो उसकी आंखों में भय व्याप्त हो गया। 

लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वह उस चीज़ के हाथों मारा गया। उसकी चीख हवेली के बाहर भी सुनी गई। वहां के निवासी समझ गए कि शापित हवेली ने एक और जान ले ली थी।

**********

स्थान : वडोदरा 

रुद्र ने इंजीनियरिंग का पहला साल पूरा कर लिया था। छुट्टियाँ शुरू होने वाली थीं और बड़ा सवाल यह खड़ा होने वाला था कि इस बार छुट्टियाँ कहाँ मनाई जाएँगी।
छह महीने से अधिक समय हो गया था जब वह शिमला के पास अपने मामा के घर गया था और उसने भेड़िया मानव का मामला सुलझाया था।

इस बार रुद्र ने पहले ही सोच लिया था कि वह अपने चाचा के घर जाएगा जो गोवा के कीर्तिनगर में रहते थे।
रुद्र को प्रकृति से बहुत लगाव था और उसे समुद्र तट, पहाड़, बर्फ आदि विशेष रूप से पसंद थे।उसने शिमला में बर्फ से ढके पहाड़ों को घूम लिया था, इसलिए इस बार उसने समुद्र तटीय क्षेत्र का दौरा करने का फैसला किया।

**********

रूद्र ने एक दिन में ही अपनी यात्रा की तैयारी पूरी कर ली थी और अगले दिन वह ट्रेन से कीर्तिनगर के लिए चल पड़ा और उसके अगले दिन वह अपने चाचा के घर पहुँच गया।

उसके चाचा राजेंद्र वहां इंस्पेक्टर के पद पर काम करते थे और उसकी चाची शीला वहां शिक्षिका थीं। उसकी एक  चचेरी बहन थी जिसका नाम मीना था और वह रूद्र के समान उम्र की थी।

वे सभी उसे देखकर खुश हुए क्योंकि वे काफी लम्बे समय के बाद मिले थे।उसके चाचा को भी भेड़िया मानव से संबंधित उसके कारनामे के बारे में पता था।एक इंस्पेक्टर होने के नाते वह इसका महत्व समझते थे और उन्हें रुद्र पर बहुत गर्व था।

रुद्र को यहाँ का वातावरण बहुत पसंद आया और वह अपनी छुट्टियों का आनंद ले रहा था। यहाँ का समुद्र तट भी बहुत साफ और शांत था। वह और मीना रोज़ाना समुद्र तट पर घूमने जाते थे। कुल मिलाकर कीर्तिनगर में रहना मज़ेदार था।

**********

एक दिन रुद्र और मीना समुद्र तट पर टहल रहे थे। टहलते-टहलते वे हवेली के पास पहुँचे। रुद्र को इस हवेली को देखकर उसमे दिलचस्पी हुई।

रूद्र: यह क्या है मीना?यह हवेली रहस्यमयी लगती है।
मीना : हां यह है। 
रूद्र: कैसे? कृपया मुझे विस्तार से बताओ।

मीना : इसे यहाँ शापित हवेली के नाम से जाना जाता है क्योंकि जो भी इसमें गया वह कभी वापस नहीं आया।लोग कहते हैं कि हो सकता है कि कोई बुरी आत्मा हो जो लोगों को मार देती है।

रूद्र: क्या तुम इस पर विश्वास करते हो? ये सब अंधविश्वास है। 

मीना: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं इसे स्वीकार करती हूं या नहीं, लेकिन यह सच है कि इससे कोई भी जीवित नहीं बच पाता।

रूद्र: मुझे लगता है कि मुझे नया केस मिल गया है। 

मीना: नहीं, पापा पुलिस में हैं लेकिन फिर भी वे इसे सुलझाने में असमर्थ रहे। और उनसे पहले भी कई लोग असफल हुए थे।

रूद्र: फिर भी मैं एक बार अपनी पूरी कोशिश करूंगा।क्या हम इसमें जा सकते हैं?

मीना: बिलकुल नहीं।अगर माँ-पापा को पता चल गया तो अच्छा नहीं होगा।

रूद्र: ठीक है फिर।

रूद्र उस समय वापस लौट आया लेकिन उसने तय कर लिया था कि वह इस मामले में गहराई तक जाएगा।

**********

शाम का समय था। रुद्र अपने चाचाजी के परिवार के साथ खाना खा रहा था। रूद्र अपने चाचाजी से हवेली के बारे में बात करने के लिए उत्साहित था।वे लोग खाना खाने के बाद एक साथ बैठे थे।

रूद्र: चाचाजी, इस हवेली का रहस्य क्या है? 

चाचाजी: मुझे पता था कि जब तुम इसके बारे में सुनोगे तो तुम्हें इसमें जरूर दिलचस्पी होगी। ठीक है मैं तुम्हें बताऊंगा। 

इसमें घुसकर कई लोगों की जान चली गई थी। अधिकतर वे सभी अपराधी किस्म के लोग थे।
यहां के निवासियों को इसके बारे में पता है इसलिए वे इसके पास जाने से भी कतराते हैं। लेकिन कभी-कभी अपराधी किस्म के लोग और बाहरी लोग इसमें घुस आते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं।

रूद्र: आपने जांच तो की होगी तो कुछ तो सामने आया होगा?

चाचाजी: हां, मैंने जांच की है और मुझसे पहले दूसरों ने भी जांच की थी लेकिन कुछ नहीं निकला।लाश ऐसी अवस्था में थी जैसे उनका पूरा खून निकाल लिया गया हो। हमें अभी तक ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है जिससे हम हत्यारे तक पहुंच सकें।

मुझे पता है कि तुम्हें रहस्य सुलझाना पसंद है लेकिन इससे दूर रहो क्योंकि यहां तुम मेरी जिम्मेदारी हो और तुम्हारी सुरक्षा सर्वोपरि है।

रुद्र: ठीक है, मैं ध्यान रखूंगा।

लेकिन सभी जानते थे कि वह निश्चित रूप से इसकी गहराई से जांच करेगा।

**********

अगला दिन रविवार था और रुद्र और उसके चाचाजी का परिवार समय बिताने के लिए समुद्र तट पर गए। वे वहां आनंद ले रहे थे और घूम रहे थे। रूद्र का मन अभी भी हवेली में ही अटका हुआ था।

रुद्र: चाचाजी, एक बात बताइये? इस हवेली में सबसे ज्यादा घटनाएं कब होती हैं? दिन में या रात में?

चाचाजी : अधिकतर घटनाएं रात में हुईं और पीड़ित अधिकतर गलत पृष्ठभूमि से थे, अर्थात वे अधिकतर अपराधी थे। लेकिन हमारी जांच ज्यादातर दिन के समय ही होती थी जब हमें किसी के गायब होने की सूचना मिलती थी या किसी अपराधी के होने की खबर मिलती थी। तब हम हमेशा अपनी जांच यहीं से शुरू करते थे।

रुद्र: क्या कोई सीरियल किलर है जो अपराधियों को मार रहा है? और अपने पैटर्न को छिपाने के लिए उसने कभी-कभी निर्दोष लोगों की हत्या कर दी हो?

चाचाजी: जांच में ऐसा कुछ आया तो नहीं है लेकिन मैं एक बार फिर से सोचता हूं इस पर।

रुद्र भी सोच में पड़ गया और उसका मन इस रहस्य में बुरी तरह उलझ गया। 

**********

कुछ बच्चे बीच पर क्रिकेट खेल रहे थे। हवेली की पिछली दीवार बीच के पास थी। अचानक उनकी गेंद पिछली दीवार से हवेली में पहुँच गई।

उनमें से कुछ बच्चे बाहरी थे और अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे। जिज्ञासा के कारण उनमें से कुछ ने दूसरों के मना करने के बावजूद भी उसमें प्रवेश कर लिया।

उनमें राजू नाम का एक लड़का था जो मीना का पड़ोसी था,वह उनके पास आया और उन्हें पूरी बात बताई।

राजेंद्र और रुद्र हवेली की ओर दौड़े और उन्होंने पूरी हवेली घूमी और अंततः हवेली के पिछवाड़े में पहुंच गए।

उन्होंने बच्चों को ढूंढ लिया था और उन्हें बाहर लौटने को कहा। रूद्र हवेली को अंदर से देखने के लिए उत्साहित था।

रुद्र: चाचाजी यहा आ ही गए हैं तो एक बार थोड़ा देख लेते हैं।

चाचाजी जानते थे कि रुद्र का मन नहीं मानेगा इसलिए  इजाजत दे दी।दोनों ने खूब खोजबीन की लेकिन कुछ नहीं मिला। किसी व्यक्ति या किसी बड़े जानवर का कोई निशान नहीं था। वहाँ केवल विभिन्न प्रकार के पौधे और कुछ छोटे जानवर थे।

अंततः वे बाहर आये। रुद्र ने सोचा कि यह मामला अधिक चुनौतीपूर्ण होगा लेकिन उसने इसकी जांच करने का फैसला किया।

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रुद्र और उसका परिवार समुद्र तट पर दिन का आनंद लेने के बाद घर लौट आया। उन्होंने खाना खा लिया था और अब वे कॉफी पी रहे थे और बातें कर रहे थे। 

मीना : अब तो मुझे ये सब सच में किसी आत्मा का किया हुआ जान पड़ता है। 

रुद्र: ये कैसी बात कर रही हो मीना। आज के जमाने में ये सब कहाँ होता है? 

मीना: आपने कभी सोचा था कि आपका सामना कभी भेड़िया मानव से होगा? जब भेड़िया मानव हो सकता है तो आत्मा क्यू नहीं?

रुद्र के पास कोई जवाब नहीं था। वह ख़ुद कुछ समय पहले असामान्य घटनाएँ होते हुए देख चुका था।

रूद्र: तुम ठीक कह रही हो,मुझे दूसरी दिशा में भी सोचना होगा।

रुद्र के चाचाजी को भी उसका उत्साह देख के उसको रोकना सही नहीं लगा।

चाचाजी: ठीक है रुद्र। तुम मेरे साथ मेरी जांच में भाग ले सकते हो। लेकिन यह सुनिश्चित करो कि तुम अकेले कुछ भी नहीं करोगे।

यह सुनकर रूद्र खुश हुआ और उसने वादा किया कि वह हवेली में चाचाजी के साथ ही प्रवेश करेगा, अकेले नहीं।

*********

राजेंद्र के घर के पास एक शर्मा परिवार रहता था। उनके पास एक कुत्ता था और वे उसे रोज़ाना सुबह-शाम घुमाने ले जाते थे। कल रात वे घूमने के लिए समुद्र तट पर गए थे लेकिन अचानक उनका कुत्ता वहाँ से भाग गया और हवेली में चला गया।

उनमें उसे खोजने के लिए हवेली में प्रवेश करने का साहस नहीं था, इसलिए वे दुखी मन से लौट आए।
उन्होंने राजेंद्र को सारी बात बताई और मदद मांगी।

राजेंद्र: इस समय वहाँ जाना ठीक नहीं होगा। आप सभी उस हवेली के बारे में बातें जानते हैं।लेकिन मैं सुबह जरूर देखूंगा।

रूद्र: लेकिन चाचाजी, अगर हमें सच जानना है तो यह समय अच्छा रहेगा क्योंकि हम सभी जानते हैं कि दिन के समय कोई सुराग नहीं मिलता।

राजेंद्र को रुद्र की बात ठीक तो लगी लेकिन वह किसी की जान खतरे में नहीं डालना चाहता था।फिर भी उन्होंने अन्य पुलिसकर्मियों से पूछा और उनका हौसला बढ़ाया और अंततः वे सभी हवेली में जाने के लिए तैयार हो गए।

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राजेंद्र, रुद्र और अन्य पुलिसकर्मी हवेली में घुसे और जांच शुरू की। वे आखिरकार पिछवाड़े के बगीचे में पहुँच गए। हमेशा की तरह वहाँ सिर्फ़ पौधे और कुछ छोटे जानवर थे। लेकिन वहां किसी भी मानव या बड़े जानवर का कोई निशान नहीं था। 

कुत्ते का शव वहां पाया गया, उसके शरीर में खून की एक भी बूंद नहीं थी। वे सभी बहुत हैरान थे। किसी भी चीज़ या व्यक्ति के बारे में कोई सुराग नहीं था।

रूद्र का दिमाग भी सोचना बंद कर चुका था क्योंकि स्थिति वाकई अजीब थी। अंततः उन्होंने जांच रोक दी और हवेली से वापस लौट आये।

रुद्र: यह हमारी सोच से बाहर है। मैं यह समझने में असमर्थ हूँ कि यह मानव है, पशु है या अलौकिक है।

राजेंद्र: तुम सही कह रहे हो, मैं भी इसे समझने में असमर्थ हूं।

अंततः वे सभी थके-हारे और निराश होकर घर पहुंचे और अगले दिन इस पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया।

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उस रात रुद्र बस हवेली के बारे में सोच रहा था। उसने बहुत सोचा लेकिन वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका।

वहां न तो किसी मानव का और न ही किसी खतरनाक जानवर का कोई निशान था। यहां तक कि वहां किसी भी प्रकार की अलौकिक चीजों का कोई संकेत भी नहीं था।

वह जितना भी सोचता उसकी सोच बस छोटे जानवरों  और पेड पौधों पर ही आकर रुक जाती थी।वह फिर से इस पर सोचने लगा। उसे हर किताब, हर शो याद आ गया जो वह जासूसी के अपने जुनून के कारण  देखा करता था।अचानक उसके दिमाग में बहुत भयानक ख्याल आया।

वह बहुत देर तक सोचता रहा क्या यह संभव हो सकता है?

अंततः उसने कीर्तिनगर का इतिहास जानने का निश्चय किया। उसकी चाची एक शिक्षिका थी इसलिए वह भी उसे कुछ जानकार व्यक्तियों से संपर्क करवा सकती थी।

इसके अलावा उसने अपने कॉलेज में भी अपने एक प्रोफेसर से बात करने की सोची।उसने ये सब कल पर रखते हुए सोने का निश्चय किया।

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वर्ष : 1975
स्थान : कीर्तिनगर की हवेली

उस समय कीर्तिनगर आज की तरह विकसित नहीं था। वहाँ बहुत ज़्यादा घर नहीं थे। सीमित आबादी ही रहती थी।

उस समय उस हवेली में प्रोफेसर सुरेश शास्त्री रहा करते थे।यह हवेली उन्हें सरकार द्वारा उनके शोध कार्य के लिए अस्थायी तौर पर दी गई थी। वे जीव विज्ञान में बहुत होशियार थे और एक वैज्ञानिक थे। लेकिन वे होशियार होने के साथ-साथ सनकी भी थे। वह आजकल जीव विज्ञान से संबंधित शोध में व्यस्त थे।

वह उस चीज़ को और अधिक विकसित करना चाहते जो उनकी प्रयोगशाला में थी। यह प्रयोगशाला हवेली के पिछवाड़े में स्थित थी।वहाँ के निवासी भी उसे पागल कहते थे क्योंकि वह अजीब प्रयोग करता रहता था।

आजकल वह जिस प्रयोग में लगा हुआ था उसमें कई बार विफ़ल हो गया था लेकिन उसने उम्मीद नहीं खोई थी।

लेकिन आज कुछ अलग था और वह अपने प्रयास में सफल रहे। वह चीज़ अब विकसित और जीवित थी।
प्रोफेसर खुश तो हुए लेकिन ज्यादा देर तक नहीं, क्योंकि उस चीज ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें मार डाला।

प्रोफेसर की सनक उनके लिए ही जानलेवा बन गई थी।तभी से यह हवेली शापित हो गई और इसमें प्रवेश करने के बाद कई लोगों की जान चली गई।

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वर्तमान समय: वर्ष 2025 

अब रुद्र को हवेली के बारे में कुछ सुराग मिल गया था। वह श्री वीरेंद्र शास्त्री से मिलने के लिए गया था।
वीरेंद्र शास्त्री उसकी चाची के सहकर्मी थे और एक जीवविज्ञान शिक्षक थे। वह प्रोफेसर सुरेश शास्त्री के पुत्र थे।उसने बताया कि उसके पिता उस प्रयोगशाला में पौधों और जानवरों पर प्रयोग करते थे और उसने यह बात पुलिस को पहले ही बता दी थी। लेकिन वह अपने पिता के प्रयोग के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे क्योंकि उस समय वह केवल पांच साल के थे और अपनी माँ के साथ मुंबई में रहते थे और कुछ 25 साल पहले ही कीर्तिनगर में स्थित अपने पैतृक घर लौटे थे। उनके पिता की एक डायरी में सब प्रयोग के बारे में लिखा हुआ था।

रूद्र ने मिस्टर पॉल,जो उसके कॉलेज में बायोटेक के प्रतिभाशाली अध्यापक थे,से इस बारे में चर्चा की।अब उसे इस रहस्य को सुलझाना था और अब उसे रास्ता मिल गया था।

उसने अपने चाचा को सारी बात बताई और अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया। उसने एक खिलौना खरगोश खरीदा जो असली जैसा दिखता था और उसमें एक विशेष प्रकार का जहर भर दिया । यह रिमोट से संचालित होता था। वह इसे हवेली के पिछवाड़े में बगीचे में ले गया। वह उसे इधर-उधर घुमाने लगा। उसके चाचा का परिवार और कुछ अन्य लोग उसके साथ थे और वे सब रुद्र के साथ थोड़ा दूर खड़े थे।

और फिर सामने आया एक खौफनाक मंजर। गुलाब के पौधे जैसा दिखने वाला एक पौधा हरकत में आया और उस खिलौने को पकड़ कर उसका खून पीने की कोशिश करने लगा, क्योंकि वह उसे एक जीवित प्राणी समझ रहा था।रुद्र और राजेंद्र को छोड़कर सभी बहुत आश्चर्यचकित थे।

पौधा अब छटपटा रहा था क्योंकि उसमें जहर पहुँच गया था और कुछ देर बाद वह बिना किसी हलचल के जमीन पर गिर पड़ा।

रूद्र: तो यह था भूत  या अभिशाप, जो भी आप लोग इस हवेली के बारे में  कहते हैं।

राजेंद्र: हाँ, रुद्र ने मुझे कल इसके बारे में बताया था और इसे हल करने की यह हमारी योजना थी। 

रुद्र: सालों पहले जो प्रोफेसर सुरेश शास्त्री यहा रहते थे,यह उनके पागलपन का नतीजा था। वह इन सामान्य पौधों को मांसाहारी बनाना चाहता था, इसलिए उसने इस गुलाब के पौधे में एक वायरस प्रविष्ट करा दिया।इस वायरस में मांसाहारी पौधों और जानवरों के जीन मौजूद थे।ये पौधा साधारण पौधों की तरह दिखता था, इसलिए कोई भी उसे पहचान नहीं सका। 

सभी लोग रुद्र को प्रशंसा भरी दृष्टि से देख रहे थे। 

**********

सभी लोग ध्यानपूर्वक रुद्र की बात सुन रहे थे। 

रूद्र: उस वायरस के कारण इस पौधे में कुछ इंद्रियाँ विकसित हो गई थीं और इसे लंबा जीवन मिला क्योंकि यह जीवित प्राणियों के रक्त पर जीवित था।यह मुख्य रूप से जानवरों के खून पर निर्भर था क्योंकि मनुष्य इस हवेली में कम ही आते जाते थे।हवेली के शापित समझे जाने के कारण लोग इसमें जाते नहीं थे। एक तरह से ये अच्छा ही था क्यूंकी इस वजह से कई लोगों की जान बची रही।पहले कीर्तिनगर इतना विकसित नहीं था और लोग भी इतने जागरूक नहीं थे तो अंधविश्वास को सच मानते हुए लोग हवेली में जाते ही नहीं थे।अधिकतम मौतें जानवरों की थीं, इसलिए पुलिस भी इसमें ज्यादा गहराई से नहीं गई।इसलिए बड़े स्तर पर कोई जांच नहीं की गई।फिर यह पौधा हवेली के पिछवाड़े के बहुत ही आंतरिक भाग में स्थित था और ये सब का कारण एक पौधा भी हो सकता है ऐसा किसी ने सोचा नहीं था।

चाची: तुमने तो कमाल कर दिया बेटा।हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि यह ऐसा भी हो सकता है।

मीना: आप जीनियस हैं भाई।

रुद्र मुस्कुराया और बोलने लगा।

रुद्र: रुकिये, अभी और भी कुछ है जो इस केस में बाकी है।

सभी लोग आश्चर्य से रुद्र को देख रहे थे।

चाची और मीना: अब क्या बाकी रह गया इसमें?

रूद्र: क्या आप सभी ने सोचा कि यह पौधा केवल एक इंसान या जानवर पर ही हमला क्यों करता है? जबकी हम सब पहले भी यहीं जांच करने आ चुके हैं। फिर हममें से कुछ लोग उसके पास गए लेकिन फिर भी उसने हमला नहीं किया।सभी आश्चर्यचकित थे क्योंकि उन्होंने वास्तव में इसके बारे में नहीं सोचा था।

तभी राजेंद्र के फोन पर कुछ मैसेज आया जो उसने रुद्र को दिखाया जिसे देख रुद्र मुस्कुराने लगा।

रूद्र: यह किसी व्यक्ति की भागीदारी के बिना संभव नहीं था। आपका दुख तो होगा वीरेंद्र सर, लेकिन मैं मजबूर हूं ये बताने के लिए।

सभी लोग वीरेन्द्र शास्त्री को रहस्यमय दृष्टि से देख रहे थे।तभी दो पुलिसवाले एक व्यक्ति को पकड़े हुए अंदर आये।

वीरेंद्र : सुरेन्द्र, तुम यहाँ? वो भी ऐसे।

सुरेन्द्र, वीरेन्द्र का छोटा भाई था, जो उसके साथ रहता था।

रुद्र: माफ कीजिए सर लेकिन आपके भाई की भी इसमें भागीदारी है। 

वीरेंद्र: क्या बात कर रहे हो तुम?ऐसा कैसे हो सकता है?

रुद्र: हाँ सर, आपका भाई आपकी तरह नहीं सोचता है। आप की नज़रों में आपके पिता गलत थे लेकिन इनकी नज़रों में नहीं। जब मैं आपके घर आया था और आपके पिता के बारे में हम बात कर रहे थे और हम उनको गलत बता रहे थे तो उनकी आंखें और चेहरे पर जो भाव आए थे, उन्हें देख के ही मैं समझ गया था कि कुछ तो गड़बड़ है।इनकी नजर में सुरेश शास्त्री महान थे।

वीरेंद्र: लेकिन फिर भी उसका इससे क्या लेना-देना है?

रुद्र: सुरेन्द्र एक बायोटेक विशेषज्ञ हैं और उन्हें पता था कि प्रौद्योगिकी को जीव विज्ञान के साथ कैसे मिलाया जा सकता है। इसलिए अपने पिता के हुए अपमानो का बदला लेने के लिये उन्होंने सही समय का इंतज़ार किया और उस पौधे में एक विशेष प्रकार का सेंसर लगाया जो एक से अधिक व्यक्तियों के होने पर पौधे को शांत रहने का निर्देश देता था और जब केवल एक ही व्यक्ति हो तो हमला करने का। इसलीये खोज बीन में कभी कुछ पता नहीं लग पाया। आप सब लोग जब यहीं थे तो चाचाजी ने अपने कुछ साथियों को आपके घर भेज दिया था और जब उससे कड़ाई से पूछा गया तो उसने सब कुछ प्रमाण सहित बता दिया।साथ ही यह ये भी चाहता था कि इस हवेली का अभिशप्त होने का विश्वास बना रहे ताकि आगे ये हवेली को अपने हिसाब से उपयोग कर सके।

सुरेन्द्र: यह लड़का सही कह रहा है भैया। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मुझे अब भी लगता है कि मेरे पिता बुरे नहीं हैं।ना कि मैं तुम्हारी तरह उन्हें बुरा मान चुका हूं।मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है।

राजेंद्र: ठीक है अब तुम जेल जाने के लिए तैयार रहो।

वीरेंद्र दुखी थे लेकिन कुछ नहीं कर सकते थे और वे सदमे की स्थिति में थे कि उनके सामने इतना कुछ हो रहा था लेकिन उनको पता नहीं लगा।

इस प्रकार रुद्र के नाम एक और रहस्य हो गया जो उसने हल कर दिखाया।उसके परिवार को उस पर गर्व था।



समाप्त

नोट: इस कहानी में दर्शाए गए पात्र और घटनाएँ काल्पनिक हैं। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई भी समानता मात्र एक संयोग है और लेखक का ऐसा कोई इरादा नहीं है।


Written By :
Anand Kumar Sharma

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