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नमस्कार
स्नेहिल साथियों
मान्यता को कितने दिनों से समझा रही थी कि वह एक साहसी, प्यारी, समझदार लड़की है क्यों बेकार ही किसी से पंगा लेती है। कोई भी परिस्थिति आए, हमें विवेक से काम लेना चाहिए लेकिन वह बार - बार छोटी सी बात पर उखड़ जाती। इससे और किसी का नहीं उसका ख़ुद का ही नुकसान कर बैठती।
हवा का रुख चाहे जैसा भी हो, नौका को हम उसी दिशा में ले जाएंगे जिस दिशा में जाना चाहते हैं। हम परिस्थितियों को तो बदल नहीं सकते हैं, गर्मी को आने से नहीं रोक सकते, जहां, पंखा, कूलर, एसी लगा सकते हैं। हम वर्षा होने से नहीं रोक सकते, हाँ छाता लेकर बाहर निकल सकते हैं। हम पूरी धरती के काँटों को नहीं निकाल सकते हैं, हाँ अपनी सुरक्षा के लिए जूते पहन कर निकल सकते हैं। यानी समस्याएं हैं तो उनके समाधान भी हैं। भूख बाद में लगती है अन्न पहले से तैयार है। प्यास को शांत करने के लिए पानी है। मतलब समस्या और समाधान सहोदर हैं। बस थोड़ा धैर्य रखना होगा। हर समस्या का समाधान उसी के अंदर है। समस्या पर चिंतन करना है, चिंता नहीं। बस थोड़े से खुले मन से, थोड़े से धैर्य से, थोड़े से समर्पण से ओर थोड़ा सा त्याग करने के लिए तैयार होकर रहने से समाधान प्राप्त हो सकता है लेकिन उखड़ने से नहीं ।
मान्यता का हर बार कहना अपनी उम्र को लेकर होता है कि वह बड़ी होती जा रही है, लोग उसकी बात न समझकर उससे ही ईर्ष्या करके उसे परेशान करने में लगे रहते हैं । कितनी बार समझाया कि 30 वर्ष की उम्र इतनी नहीं है कि वह बेकार ही डिप्रैशन में आने लगे; अभी तो जीवन का पहला पड़ाव भी नहीं गुजरा । मनुष्य को खुद ही समझना होता है कि उसे किन परिस्थितियों में कैसे और क्या व्यवहार करना है । न केवल दूसरों के लिए वरन् अपने लिए भी !
58 वर्षीय नवदीप सूद ने हाल ही में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माऊंट एवरेस्ट को फ़तह कर लिया। जब वह इस कठिन और जोखिम भरे अभियान से वापिस अपने शहर लौटे तो उनका भव्य स्वागत हुआ। दिलचस्प बात यह थी कि इस खतरनाक, थकान भरे अभियान के बाद भी उनके चेहरे पर कोई थकान नहीं दिख रही थी बल्कि एक अलग सा आत्मविश्वास, उत्साह, अद्भुत ऊर्जा और चमक थी। उनकी उमंग को इस बात से समझ सकते हैं कि जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि - "थकान का संबंध उम्र से नहीं बल्कि सोच से होता है" ।
कुछ लोग उम्र को सिर्फ एक संख्या मानते हैं। वे अपने हर काम में जोश और लगन बनाये रखते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं। वे जीवन के उतार चढ़ाव देखते हैं, असफलता देखते हैं लेकिन हार नही मानते हैं। इसलिए उत्साह जीवन का पावर हाउस है। यह जीवन की कठिनाइयों को पार करने की ताकत देता है।
हमें स्वयं याद रखना है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, हमें शरीर थकान दे सकता है लेकिन मन को स्वस्थ बनाए रखने से शरीर की थकान भी कम महसूस होगी ।
सदा मानसिक रूप से स्वस्थ व प्रसन्न रहने की चेष्टा करनी है, हमें अपने ऊपर काम करना है, शिकायत नहीं !!
आप सबकी मित्र
डॉ. प्रणव भारती