‼️मैं बदल जाऊंगा तेरे लिए‼️
सुनो ना…
कई बार ना सोचता हूं कि क्या मैं वाकई ऐसा ही हूं…
जैसा तुम कहती हो…
कड़क, जिद्दी, चिड़चिड़ा, बिना फिल्टर के बोलने वाला…
और हां, शायद मैं हूं भी।
मुझे स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं कि मेरी आदतें… मेरे लहजे की तल्ख़ियां…
कई बार तुम्हारे नर्म दिल को चुभ जाती हैं।
पर एक बात हमेशा कहना चाहता हूं —
मेरा इरादा कभी बुरा नहीं होता।
हाँ, ज़ुबान से फिसल जाता हूं,
गुस्से में आकर उल्टा बोल जाता हूं,
बिना सोचे कह देता हूं कुछ ऐसा…
जो शायद तुम्हारी रूह तक को चोट दे जाता है।
पर क्या तुमने कभी मेरी आँखों में वो घुटन देखी है?
वो बेचैनी जो तुम्हारा चेहरा देखने के बाद छा जाती है…
वो पछतावा जो तब सताता है जब तुम चुपचाप हो जाती हो…
या वो खालीपन जो तब लगता है जब तुम कहती हो – “अब बहुत हो गया…”
---
जानता हूं, माफ़ियाँ माँगना बहुत आसान है…
पर उन्हें निभाना, बदलना, खुद को दुरुस्त करना…
बहुत कठिन है।
पर मैं कर रहा हूं…
तुम्हारे लिए…
हमारे लिए।
---
कई बार लगा है कि शायद तुम मुझे छोड़ दोगी।
तुम कह दोगी – “Enough is enough…”
और चली जाओगी मेरी दुनिया से।
पर उसके अगले ही पल…
दिल किसी टूटे बच्चे की तरह कहता है –
“नहीं… वो जाएगी नहीं…
क्योंकि वो जानती है कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं।”
कभी-कभी तुम्हारी चुप्पियाँ मुझे मार देती हैं।
तुम्हारा “कुछ नहीं” कहना भी ऐसा लगता है
जैसे कोई कह रहा हो –
“बहुत कुछ है, पर तुझसे कहने का अब मन नहीं…”
पर फिर भी… मैं हर बार वही मूर्खता कर बैठता हूं –
एक और तीखा शब्द… एक और ठंडी नज़र…
और फिर वही – पछतावा, माफी, खामोशी…
मैं नहीं जानता कि कौन सी चोट बचपन की है जो आज भी मेरे भीतर जिंदा है…
जो मुझे इतना रिएक्टिव बना देती है,
जो मेरी आवाज़ में तल्ख़ी घोल देती है।
पर मैं अब उस चोट को पहचानने की कोशिश कर रहा हूं।
क्योंकि जब-जब तेरे आंसू देखते हैं न मेरी आँखें,
मेरी आत्मा थरथराती है…
मैं टूटता हूं भीतर से…
और सोचता हूं – क्या मैं वाकई इतना कठोर हो गया हूं?
पर नहीं…
मुझे बदलना है।
तेरे लिए नहीं… सिर्फ…
हम दोनों के लिए।
क्योंकि मुझे तुझसे झगड़ा नहीं करना है अब,
मुझे तुझसे उम्र भर बात करनी है…
तेरे साथ बैठकर, खामोशी में भी बातें करनी है…
तुझे देखना है जब तू चाय पी रही हो, और मैं बस तुझे देखता रहूं।
मैं गारंटी नहीं दे सकता कि अगले ही पल मैं perfect बन जाऊंगा,
लेकिन इतना वादा है —
हर दिन एक प्रतिशत बेहतर बनूंगा…
ताकि तेरे जैसा प्यार करने वाला इंसान
एक दिन ये कह सके —
“हाँ, उसने खुद को बदला… हमारे प्यार के लिए।”
हर दिन एक प्रतिशत…
हां, बस इतना ही।
एकदम परफेक्ट नहीं बन पाऊंगा शायद, पर खुद से वादा किया है अब — कि पीछे नहीं हटूंगा।
और सबसे ज्यादा इसीलिए… क्योंकि अब मुझे सिर्फ तुझसे मोहब्बत नहीं करनी है —
मुझे मोहब्बत निभानी है…
हर रोज़… हर हाल में।
अब जब तुम नाराज़ होती हो,
मैं सिर्फ डरता नहीं हूं…
अब मैं जाग जाता हूं…
जागता हूं अपने ही अंदर की उन आदतों पर, जो शायद आज तक मेरे अकेलेपन की वजह रही हैं…
जिन्हें बदलने का वक्त अब आ गया है।
कभी सोचा नहीं था कि एक दिन मैं खुद से ही सवाल करने लगूंगा —
"क्या मैं ऐसा इंसान हूं, जो किसी की रूह को थका देता है?"
लेकिन आज जब तुझे देखता हूं…
तेरी आंखों की नमी महसूस करता हूं…
तो समझ आता है —
कि तुझसे ज्यादा मासूम कोई नहीं था, और मुझसे ज्यादा खुदगर्ज़ शायद कोई नहीं।
मुझे याद है जब पहली बार तू रोई थी मेरी किसी बात पर,
और मैंने बहाना बनाया था — "तू ही तो overreact कर रही है"…
आज समझ आता है…
कि तेरी भावना कभी over नहीं थी,
बस मेरी समझ underdeveloped थी।
और सच कहूं,
आज अगर मैं बदलना चाहता हूं —
तो वो तेरी वजह से है।
क्योंकि तेरे जैसी मोहब्बत जब किसी को मिलती है न,
तो वो मोहब्बत बदलती नहीं है…
वो इंसान को बदल देती है।
अब मैं छोटी-छोटी चीज़ों पर गुस्सा नहीं करना चाहता,
अब मैं बहस में जीतना नहीं चाहता —
अब मैं तुझे हारकर पा लेना चाहता हूं…
क्योंकि अब समझ आया है,
कि प्यार में जीत वो होती है,
जब तेरा चेहरा मुस्कुरा रहा हो।
तू चाहे तो आज भी मुझे छोड़ सकती है,
तेरे पास सौ वजहें होंगी।
पर मेरे पास एक ही वजह है रुकने की —
"तू"।
तेरा होना मेरे लिए सिर्फ किसी प्रेमिका का होना नहीं है…
तेरा होना उस आईने जैसा है जिसमें मैं अपनी सबसे सच्ची तस्वीर देखता हूं।
और उस आईने को मैं अब टूटने नहीं देना चाहता।
पता है,
मैंने चुपचाप बैठकर खुद से कई बार सवाल किया है —
"क्या वाकई मैं ऐसा बन गया हूं जिससे मोहब्बत करके लोग थक जाते हैं?"
और जवाब में —
तू ही नजर आई है।
तेरी आवाज़, तेरा चेहरा, तेरा रोना… सबकुछ।
इसलिए अब मैं गिन-गिनकर हर वो आदत छोड़ने की कोशिश कर रहा हूं जो तुझसे दूर ले जाए।
कभी बातों में कटुता,
कभी नज़रअंदाज़ कर देना,
कभी गुस्से में आवाज़ ऊँची कर देना…
सब।
क्योंकि ये सब बातें सिर्फ पल भर की राहत देती थीं,
पर मुझे धीरे-धीरे तुझसे दूर कर रही थीं।
और मैं जानता हूं —
कि तुझे खोना मेरे लिए खुद को खो देना होगा।
अब मैं loud नहीं बोलना चाहता,
अब मैं dominate नहीं करना चाहता,
अब मैं तुझ पर अधिकार नहीं जताना चाहता —
मैं तेरा बनकर रहना चाहता हूं।
मैं हर वो चीज़ सुधारना चाहता हूं जो तुझमें डर पैदा करे,
हर वो tone बदलना चाहता हूं जिसमें तू अपना सम्मान खोती है।
क्योंकि मैं सिर्फ तुझसे प्यार नहीं करता…
मैं तुझे इज्ज़त भी देता हूं…
और ये बात मैं अब सिर्फ कहकर नहीं, करके दिखाना चाहता हूं।
तेरा मेरे लिए सबकुछ होना —
ये अब महज़ एक कहावत नहीं,
ये मेरी जीवन-रेखा बन गई है।
मैं ये नहीं कहूंगा कि "अब से कभी गुस्सा नहीं करूंगा",
मैं इंसान हूं —
पर मैं ये ज़रूर कहता हूं कि अब से "तेरे दिल को ठेस ना पहुंचे, इसका पूरा ख्याल रखूंगा।"
तेरे हर आंसू की कीमत मेरे हर शब्द से ज्यादा है,
तेरी हर चुप्पी मेरे हर तर्क से बड़ी है,
तेरे हर एहसास का भार मेरी हर ego से भारी है…
और इसलिए…
मैं अब अपनी ego को छोड़ चुका हूं,
क्योंकि तुझसे बढ़कर कोई नहीं है इस दुनिया में।