Mohabbat thi... Ya Sajish - 1 in Hindi Love Stories by parth Shukla books and stories PDF | मोहब्बत थी... या साज़िश ? 1

Featured Books
Categories
Share

मोहब्बत थी... या साज़िश ? 1

"मोहब्बत थी... या साज़िश?"

Episode 1: उसकी आंखों में जो राज़ था...


---

"तुमने मुझसे मोहब्बत की थी या बस मज़ाक?"
आकाश की आवाज़ काँप रही थी।
ज़ोया की आँखें झुकी हुई थीं, जैसे जवाब देने से डर रही हों।

"कभी तुमसे झूठ नहीं बोला आकाश... बस सच पूरा नहीं बताया।"

उसके शब्दों में एक अजीब सी सच्चाई थी — जैसे मोहब्बत भी थी, और कोई साज़िश भी।


---

🌧️ कहानी की शुरुआत…

बारिश की एक रात थी।
आकाश अकेला छत पर बैठा था, आँखों में सिगरेट की राख और दिल में अधूरा सा कुछ।

वो उसे गए तीन साल हो चुके थे।
बिना कुछ कहे, बिना कोई वजह दिए — बस गायब हो गई थी ज़ोया।

> "Zoya… तुम क्यों गई थी? और... अब वापस क्यों आई हो?"



लेकिन आज, उसी जगह… वही ज़ोया खड़ी थी।
लाल सूट, गीले बाल और एक झूठी मुस्कान।


---

💔 तीन साल पहले...

कॉलेज की लाइब्रेरी में जब पहली बार ज़ोया को देखा था, तो आकाश को लगा था —

> "यही वो लड़की है जिसके लिए दिल तड़पता है… और शायद टूटेगा भी।"



धीरे-धीरे बातें बढ़ीं, फिर मुलाकातें।
और एक दिन – "I love you too, Aakash..."

सब कुछ किसी फिल्म की तरह परफेक्ट था…
लेकिन फिर, सब कुछ बदल गया।


---

🌫️ और फिर एक दिन…

एक सुबह, ज़ोया नहीं आई।
उसका फोन बंद, घर खाली और कॉलेज से नाम कटा हुआ।

आकाश ने सब जगह ढूँढा, लेकिन वो गुम हो गई थी… जैसे कभी थी ही नहीं।


---

🕵️‍♂️ और अब… तीन साल बाद…

"तुम आई क्यों हो वापस?"
आकाश ने पूछा, आँखों में आँसू और गुस्सा दोनों थे।

ज़ोया बस मुस्कुराई।

> "क्योंकि जो अधूरी मोहब्बत होती है…
उसमें सबसे ज़्यादा राज़ छुपे होते हैं… और सबसे ज़्यादा दर्द भी।"


"आकाश, क्या तुम जानना चाहोगे कि मैं क्यों गई थी?"

> "हाँ… पर पहले ये बताओ —
मोहब्बत थी... या साज़िश?"



ज़ोया ने उसकी आँखों में देखा —
और कहा:
"शायद... दोनों।"

❤️‍🔥 "मोहब्बत थी... या साज़िश?"

Episode 2: "सच जो ज़ुबान तक न आ सका..."


---

रात की वो खामोशी, जब हर आवाज़ रुक जाती है,
बस दिल की धड़कनों की गूँज रह जाती है...
और उसी सन्नाटे में ज़ोया ने कहना शुरू किया —
"तुम्हें सब कुछ जानना है, तो सुनो... पर वादा करो बीच में टोकोगे नहीं।"


---

🕰️ Flashback — जब ज़ोया ग़ायब हुई थी

तीन साल पहले, एक कॉल आया था ज़ोया के फोन पर।
कोई अजनबी, जो कह रहा था:

> "अगर उस लड़के से तेरा रिश्ता टूटा नहीं... तो उसकी जान तू खुद लेगी!"



ज़ोया काँप गई थी।
उसे पता था ये सिर्फ़ धमकी नहीं थी — उस आदमी की आवाज़, वो पुरानी सच्चाई थी, जिससे वो भाग रही थी।


---

👤 ज़ोया का सच

"Aakash, मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी… और अब भी करती हूँ।
लेकिन तुम्हें बचाने के लिए, मुझे तुम्हें खोना पड़ा।"

आकाश स्तब्ध था।
उसकी आँखों में सवाल थे, पर जुबां पर कुछ नहीं।

"वो जो मेरी ज़िन्दगी में था — वो मेरा अतीत था… और एक साज़िश भी।
मैं उसके शिकंजे से निकल तो आई थी,
पर तुम्हारे साथ जुड़ते ही… उसने फिर से पकड़ लिया मुझे।"


---

📩 एक राज़ी-नामा

ज़ोया ने एक पुराना लिफ़ाफ़ा निकाला —
जिसमें एक फोटो थी।
ज़ोया और एक अजनबी लड़के की।

"ये मेरा निकाह हुआ था… मजबूरी में, दबाव में… और शायद धोखे में भी।
पर वो निकाह आज भी क़ानूनी है, और उसका असर मेरी रूह पर है।"


---

💔 आकाश का टूटना

"तो मैं बस एक वक़्ती मोहब्बत था तुम्हारे लिए?"
आकाश की आवाज़ गुस्से से नहीं — टूटे हुए भरोसे से भरी थी।

"नहीं Aakash, तुम मेरी सबसे सच्ची चीज़ थे —
इसीलिए तुम्हें खोना पड़ा…"



> "पर अब मैं वापस आई हूँ... कुछ खत्म करने।"

"क्या?"

"या तो वो ख़त्म होगा... या मैं।"



ज़ोया की आँखों में पहली बार डर नहीं, बदला था।
और आकाश की आँखों में मोहब्बत नहीं, युद्ध।