Humraz - 10 in Hindi Crime Stories by Gajendra Kudmate books and stories PDF | हमराज - 10

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हमराज - 10

फिर बादल भी अपने कमरे के अंदर ही रूककर उस शख्स की अगली हरकत पर नजरे गड़ाए बैठा था. लेकीन उसके बाद वह शख्स एकपल के लीये भी बाहर नहीं नीकला, फिर भी बादल रात होने के बावजूद बीच बीच में उस शख्स के फ्लैट की तरफ देखता रहा और थक हार कर सो गया. उसके बाद फिर कुछ दीन यूँ ही गुजरते गये बादल और ज़ेबा अपनी अपनी बालकनी में आकर एकदूसरे। को देखते हुये अपने दिल को तसल्ली देते रहे. जेबा जो पहले बादल के प्रती आकर्षण रखती थी लेकिन कुछ कर नहीं पाती थी. वहीं ज़ेबा आज जब भी मौका मीले तब बादल को देखने का एक मौका भी नहीं छोड़ती थी. इस तरह दोनों के दिल जुड़ते रहे लेकिन अब उनकी मीलन की प्यास बढने लगी थी, दोनों को भी अभी एकटूसरे के बगेर रहा नहीं जा रहा था. एकदिन बादल ने अपनी बालकनी से ही ज़ेबा को इशारे में पूछा के हम मील सकते है. फिर ज़ेबा अंदर गयी और एक कागज़ पर कुछ लीखकर लायी और वह कागज़ उसने बालकनी के नीचे फेंक दिया और उसे उठाने का इशारा किया. बादल तुरंत नीचे गया और उसने वह कागज़ चूपके से उठा लीया और अपने कमरे के अंदर आ गया. बादल ने फिर वह कागज़ खोलकर पढने लगा तो उसमे लीखा था, " हाँ लेकिन इतना आसान नहीं है." तब बादल बालकनी में गया और देखा तो ज़ेबा उसका इंतजार वहीं कर रही थी. फिर उसने इशारों में पूछा, " हम फोन पर बात तो कर सकते है ना." फिर ज़ेबा ने ना बोलते हये अपनी गर्दन हिला दी.

    अब बादल पहले से ही बेचैन था उसे ज़ेबा से हर हाल में बात करनी थी. तो वह फिर से इशारों में बोला, " क्यों नहीं " तब ज़ेबा ने इशारों में बताया के उसके पास फोन नहीं है. अब बादल को वजह पता चल गयी थी फिर वह इशारों में ज़ेबा से बोला, " मै एक दो दिन में कुछ करता हूँ. फिर वह फोन का इंतजाम करने के लीये अपने कमरे से नीकलकर बाजार जाने को नीकल गया. ज़ेबा उसे अपने बालकनी से देख रही थी इसलीये बादल ने उसे इशारे में बताया के वह फोन लाने के लीये जा रहा है. फिर बादल बाजार गया और एक फोन खरीदकर लेकर आया. अब फोन आ गया था लेकिन उसे ज़ेबा के पास पहुँचाना था. तो अब इसके बारे में वह सोचने लगा. फिर वह अपने बालकनी में गया तो उसे ज़ेबा वहाँ नहीं मीली. वह काफी देर वहाँ रुका रहा लेकिन ज़ेबा बाहर नहीं आयी. आखीर थक हार के वह अपने कमरे के अंदर चला गया लेकिन खिड़की से बराबर ज़ेबा की बालकनी में देखता रहा. फिर दो दिन बाद ज़ेबा फिर अपनी बालकनी में आयी थी उस वक्त बादल उसे देखने के लीये बालकनी में आने ही वाला था के उसने देखा के वह शख्स सीढियों से उतर रहा है. तो बादल वहीं अपने कमरे के अंदर ही रुक गया और अपने कमरे की खिड़की
से उसे देखने लगा. अब बादल को अपने मकसद के हिसाब से उस शख्स के पीछे जाना चाहिए था. लेकीन यह बेहतरीन मौका उसके हाथ लगा था वह फोन ज़ेबा तक पहुँचाने का ओर उसे वह गंवाना नहीं चाहता था.

    वह शख्स एक बड़ी सी गाड़ी में बैठकर नीकल गया. फिर ज़ेबा तो पहले से ही बालकनी में खड़ी थी तो बादल ने भी फिर बालकनी में आकर उसे फोन दिखाया और इशारे में पूंछा, " यह फोन आपको कैसे लाकर दूँ " तब ज़ेबा ने उसे इशारे में कहा, "उस फोन को बालकनी के नीचे कहीं छिपा दो मैं आकर खुद ही उसे लेकर आऊँगी." फिर बादल ने वो ही किया जो ज़ेबा ने उसे करने के लीये कहा था. उसके बाद वह अपने फ्लैट के बालकनी में आकर देखने लगा. फिर ज़ेबा ने इधर उधर देखा और वह जल्दी से नीचे आयी और उसने वह फोन वहाँ से उठाकर अपने कपड़ो में छिपा लीया. उसके बाद वह उसे लेकर अपने बालकनी में जाकर खड़ी हो गयी. फिर बादल ने ज़ेबा को इशारा किया, " आप अंदर जाइये अब मै आपको फोन करता हूँ और हम दोनों बाते करेंगे" फिर ज़ेबा ने इशारे में कहा, " हम कोई बात नहीं कर सकते है, हम एकदूसरे से बस मेसेज के द्वारा बात कर सकते है." अब बादल फिर मायूस हो गया और फिर यह सोचने लगा के ज़ेबा की कोई मज़बूरी होगी. फिर उसने ज़ेबा को मेसेज किया, " हाय, कैसी हो." ज़ेबा ने जवाब में मेसेज किया, "कुछ भी ठीक नहीं है. बादल ने जब मेसेज पढ़ा तो वह चौंक गया और उसने वापस मेसेज किया, " क्यों क्या तकलीफ है. आप मुझे खुलकर बता सकती हो मै आपकी हर तरह से सहायता करूंगा." फिर ज़ेबा ने लीखा, " बादल हमारी सहायता अब कोई भी नहीं कर सकता है.

    जेबा का मेसेज पढ़ने के बाद बादल और बेचैन हो गया और उसने लीखा, " ऐसा न कहीये ज़ेबा हम है ना, हम आपकी सहायता करेंगे, आप बेखौफ होकर हमसे कह सकती है." फिर ज़ेबा ने लीखा, " नहीं बादल, हम तो पहले से मुश्किल में है और हम आपको भी मश्किल में नहीं डाल सकते है." बादल ने फिर लीखा, " ज़ेबा आप शायद भूल गयी हो के हम आपसे कितना प्यार करते थे और सच तो यह है के हम आज भी आपसे उतना ही प्यार करते है. हमें तो लगता था लेकिन अब यकीन हो गया है के आप हमसे पहले भी प्यार करती नहीं थी और अब भी नहीं करती है." फिर ज़ेबा ने लीखा, " ऐसा नहीं है बादल, हम पहले भी आपको पसंद करते थे और आज भी हमारे दिल में आपके लीये एक ख़ास जगह है." फिर बादल ने लीखा, " ज़ेबा जब हम आपको पसंद है तो फिर आप हमें यूँ अचानक छोड़कर क्यों चली गयी और आज जब मीली हो तो किसी और शख्स के साथ, ज़ेबा क्या अब वह शख्स आपके जिन्दगी का अहम हिस्सा बन गया है." फिर ज़ेबा ने लीखा, " नहीं बादल, हमारे जिन्दगी में एक आपके सीवा पहले भी कोई नहीं था और अब भी कोई नहीं है. हमारे जिन्दगी में हमारे अम्मी अब्बू के बाद एक आप ही हमारे जिन्दगी का एक अहम हिस्सा हो." फिर बादल ने लीखा, " फिर ज़ेबा आप उस शख्स के साथ क्यों रह रही हो और उसे ज़ुल्म क्यों सह रही हो. ज़ेबा क्या आपका उससे नीकाह हो गया है, क्या वह आपके शोहर है." फिर ज़ेबा ने लीखा, " अल्लाह, यह क्या कह रहे हो आप वह शख्स हमारा कोई नहीं है. हम मज़बूरी में उसके साथ दिन काट रहे है."

      शेष अगले भाग में... .....