पिछली कहानी में हमने पढा़ कि प्रीत आयांशी को कॉल करके उसे विजय और वियांशी के बर्थडे़ पार्टि में आने के लिए राजपुत विला बुलाती हैं।
अब आगे..........
आयांशी रेडी़ होकर राजपुत विला पहुँचती है और वो जैसे ही वो अन्दर जाती है तो वो सामने का नजा़रा देखकर शोक्ड़ हो जाती हैं। आयांशी देखती है कि राजपुत विला अन्दर से एक दुल्हन की तरह सजा हुआ था। चारों तरफ़ रंग-बिरंगे फ्लॉर्स और बैलून्स लगे हुए थे और कलरफूल लाईट्स वहाँ की सुन्दरता को ओर बढा़ रही थीं। ये सब देख आयांशी के फेस पर एक क्यूट सी स्माईल और फिर वो अन्दर चली जाती हैं। अन्दर वो प्रीत और सबसे मिलती है और विजय और वियांशी को बर्थडे़ की विशेज देती हैं। तभी नैना जी आयांशी को अपने पास बुलाती है। आयांशी जैसे ही नैना जी के पास जाने को होती है तभी वो सीढियों से नीचे आ रहे सम्राट से टकरा जाती हैं। आयांशी खुद को जल्दी से सम्भालती है और बिना सम्राट की तरफ ध्यान दिए वहाँ से चली जाती हैं। ये देख सम्राट को बहुत गुस्सा आता है और वो गुस्से से आयांशी की तरफ जा रहा होता है कि तभी उसका फोन बजता है तो वो वहाँ से चला जाता हैं। थोडी़ देर बाद जब सभी लोग विजय और वियांशी के बर्थडे़ के केक कटिंग के लिए जा रही थी कि तभी पूरे घर की लाईट्स चली जाती हैं। लाईट्स चली जाने के कारण पूरे घर में अंधेरा हो जाता है तभी Mr. राजपुत वहाँ के एक सर्वेंट को लाईट चेक करने के लिए बोलते है कि तभी लाईट्स वापिस आ जाती हैं। और सभी लोग वापिस केक कट करने और पार्टी सेलिब्रेट करने लगते हैं।
दूसरी तरफ......
जैसे ही लाईट्स वापिस आती है तो आयांशी देखती है कि वो एक कमरे में थी। उसे पता ही नहीं चला की वो इस कमरे में कब आई और उसे याद आता है कि अंधेरे में वो रास्ता भटक जाती हैं। वो जैसे ही कमरे से जाने लगती है कि तभी कोई उसका पीछे से हाथ पकड़कर उसे दिवार से सटा देता हैं। आयांशी अचानक हुए इस इंसीडेंट से घबराकर अपनी आँखे बन्द कर देती है। वो अपने चेहरे पर किसी की साँसे महसूस करती है तो वो एकदम अपनी आँखे खोल देती हैं। वो देखती है कि उसके सामने खडा़ इंसान कोई और नहीं बल्कि सम्राट ही था। आयांशी सम्राट को देखकर बहुत ड़र जाती है और वो वहाँ से भागने की कोशिश करती है पर सम्राट की पकड़ से वो खुद को छुडा़ नहीं पाती हैं। आयांशी के इन एफर्ड़स को देख सम्राट को हँसी आ जाती हैं। सम्राट को ऐसे हँसता देख आयांशी गुस्सा हो जाती है और बोलती हैं- छोडो़ मुझे!!! जाने दो मुझे।।। क्यों पकड़ रखा है मुझे ऐसे??? और आयांशी सम्राट को एक थप्पड़ मार देती है। थप्पड़ की वजह से सम्राट का गुस्सा साँतवें आसमां पर चला जाता हैं। और वो गुस्से से आयांशी के हाथ को अपने हाथ से पकड़ आयांशी को अपने शरीर के बहुत करीब सटा देता है और गुस्से में उसका मुँह पकड लेता है। सम्राट के इस हमले से आयांशी को बहुत दर्द हो रहा होता हैं पर वो कुछ बोल नहीं पाती और उसकी आँखों से आँसू आ जाते हैं।।।।।।