Bhagwat Geeta Kya hai aur ise kyo padhna Chahiye - 1 in Hindi Spiritual Stories by parth Shukla books and stories PDF | भगवद गीता क्या है और इसे क्यों पढ़ना चाहिए - अध्याय 1

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भगवद गीता क्या है और इसे क्यों पढ़ना चाहिए - अध्याय 1

🔷 1. भगवद गीता क्या है?

भगवद गीता क्या है और इसे क्यों पढ़ना चाहिए?” — इसका उत्तर जानना हर इंसान के लिए जरूरी है, चाहे वह किसी भी उम्र, धर्म, या सोच का हो।
मैं आपको यहाँ पूरी गहराई, सरल भाषा और जीवन के नजरिए से बताऊँगा कि भगवद गीता है क्या, और इसे क्यों पढ़ना चाहिए।
👉 मूल रूप से:
भगवद गीता एक संवाद है — भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच का संवाद, जो महाभारत के युद्ध से ठीक पहले कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था।
इसमें 700 श्लोक हैं।
यह महाभारत का हिस्सा है (भीष्म पर्व का अध्याय 23 से 40 तक)।
इसे वेदों और उपनिषदों का सार माना जाता है।
🔷 2. गीता कोई "धार्मिक किताब" नहीं है, बल्कि एक "जीवन की मार्गदर्शिका" है
यह केवल हिंदू धर्म की किताब नहीं है।
 यह जीवन के हर पहलू को छूती है:
चिंता और डर से कैसे निपटें?
कर्म कैसे करें?
मृत्यु क्या है?
आत्मा क्या है?
सच्चा सुख क्या है?
जीवन का उद्देश्य क्या है?
 
🌟 3. भगवद गीता क्यों पढ़नी चाहिए?
📌 (i) मानसिक शांति के लिए
जब अर्जुन युद्ध के मैदान में डर गया, हाथ काँपने लगे, हिम्मत टूट गई — तब श्रीकृष्ण ने गीता सुनाई।
 मतलब, जब इंसान घबरा जाता है, तनाव में होता है, फैसला नहीं कर पाता — तब गीता उसकी ताकत बनती है।
आज भी लोग डर, अवसाद, आत्महत्या, गुस्सा, लालच से जूझते हैं — गीता उसका समाधान है।
 
📌 (ii) आत्मा, मृत्यु और जीवन का ज्ञान
गीता बताती है कि —
“आत्मा न मरती है, न पैदा होती है।
 शरीर नष्ट होता है, आत्मा नहीं।”
यह विचार इंसान को मृत्यु का डर मिटाने में मदद करता है।
जैसे कपड़े बदलते हैं, वैसे आत्मा शरीर बदलती है।
 तो मृत्यु एक अंत नहीं, एक परिवर्तन है।
 
📌 (iii) कर्म का सिद्धांत — “करो, फल की चिंता मत करो”
“कर्म करो, फल की इच्छा मत करो” (2.47)
यह सबसे प्रसिद्ध सिद्धांत है, और गीता का मूल संदेश।
अगर कोई इंसान फल (रिजल्ट) की चिंता किए बिना मेहनत करे — वह न थकेगा, न हारेगा।
उदाहरण:
 एक स्टूडेंट अगर सिर्फ मार्क्स की चिंता करेगा तो तनाव में रहेगा।
 लेकिन अगर वह पढ़ाई में मन लगाएगा, तो सफलता खुद-ब-खुद आएगी।
 
📌 (iv) निर्णय लेने की शक्ति देती है
अर्जुन फैसला नहीं कर पा रहा था —
 “युद्ध करूँ या नहीं?”,
 “ये सही है या गलत?”
श्रीकृष्ण ने स्पष्ट दृष्टि, निर्भीकता, और धर्म का आधार सिखाया।
 गीता पढ़ने वाला इंसान भी मुश्किल वक्त में सही निर्णय ले पाता है।
 
📌 (v) आत्म-ज्ञान और स्वधर्म की पहचान
गीता कहती है:
“हर व्यक्ति को अपना धर्म (कर्तव्य) निभाना चाहिए, भले ही वह छोटा हो, पराया धर्म (दूसरों की नकल) से बड़ा होता है।”
यानी, हर इंसान को अपने स्वभाव, गुण और स्थिति के अनुसार कर्म करना चाहिए।
📘 4. भगवद गीता कौन-कौन पढ़ सकते हैं?
स्टूडेंट्स – एकाग्रता, उद्देश्य और नैतिकता के लिए
व्यवसायी – निष्काम कर्म और नेतृत्व के लिए
गृहस्थ – संतुलित जीवन के लिए
संत/धार्मिक व्यक्ति – आत्म-ज्ञान के लिए
किसी भी धर्म का व्यक्ति – यह मानवता का ग्रंथ है
जैसे सूर्य सबको प्रकाश देता है, वैसे ही गीता सबका मार्गदर्शन करती है।
 
💎 5. क्या गीता आज भी प्रासंगिक है?
100% हाँ!
1 आज के जमाने में तो और भी ज़्यादा।
2. टेक्नोलॉजी है, पर शांति नहीं।
3. सोशल मीडिया है, पर सच्चाई नहीं।
4. दोस्त हैं, पर विश्वास नहीं।
5. ज्ञान है, पर दिशा नहीं।
6. और गीता वही दिशा देती है —
 7. जीवन के हर प्रश्न का उत्तर देती है।
 
🔚 संक्षेप में सार:
"भगवद गीता कोई धार्मिक किताब नहीं, बल्कि एक 'जीवन बदलने वाली गाइड' है।"
 यह जन्म से मृत्यु, कर्तव्य से आत्मज्ञान, शांति से शक्ति तक सब कुछ सिखाती है।
जिसने गीता को समझा, उसने खुद को समझा।