love at the first sight in Hindi Love Stories by Sahil Sethi books and stories PDF | पहली नज़र का प्यार

Featured Books
Categories
Share

पहली नज़र का प्यार


अध्याय 1: नया एडमिशन

11वीं कक्षा का पहला दिन था। पूरा स्कूल एक नई ऊर्जा से भरा हुआ था। नए यूनिफॉर्म, नए बैग्स, नई उम्मीदें।

और मैं… यानी अमन।

क्लास का एक होनहार लड़का, जो सबसे अच्छे से बातें करता है, और लगभग सभी मेरे दोस्त हैं।

उसी दिन हमारी कक्षा में एक नया लड़का आया।

लंबा कद, गोरा रंग, स्पोर्टी लुक और आत्मविश्वासी।

“क्लास, मिलिए अपने नए क्लासमेट से,” टीचर ने कहा।

“हाय, मैं रोहित हूं। मैं आर.के. पब्लिक स्कूल से ट्रांसफर हुआ हूं। मेरी हॉबीज़ हैं क्रिकेट, फुटबॉल खेलना और किताबें पढ़ना।”

सबने उसे देखा — थोड़े इंप्रेस हुए, और थोड़े क्यूरियस भी।

टीचर ने उसे मेरे पास बैठने को कहा। रोहित मेरे बगल में आकर बैठ गया, और हमारा पहला “हाय-हैलो” हुआ।

बस, यहीं से हमारी दोस्ती की शुरुआत हो गई।

लंच ब्रेक में मैंने रोहित को स्कूल का टूर करवाया — लाइब्रेरी, कैंटीन, स्पोर्ट्स ग्राउंड, यहाँ तक कि प्रिंसिपल का कमरा भी दिखाया।

रोहित ने हर जगह बड़ी दिलचस्पी से देखा। हम दोनों के बीच बातें हुईं।

मुझे लगा, यह लड़का जल्द ही सबका फेवरेट बन जाएगा।

वापस क्लास में आए तो बच्चे उसे घेरकर सवाल करने लगे —

“क्रिकेट में कौन-सी पोजिशन खेलता है?”

“तेरे स्कूल का यूनिफॉर्म कैसा था?”

“तू कितने मार्क्स लाता था?”

रोहित सबको हँसते हुए जवाब दे रहा था।

तभी उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी…

अध्याय 2: सिमरन — पहली नज़र का असर

वो सबसे आगे बैठी थी, अपनी दो फ्रेंड्स के साथ। नाम था — सिमरन।

क्लास की टॉपर। स्कूल की सबसे सीरियस लड़की। ज़्यादा किसी से बात नहीं करती, पर जब हँसती थी, तो बस… वो मुस्कान सब कुछ कह जाती थी।

लंच में हम सब साथ बैठे, लेकिन सिमरन, निशा और आरती — आगे ही बैठे रहे।

रोहित ने मुझसे धीरे से पूछा,

“वो लड़की कौन थी जो कुछ नहीं बोल रही थी?”

मैं समझ गया उसकी नज़र किस पर गई है।

“वो सिमरन है। क्लास की टॉपर। पढ़ाई में बेस्ट। बस थोड़ी रिज़र्व्ड है।”

मुझे अंदर से लगने लगा — ये एक वन-साइडेड लव स्टोरी की शुरुआत है।

अध्याय 3: मिलने का बहाना

अगले दिन, क्लास शुरू होने से पहले, हम दोनों ग्राउंड में खड़े थे।

रोहित ने मुझसे कहा,

“भाई, सिमरन से इंट्रोडक्शन करा दे?”

मैं हँसते हुए बोला,

“अरे कराता हूँ यार, टेंशन मत ले।”

हम दोनों सिमरन के पास गए। उसके साथ निशा और आरती भी थीं।

रोहित: “हाय, मैं रोहित हूं।”

सब लड़कियाँ: “हाय।”

सिमरन: “हैलो।”

रोहित: “अमन ने बताया आप क्लास की टॉपर हो।”

सिमरन (हल्की मुस्कान के साथ): “हाँ, हूं।”

बातें शुरू हुईं। रोहित ने हल्के अंदाज़ में ट्यूशन के बारे में पूछा —

“आप ट्यूशन जाती हैं या घर पर पढ़ती हैं?”

सिमरन: “ट्यूशन जाती हूं।”

रोहित: “सभी एक ही ट्यूशन जाते हो?”

लड़कियाँ: “नहीं नहीं।”

मैंने बोला —

“सिमरन भी उसी एरिया में रहती है जहाँ तू अभी शिफ्ट हुआ है। मैं थोड़ा दूर रहता हूँ। हम दोनों तुझे अच्छा ट्यूशन सेंटर बता देंगे।”

सब हँस पड़े।

रोहित (मुस्कुरा कर): “टॉपर बताएगा तो बेस्ट ही बताएगा ट्यूशन।”

अध्याय 4: दिल का राज़

क्लासरूम में मैं और रोहित बैठकर बातें कर रहे थे।

मैं: “भाई अब तो बात हो गई, अब आगे क्या?”

रोहित (थोड़ा चौंकते हुए): “क्या मतलब?”

मैं: “भाई, मुझे सब पता है। कल लंच में तू बस सिमरन को देख रहा था। और आज भी…”

रोहित (हल्की मुस्कान के साथ): “तुझे कैसे पता चला?”

मैं: “भाई… दोस्त हूं तेरा। पता चल जाता है।”

रोहित: “बस, सिमरन को मत बताना।”

मैं: “पक्का! मैं कुछ नहीं बताऊंगा, वादा रहा।”

अध्याय 5: ट्यूशन्स

उसी दिन मैं और सिमरन, रोहित को ट्यूशन दिखाने ले गए।

हमने उसे बताया:

“यहां पर सागर सर और दीपिका मैम पढ़ाते हैं। नाम थोड़ा कम सुना होगा, पर पढ़ाई जबरदस्त है।”

मैंने थोड़ा कॅज़ुअली कहा:

“आर.जे. ट्यूशन सेंटर ने भी सागर सर को ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।”

(आर.जे. ट्यूशन सेंटर सबसे ज़्यादा फेमस है।)

रोहित ने वही ट्यूशन जॉइन कर लिया।

अगले दिन, मैं ट्यूशन नहीं आया।

सिमरन और रोहित अकेले क्लास के बाद घर जा रहे थे।

रोहित: “क्लास में बहुत मज़ा आया। सर का पढ़ाना अलग लेवल का है।”

सिमरन: “तभी तो हम यहाँ पढ़ते हैं।”

थोड़ी देर बाद…

रोहित: “नंबर एक्सचेंज कर लें?”

सिमरन: “हाँ।”

उसी रात, व्हाट्सऐप पर —

रोहित: “हाय।”

सिमरन: “हाय।”

रोहित: “फ्री हो? बात कर सकते हैं?”

सिमरन: “हाँ।”

बातें शुरू हो गईं।

रोहित: “मुझे एक क्वेश्चन में डाउट है। क्या तुम मदद करोगी?”

सिमरन: “हाँ, तुम कल बता देना, मैं सॉल्व करवा दूंगी।”

रोहित: “ठीक है। अच्छा, एक बात बताओ… तुम इतनी कम क्यों बोलती हो?”

सिमरन: “मुझे वैसे ही अच्छा लगता है।”

रोहित मन में सोचता है — “कब हम क्लोज फ्रेंड्स बन जाएंगे…”

अध्याय 6: दिल की बात — प्रपोज़ डे

अगले दिन ट्यूशन के बाद —

रोहित: “आज सब कुछ समझ आ गया।”

सिमरन: “अच्छा?”

रोहित: “चलो कुछ खाते हैं। ट्रीट मेरी तरफ से।”

सिमरन: “क्यों?”

रोहित: “तुमने आज स्कूल में मेरी हेल्प की थी न, बस उसी के लिए।”

खाना खाने के बाद घर जाते वक़्त…

रोहित: “सिमरन… मुझे तुम अच्छी लगती हो।”

सिमरन (चौंककर): “क्या?”

रोहित: “आई मीन… I really like you.”

सिमरन कुछ नहीं बोलती। बस देखती रहती है।

दोनों चुपचाप घर पहुँच जाते हैं।

रात में रोहित कई मैसेज करता है — कोई जवाब नहीं।

फिर अचानक एक मैसेज आता है:

सिमरन: “मुझे नहीं पता मैं रिलेशनशिप में आना चाहती हूं या नहीं… तुम मुझे थोड़ा वक्त दो।”

रोहित: “टेक योर टाइम। पर दोस्ती मत तोड़ना। गुड नाइट।”

सिमरन: “ओके। गुड नाइट।”

अध्याय 7: जब ‘हाँ’ मिलती है

अगले दिन स्कूल में —

रोहित सिमरन को स्माइल देकर “हाय” कहता है।

सिमरन भी गर्मजोशी से “हाय” कहती है।

अमन: “क्या सीन है?”

रोहित: “कल मैंने सिमरन को प्रपोज किया था।”

अमन (हैरान होकर): “सच में!”

रोहित: “हाँ भाई। अब उसके जवाब का इंतज़ार कर रहा हूं।”

शाम को, ट्यूशन के बाद, दोनों चुपचाप चल रहे थे।

रोहित: “सिमरन… कल वाली बात अजीब तो नहीं लगी?”

सिमरन: “थोड़ी लगी।”

रोहित: “सॉरी।”

सिमरन: “इट्स ओके।”

घर के पास पहुँचते हैं… सिमरन रुकती है:

सिमरन: “रोहित… मेरी तरफ से ‘हाँ’ है।”

रोहित की आँखों में जैसे खुशियों की लहर दौड़ जाती है।

वो तुरंत सिमरन को गले लगा लेता है।

सिमरन भी मुस्कुरा कर उसे गले लगाती है।