kamvasna se prem tak - 6 in Hindi Drama by सीमा कपूर books and stories PDF | कामवासना से प्रेम तक - भाग - 6

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कामवासना से प्रेम तक - भाग - 6

मुकेश -अजय अभी तो जा रहा हूँ, पर याद रखना कही ऐसा ना हो, तुम्हे नौकरी से हाथ धोना पडे!

अजय     सर प्लीज अभी के लिए जाए!

तभी शेफाली आती है

शेफाली    क्या हुआ आपके सर कहा चले गए!

अजय    उन्हें काम था चले गए, (गुस्से मे) और एक                बात तो बताओ इतना सजने सवरने कि क्या             जरूरत थी!

शेफाली    अजय क्या हुआ, आपने जो जो कहा वो                किया, मुझसे कोई गलती हो गई क्या!

"अजय नाराज़ होकर कमरे मे चला जाता हैं, कुछ देर बाद शेफाली अपना सरा काम खत्म कर कमरे मे आती है, अजय को परेशान देख कर कहती है"

शेफाली       अजय जब से आपके बॉस गए है, तब                       से देख रही हूँ आप परेशान हैं, इससे                          पहले मैने कभी आपको ऐसे नहीं देखा!

अजय      सच सुनना चाहती हो!

शेफाली    सच कैसा सच अजय!

अजय      मेरे बॉस का दिल तुम पर आ गया है, वो                  तुम्हारे साथ एक रात गुजारना चाहते                        है,इतना ही नहीं अगर मैं तुम्हें उसके पास                  नहीं भेजता तो मुझे नौकरी से वो निकाल                  देगा!

शेफाली   अजय आप मजाक कर रहे हो ना,ये क्या                   वकवास हैं, अगर ये मजाक है तो प्लीज़                    ऐसा मत कहो!

  "ये सब सुन कर शेफाली घबरा जाती है और रोने लगती है! जब अजय देखता हैं शेफाली रो रही है"

अजय      यार मैं तो मजाक कर रहा था, तुम तो रोने                 लगी!

शेफाली    आज के बाद ऐसा गन्दा मजाक मत                         करना!

अजय       ओके माय डिअर !

"अजय पुरी रात सो नहीं पाता, सुबह होते ही वह दफ्तर जाता है,मुकेश उसे अपने कमरे मे बुलाता हैं "

मुकेश     हसीना केसी है, यार अजय मैं पुरी रात                     तडपता रहा, तो क्या सोचा, ना मत करना,                 नहीं तो मेरा दिल यार टुट जाएगा!

अजय      सर ये सब गलत है!

 मुकेश    यार गलत क्या तरक्की चाहिए तो बता,यहाँ             लाइन लगी रहती है, इस कम्पनी मे तेरे जैसे               बहुत से वर्कर है, सबको प्रमोशन चाहिए, पर             यहाँ बात तो दिल की है, सोच ले 30 हजार से             सीधा 60 हजार सैलरी अपना अलग रुम                  जिसके नीचे तू अभी काम कर रहा हैं वो तेरे             नीचे करेगे, तू लकी है वरना इतना वक्त मैं                    किसी को देता नहीं!

अजय      सर शेफाली नही मानेगी!

मुकेश       तू मना पत्नी है तेरी, तेरी तरक्की से                           उसको भी फायदा होगा, यार तू घर जा                    शेफाली को मना!

अजय     सर ये अपराध मैं नहीं कर सकता, ना जाने                 आपने और कितनो की जिंदगी बर्बाद की                   होगी!

  मुकेश       मैं तेरा भाषण सुनना नहीं चाहता,नौकरी                   की जगहा पत्नी,तय तू करेगा!

"अजय ये सुनकर अपना इस्तीफा दे देता हैं, ये देख मुकेश को गुस्सा आ जाता है"

" अजय घर आकर सारा वाक्या शेफाली को बताता है, जिसे सुनकर शेफाली हैरान और परेशान हो जाती है"

"कुछ दिन तो गुजर जाते है, अजय नौकरी की तलाश मे भटकता है पर नौकरी नही मिलती, अजय परेशान होने लगता हैं, और चिडचिडा भी, घर की जिम्मेदारियां, और जरुरते कैसे होगी पुरी, तभी ऐक दिन शेफाली कहती है"

  शेफाली    अजय मुझे नौकरी मिल गई है !

"हैरानी से अजय शेफाली की और देखता है"

    अजय   नौकरी अब तुम करोगी,मैं क्या मर गया                    हूँ,और नौकरी तुम्हे कैसे, अब तुम घर से                    बाहर निकलकर नौकरी करोगी यार हद                  है,मेरी नौकरी क्या छुट गई, मैं नाकरा हो                     गया!

शेफाली        अजय ऐसा कुछ नहीं है, जब आपको                     नौकरी मिल जाएगी मैं छोड दूँगी, वैसे भी                  घर बैठकर करनी है, मैंने घर से बाहर                     नहीं जाना ऑनलाइन नौकरी,बस सैलरी                   थोडी कम है!

अजय      (मुस्कुराते हुए) फिर ठीक है!


क्रमशः

दोस्तों कहानी इसके बाद नया मोड लेगी 

वो क्या जल्द लेकर आएगे  

(कामवासना से प्रेम तक) की कहानी  आगे दिलचस्प रुप लेगी🙏