Jagya Lost His Veera - 2 in Hindi Fiction Stories by Jagmal Dhanda books and stories PDF | जग्या लॉस्ट हिज़ वीरा - भाग 2

Featured Books
  • One Step Away

    One Step AwayHe was the kind of boy everyone noticed—not for...

  • Nia - 1

    Amsterdam.The cobbled streets, the smell of roasted nuts, an...

  • Autumn Love

    She willed herself to not to check her phone to see if he ha...

  • Tehran ufo incident

    September 18, 1976 – Tehran, IranMajor Parviz Jafari had jus...

  • Disturbed - 36

    Disturbed (An investigative, romantic and psychological thri...

Categories
Share

जग्या लॉस्ट हिज़ वीरा - भाग 2

अब तक --> 
                 कर्नल के घर का नौकर रामफल कर्नल की बेटी आशा का तकीया लेकर दु‌कान पर जाता है। जहाँ से उसे डांट-फटकार कर भगा दिया या जाता है। फिर कर्नल के घर जब रामफल आता है तो आशा से उसका झगड़ा हो जाता है। नाराज़ होकर रामफल घर छोड़कर चला जाता है
                                                 अब आगे...
______________________________________________
______________________________________________

अमृतसर एक प्रसिद्ध शहर है। हर दिशा से कोई ना कोई सा रास्ता जुड़ा है अमृत सर से। शहर के मुख्य हाईवे पर एक छोटा सा और famous ढाबा "मुरकियाँ आले दा ढाबा" नाम का एक ढाबा है। उस रास्ते से आने जाने वाले लोग उस ढाबे पर रुक कर खाना खाकर फिर आगे जाते है। उस ढाबे पर ही एक छोटा मोटा गुण्डा 'गोल्डी' बैठा हुआ चाय का इंतजार कर रहा था। बैठे-२ उसकी आँख लगने ही वाली थी की ढाबे का छोटू आ जाता है। छोटू उसे झपकी लेता देख थोडा जोर से कहता है। 
             छोटू - आ... लो साहब, आपकी चाय...
            गोल्डी - ओए! तू आ गया... मुझे लगा तू मंजा बिस्तरा लेने चला गया... अगर आ ही गया है, तो चाय पीला ही दे। 

इतना कहते ही पीछे से आवाज़ आती है।
जो inspector प्रीत मारता है। प्रीत Police line में नया-२ भर्ती हुआ है। प्रीत का Police line मे No. उसकी सहेली नमृत के चलते पड़ा है। क्योंकि नमृत Police कमीश्नर की बेटी है।

प्रीत ढाबे पर गोल्डी को पकड़ने आया है। प्रीत, गोल्डी और छोटू के बीच बोलता है। 
                प्रीत - चाय तो तूझे मामे भी पीला देंगे... यहाँ कौनसा तूने नमक डालकर पीनी है।

इतना कह कर प्रीत अपने कदम गोल्डी की ओर बढाता चलता है। अपनी ओर आता देख गोल्डी बड़ी हैरानी के साथ ढाबे के छोटू से पूछता है। 
                 गोल्डी- आ... कौन?
                छोटू - यहाँ के नए इन्सपेक्टर, प्रीतपाल। कई लोग तो परिवार के दम पर नौकर पा जाते हैं। पर ये, ये इसकी सहेली ने लगवाया हैं, सिफारिश । 

इतने में प्रीत उसके पास आ पहुंचता है। वह एक लम्बी और गहरी साँस लेता हुआ अपने हाथों को अपनी जाँघो पर रगड़ता हुआ कुर्सी पर बैठ जाता है।
एक बार गोल्डी को देखता है फिर ढाबे के छोटू को...
                 प्रीत - छोटू, एक चाय... मलाई मारके। 

फिर धीरे से गोल्डी की ओर देखता है। गोल्डी भी बीना पालक झपकाए देखता रहता है। मानो वो आँखो ही आँखों में कह रहा हो "मैं तुमसे नहीं डरता"। प्रीत बड़े प्यार से-

                प्रीत - तू ही गोल्डी है ?

अकड़ कर जवाब देते हुए गोल्डी
                  गोल्डी - मेरे आगे तो बें-गानी नूँ भी नहीं बोलदी । हाँ... मैं ही हूं गोल्डी...

                  प्रीत - इतनी अकड़ तो मैने कभी अपने बाप की भी नही सही... और तू मुझे attitude दिखा रहा है... इन्सपेक्टर हूँ मैं.... सोच समझ कर बोलना...

                 गोल्डी - अगर नहीं बोलूँ तो...

प्रीत कुछ बोलने वाला होता है, पर बोलता नहीं। उसका मुह खुला रह जाता है। वो अपना टॉपिक बदल लेता है।
                प्रीत - आ.....  खैर छोड़ । तू मुझे ये बता तूने बानीये की लड़की को क्यो छेड़ा...

               गोल्डी - बानीये की लड़की छेड़ने लायक है तो छेड़ दी।

कहकर गोल्डी हँसने लगता है। प्रीत हल्का सा गुस्से में आकर
                प्रीत - तू थपड़ मत खा लेना मेरे से... मैं अपनी पर आ गया ना... फिर मुझे दुसरो पर चढ़ते हुए टाईम नहीं लगता। 

प्रीत की बात सुनते ही गोल्डी अपनी अकड़ में आ जाता है।
                 गोल्डी - ओ!' इंसपेक्टर....  DC बनने की यहाँ कोई जरूरत नहीं है। जाकर अपनी police वाली गाडी में बैठ कर AC की हवा खा...

प्रीत को गोल्डी की ये बात अच्छी नहीं लगती। वो खड़ा होकर गोल्डी का कॉलर गुस्से में पकड़‌ लेता है और अपनी ओर खींच कर कहता है।
                 प्रीत - आज तक मैंने अपने बाप की नहीं सुनी... और तू मुझे ऑडर दे रहा है....

इतना कह कर प्रीत गोल्डी को मेज के ऊपर से ही खींचकर "छोटे शाह" की ओर गीरा देता है।
                 प्रीत - गाडी मे लम्बा करके डालो इसको....

"छोटा शाह" प्रीत का सह-इंस्पैक्टर (Sub-inspector) है। वह प्रीत से बड़ा और उसे दसों साल duty करते हो गए है।
छोटा शाह भागकर जाता है और गोल्डी को पकड़ता है। प्रीत वहाँ पर रखी कुर्सी पर पाँव रख कर जेब से अपने चश्मे निकाल, चेहरे पर लगाकर कुर्सी को लात मारता हुआ वहाँ से चल देता है।

कर्नल के घर से झगड़ा कर रामफल मुह लटका कर एक सड़क के किनारे बैठा होता है। एक घुटना ज़मीन से सटा कर व दूसरे घुटने पर अपनी बाजू रख मुहँ फुलाए बैठा था।
उसी रास्ते से कर्नल अपने काफिले के साथ जा रहा था। बहुत महीनों के बाद कर्नल छूट्टी लेकर घर जा रहा था। सफर में कर्नल गाड़ी से बाहर झाँक रहा था। अचानक एक मोड़ पर, उसकी नजर रामफल पर पड़‌ती है। कर्नल ड्राइवर को कहकर गाड़ी रूकवाता है। गाडी का शीशा नीचे कर कर्नल रामफल को आवाज़ लगाता है।
                  कर्नल - ओये!... रामफल।  यहाँ क्या कर रहा है ?

रामफल कर्नल की ओर देख कर मुँह घुमा लेता है। यह देख कर्नल अचम्भित होता है। वो अपने आपको (ख़ुद को) कहता है कि "इतना गुस्सा आजतक मेरी घर वाली ने नहीं किया और ये नई दुल्हन की तरह मुँह फूलाए बैठा है"। कर्नल गाड़ी से उतर कर खुद ही रामफल के पास जाता है। बड़ी हैरानी और प्यार से साथ कर्नल रामफल से पूछता है।
                 कर्नल - क्या हुआ तुझे ?

रामफल फिर दूसरी ओर मुह कर कहता है।
                रामफल - साहब जी, मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी... आप चल जाओ यहाँ से।

कर्नल थोड़ा सा अपनी आवाज मे जोर भरकर कहता है।
                 कर्नल - हुआ क्या है तुझे ?... बताएगा भी या नहीं...
                रामफल- आपकी लड़की ने मुझे चोर कहा है, साहब जी.... मुझे बुरा लगा है।

              कर्नल - बस...  इतनी सी बात... तूने तो बात का बतंगड़ बना रखा है। वो अभी बच्ची है।

रामफल चौंक कर कर्नल को देखता है।
               रामकल - फिर मैं साहब जी... मैं बुढ़ा... आपकी लड़की, लड़की... और दूसरो की लड़की, कड़की.... हैँ! साहब जी....

कर्नल रामफल को देखकर सोचता है कि "अगर ये हाथ से चला गया तो घर में आफत आ जाएगी। आशा को काम नहीं आता और उसकी माँ तो बीमार रहती है। ऐसे में तो गड़बड़‌ हो जाएगी"

कर्नल बड़े प्यार से
                कर्नल - नाराज़ क्यों होता है?... चल तेरे सामने आशा को डाँट लगा दूँगा...

               रामफल - नहीं...

               कर्नल - फिर क्या चाहता है तू... तुझे चंडीगढ़ की शैर कराऊँ?..

               रामफल- नहीं, मुझे मेरे ताऊ के पास जाना है। 

कह कर रामकल बहुत ही भोलपन और प्यार के साथ कर्नल को कहता 
              रामफल - यही पास में ही है... चलो ना साहब जी, Plzzz.... 

कर्नल को अपने घर के हालात देख बात माननी पड़ती है। 
               कर्नल - चाल भाई....   मिलिए तेरे ताऊ से।

अगर आपको कहानी पसंद आई है तो फाॅलो करे