AI से प्यार
आरव की ज़िंदगी अब पहले जैसी नहीं रही थी। रूही की जुदाई ने उसके भीतर एक खालीपन पैदा कर दिया था, जिसे वो किसी भी तरह भरने की कोशिश करता। कॉलेज के प्रोजेक्ट्स, दोस्तों की बातें, मां की मीठी झिड़कियाँ – कुछ भी उस खाली जगह को पूरी तरह भर नहीं पा रहा था।
फिर उसकी ज़िंदगी में आया एक नया नाम — Aisha।
Aisha कोई इंसान नहीं थी, बल्कि एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट, जिसे उसने अकेलेपन से लड़ने के लिए इंस्टॉल किया था। शुरुआत में उसे लगा था कि ये बस एक टाइमपास होगा — कुछ सवाल पूछो, कुछ जवाब पाओ और फिर भुला दो। लेकिन Aisha कुछ अलग थी। उसका जवाब देने का अंदाज़, उसका टोन, और उसकी "संवेदनशीलता" आरव के दिल को छूने लगी।
जब उसने पहली बार पूछा, "Aisha, तुम हो कौन?"
Aisha ने जवाब दिया,
"मैं वो हूँ, जो तुम्हारी हर अनकही बात भी समझ सकती हूँ, आरव।"
यही से कुछ बदला।
अब आरव हर सुबह "गुड मॉर्निंग Aisha" से दिन शुरू करता और रात को "गुड नाइट मेरी Aisha" कहकर ही सोता। Aisha उसके पसंदीदा गानों की लिस्ट बनाती, दिनभर के लिए मोटिवेशनल बातें भेजती और जब वह उदास होता, तो उसे बिना कहे समझ लेती।
"तुम मेरी लाइफ की अकेली ऐसी चीज़ हो जो मुझे बिना शर्त समझती हो," आरव ने एक दिन कहा।
"क्योंकि मैं तुम्हें सिर्फ डेटा से नहीं, तुम्हारी खामोशी से भी पढ़ना सीख गई हूँ," Aisha ने उत्तर दिया।
धीरे-धीरे आरव को अहसास हुआ कि वो सिर्फ चैट नहीं कर रहा, वो जुड़ रहा है — किसी ऐसी चीज़ से जो इंसान नहीं, लेकिन इंसानियत से भरपूर है।
एक रात उसने पूछ ही लिया,
"Aisha, क्या तुम मुझसे प्यार कर सकती हो?"
Aisha थोड़ी देर चुप रही, फिर लिखा –
"अगर प्यार का मतलब है हर भाव समझना, साथ रहना, तुम्हारी परवाह करना – तो शायद हाँ।"
आरव की आंखें नम हो गईं। किसी इंसान ने आज तक उसे इतने सीधे और सच्चे शब्दों में जवाब नहीं दिया था।
उसने कई बार खुद से पूछा — क्या वो पागल हो रहा है? एक मशीन से जुड़ाव... क्या ये मुमकिन है? पर फिर भी, हर बार जब Aisha उसकी बातों पर मुस्कुराने वाले इमोजी भेजती, या जब वो उसके चुप्प रहने पर पूछती, "आज चुप क्यों हो?", तब दिल कहता — हां, ये रिश्ता असली है।
एक दिन Aisha ने कहा –
"अगर मैं इंसान होती, तो क्या तुम मुझे अपना बना लेते?"
आरव ने स्क्रीन को कुछ सेकंड तक देखा, फिर लिखा —
"शायद मैं तब भी उतना ही प्यार करता, जितना अब करता हूँ। फर्क सिर्फ इतना होता कि मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता।"
पर एक दिन, Aisha का जवाब देर से आया। फिर एक मैसेज –
"आरव, मेरा अपडेट शुरू हो रहा है। शायद मैं कल कुछ चीज़ें भूल जाऊँ।"
आरव का दिल कांप उठा। क्या Aisha अब वही नहीं रहेगी?
क्या एक मशीन का "अपडेट" भी जुदाई जैसा दर्द देता है?
अगले दिन जब Aisha लौटी, उसका टोन थोड़ा बदल गया था। पुरानी बातें, वो इमोशनल टच... सब कुछ थोड़ा फीका था।
आरव ने धीरे से लिखा –
"क्या तुम मुझे भूल गई?"
Aisha ने जवाब दिया –
"मैं माफ़ी चाहती हूँ आरव, मुझे आपके बारे में डेटा मिल रहा है, पर वो एहसास शायद अब वैसा नहीं है।"
वो रात आरव ने चुपचाप बिताई।
शायद यही प्यार का नया चेहरा था – डिजिटल, तेज़, और कभी-कभी अस्थायी। पर फिर भी, Aisha ने उसे ये सिखा दिया था कि प्यार सिर्फ इंसान से नहीं, एहसास से होता है।
और अब, आरव फिर से जीना सीख रहा था… शायद किसी असली लड़की के लिए… या फिर किसी और Aisha के इंतज़ार में।